चंबा। इलेक्ट्रो होम्योपैथिक दवाओं पर चंबा में आयोजित कार्यशाला के तीसरे दिन इलेक्ट्रो होम्योपैथिक दवाओं का शरीर पर प्रभाव विषय पर चर्चा की गई। डा. संजीव शर्मा ने जंगल टूअर पर जाने से पहले चिकित्सकों को जरूरी टिप्स दिए।
उन्हाेंने कहा कि हर हर्बल की अलग-अलग प्रजातियां होती हैं। इनमें कुछ ऐसी प्रजातियां हैं जो स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अत्यंत गुणकारी एवं प्रभावशाली होती हैं। डा. मैट्टी ने कहा कि प्राकृतिक वनौषधियों का चयन शरीर की बनावट के आधार पर किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकाें पर खरा उतरने के बावजूद भी यह पद्धति विकास की पटरी से परे रही है। इसकी बजह पद्धति में कई भ्रांतियां बनाकर लोगों को सही ज्ञान का अभाव ही माना जा सकता है। संजीव शर्मा ने कहा कि यूरोपीय देशों और एशियाई देशों के अध्ययन में पाया जो रोग जहां पनपता है उसका इलाज भी उसी जगह संभव है, क्योंकि जिस क्षेत्र में व्यक्ति रहता है उसकी शारीरिक रचना भी वैैसी होती है। बरंगाल भ्रमण के दौरान 25 हर्बल की पहचान करवाने के बाद चिकित्सकों को हारबेरियम बनाने की भी सलाह दी गई। 17 प्रांतों के चिकित्सकों की ओर से पहली बार हिमालयन रेंज का भ्रमण कर प्रसन्नता जाहिर की। उन्हाेंने कहा कि खज्जियार रेंज में एक ऐसे पौधे की खोज की गई है जो इलेक्ट्रो होम्योपैथिक दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है। इस पौधे का नाम जनेशियाना लुटिया है। उन्हाेंने कहा कि 16 वर्षों की खोज में पहली बार इस मूल पौधे को ढूंढने में सफलता हासिल की है।