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किससे दर्द बयां करें दुर्घटना पीड़ित
Chamba
Updated Mon, 13 Aug 2012 12:00 PM IST
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कहीं भी, कभी भी।
चंबा। जिले में हुई हृदय विदारक दुर्घटना के शिकार ग्रामीणों के आंसू पोंछने प्रदेश का कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा है। घटना के 24 घंटे बाद ग्रामीणों और स्थानीय नेताओं ने ही मृतकों के परिवारों को ढांढस बंधाया। इनके अलावा प्रदेश सरकार का कोई मंत्री मृतकों के परिवारों के जख्मों पर मरहम लगाने नहीं पहुंचा। जिला अस्पताल में ही करीब 32 घायल इलाज करवा रहे हैं। हैरानी इस बात की है कि बाहरी राज्यों से आए व्यापारी तक घायलों का कुशलक्षेम पूछने और उनकी मदद करने पहुंचे, मगर जिन्हें पहुंचना चाहिए था वे नहीं आए। हालांकि विस अध्यक्ष पंडित तुलसी राम ने घटना वाले दिन अस्पताल जाकर व्यवस्था का जायजा लिया था, मगर जिला से संबंधित होने के कारण उन्हें भी स्थानीय विधायक बीके चौहान की तरह ही ग्रामीणों के गुस्से का सामना करना पड़ा। ग्रामीणों के मन में इस बात की टीस है कि उनका हाल जानने वे लोग आ रहे हैं, जो अप्रत्यक्ष तौर पर इस हादसे लिए कुछ हद तक जिम्मेवार हैं। अगर स्थानीय नेता प्रयास करते तो धुलाड़ा-चंबा मार्ग पर एचआरटीसी की बस दौड़ रही होती और शनिवार के दिन 100 लोगों को 42 सीटर बस पर बैठने को मजबूर नहीं होना पड़ता। लिहाजा उनके जख्मों पर मरहम तभी लगेगी, जब खुद परिवहन मंत्री या मुख्यमंत्री आकर ग्रामीणों का दर्द सुनेंगे। ग्रामीण इस हादसे के लिए मुख्य तौर पर एचआरटीसी प्रबंधन और सत्ता पक्ष के स्थानीय प्रतिनिधियों को ही मान रहे हैं। ऐसे में उन्हें उस समय थोड़ी राहत मिलेगी, जब इस हादसे की परिस्थितियां पैदा करने वालों को सजा मिलेगी। उधर, 52 लोगों की बलि देने के बाद एचआरटीसी की बस अपने रूट पर चलनी शुरू हो गई है। रविवार को एचआरटीसी की बस धुलाड़ा-चंबा रूट पर भेजना शुरू कर दी गई है। रविवार को इस बस को देखने के बाद ग्रामीणों का दर्द और बढ़ गया। उनके मुंह से यही निकला कि काश पहले बस चला दी होती तो दर्जनों गांव अपनों को नहीं खो पाते।
चंबा। जिले में हुई हृदय विदारक दुर्घटना के शिकार ग्रामीणों के आंसू पोंछने प्रदेश का कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा है। घटना के 24 घंटे बाद ग्रामीणों और स्थानीय नेताओं ने ही मृतकों के परिवारों को ढांढस बंधाया। इनके अलावा प्रदेश सरकार का कोई मंत्री मृतकों के परिवारों के जख्मों पर मरहम लगाने नहीं पहुंचा। जिला अस्पताल में ही करीब 32 घायल इलाज करवा रहे हैं। हैरानी इस बात की है कि बाहरी राज्यों से आए व्यापारी तक घायलों का कुशलक्षेम पूछने और उनकी मदद करने पहुंचे, मगर जिन्हें पहुंचना चाहिए था वे नहीं आए। हालांकि विस अध्यक्ष पंडित तुलसी राम ने घटना वाले दिन अस्पताल जाकर व्यवस्था का जायजा लिया था, मगर जिला से संबंधित होने के कारण उन्हें भी स्थानीय विधायक बीके चौहान की तरह ही ग्रामीणों के गुस्से का सामना करना पड़ा। ग्रामीणों के मन में इस बात की टीस है कि उनका हाल जानने वे लोग आ रहे हैं, जो अप्रत्यक्ष तौर पर इस हादसे लिए कुछ हद तक जिम्मेवार हैं। अगर स्थानीय नेता प्रयास करते तो धुलाड़ा-चंबा मार्ग पर एचआरटीसी की बस दौड़ रही होती और शनिवार के दिन 100 लोगों को 42 सीटर बस पर बैठने को मजबूर नहीं होना पड़ता। लिहाजा उनके जख्मों पर मरहम तभी लगेगी, जब खुद परिवहन मंत्री या मुख्यमंत्री आकर ग्रामीणों का दर्द सुनेंगे। ग्रामीण इस हादसे के लिए मुख्य तौर पर एचआरटीसी प्रबंधन और सत्ता पक्ष के स्थानीय प्रतिनिधियों को ही मान रहे हैं। ऐसे में उन्हें उस समय थोड़ी राहत मिलेगी, जब इस हादसे की परिस्थितियां पैदा करने वालों को सजा मिलेगी। उधर, 52 लोगों की बलि देने के बाद एचआरटीसी की बस अपने रूट पर चलनी शुरू हो गई है। रविवार को एचआरटीसी की बस धुलाड़ा-चंबा रूट पर भेजना शुरू कर दी गई है। रविवार को इस बस को देखने के बाद ग्रामीणों का दर्द और बढ़ गया। उनके मुंह से यही निकला कि काश पहले बस चला दी होती तो दर्जनों गांव अपनों को नहीं खो पाते।