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बरठीं (बिलासपुर)। निजी भूमि पर खैर कटान का परमिट लेकर इसकी आड़ में सरकारी भूमि पर लगे पेड़ों को काटा जा रहा है। जिले के विभिन्न वन क्षेत्रों में इस तरह के मामलों में इजाफा दर्ज किया जा रहा है। विभाग भी महज डैमेज रिपोर्ट कार्ट कर महज औपचारिकता निभा रहा है। सरकारी भूमि पर खैर काटने की एवज चंद जुर्माना वसूलने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। विभाग ने तकरीबन तीन लाख रुपये जुर्माना वसूलते हुए कार्रवाई भी की है।
मलकीयत भूमि पर खैर कटान की सरकार की अनुमति की एवज में कुछ वन काटुए सरकारी भूमि पर लगे हरे भरे पेड़ों को भी निशाना बना रहे हैं। जिससे न सिर्फ वन संपदा को नुकसान हो रहा है बल्कि पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ रहा है। सरकार तथा विभाग के आदेशानुसार जिला के घुमारवीं तथा झंडूता वन खंडों में इस समय खैरों के कटान की अनुमति दी गई है। लेकिन, इसकी आड़ में सरकारी भूमि पर लगे खैर के पेड़ों पर भी आरी चल रही है। जबकि सरकारी भूमि पर खैर के पेड़ों का कटान प्रतिबंधित है। करीब दो सप्ताह पूर्व वन खंड घुमारवीं के तहत आने वाले क्षेत्र सुन्हाणी में पांच खैर के पेड़ अवैध रुप से काट लिए गए थे। झंडूता वन परिक्षेत्र के तहत आने वाले झोला, राहन, व झंडूता वन वीट में अवैध कटान के मामले सामने आए हैं। इसी वन परिक्षेत्र के तहत आने वाले वन खंड स्मोह की चार वन वीटों डाहड, बरवाड़, स्मोह व थुराण में भी अवैध कटान के मामले सामने आए हैं। वन अधिकारी प्रकाश चंद ने कहा कि जिले में कुछ बीटों को खैरों के कटान के लिए खोला गया है। कई स्थानों से अवैध कटान के मामले सामने आए हैं जिन पर विभाग से सख्ती से कार्रवाई की है। उन्होंने बताया कि अवैध कटान की एवज में विभाग ने पिछले कुछ समय में करीब तीन लाख रुपये जुर्माने के रुप में वसूला है।
बरठीं (बिलासपुर)। निजी भूमि पर खैर कटान का परमिट लेकर इसकी आड़ में सरकारी भूमि पर लगे पेड़ों को काटा जा रहा है। जिले के विभिन्न वन क्षेत्रों में इस तरह के मामलों में इजाफा दर्ज किया जा रहा है। विभाग भी महज डैमेज रिपोर्ट कार्ट कर महज औपचारिकता निभा रहा है। सरकारी भूमि पर खैर काटने की एवज चंद जुर्माना वसूलने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। विभाग ने तकरीबन तीन लाख रुपये जुर्माना वसूलते हुए कार्रवाई भी की है।
मलकीयत भूमि पर खैर कटान की सरकार की अनुमति की एवज में कुछ वन काटुए सरकारी भूमि पर लगे हरे भरे पेड़ों को भी निशाना बना रहे हैं। जिससे न सिर्फ वन संपदा को नुकसान हो रहा है बल्कि पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ रहा है। सरकार तथा विभाग के आदेशानुसार जिला के घुमारवीं तथा झंडूता वन खंडों में इस समय खैरों के कटान की अनुमति दी गई है। लेकिन, इसकी आड़ में सरकारी भूमि पर लगे खैर के पेड़ों पर भी आरी चल रही है। जबकि सरकारी भूमि पर खैर के पेड़ों का कटान प्रतिबंधित है। करीब दो सप्ताह पूर्व वन खंड घुमारवीं के तहत आने वाले क्षेत्र सुन्हाणी में पांच खैर के पेड़ अवैध रुप से काट लिए गए थे। झंडूता वन परिक्षेत्र के तहत आने वाले झोला, राहन, व झंडूता वन वीट में अवैध कटान के मामले सामने आए हैं। इसी वन परिक्षेत्र के तहत आने वाले वन खंड स्मोह की चार वन वीटों डाहड, बरवाड़, स्मोह व थुराण में भी अवैध कटान के मामले सामने आए हैं। वन अधिकारी प्रकाश चंद ने कहा कि जिले में कुछ बीटों को खैरों के कटान के लिए खोला गया है। कई स्थानों से अवैध कटान के मामले सामने आए हैं जिन पर विभाग से सख्ती से कार्रवाई की है। उन्होंने बताया कि अवैध कटान की एवज में विभाग ने पिछले कुछ समय में करीब तीन लाख रुपये जुर्माने के रुप में वसूला है।