बिलासपुर। घुमारवीं क्षेत्र से सटे भराड़ी इलाके में बार-बार तेंदुए की दस्तक वन अधिकारियों के लिए भी परेशानी का सबब बनी हुई है। एक तेंदुए को शूट करने के बाद अब यहां फिर तेंदुआ दिखा है। वन विभाग की टीम फिर तेंदुए को गोलियों से भून डालने की तैयारी में है। इसके लिए अलाधिकारियों से अनुमति मांगी गई है। अनुमति मिलते ही फिर इलाके में एक्सपर्ट शूटरों की टीम डेरा जमा देगी। विभाग ने 21 जनवरी को इसका केस भेजा गया है।
वन विभाग की ओर भराड़ी क्षेत्र में आतंक मचा रहे आदमखोर तेंदुए को मारने के लिए प्रोफेशन शूटरों को परमिशन दी गई थी, लेकिन इन्हें सफलता हासिल नहीं हुई। उसके बाद लोकल शूटरों को परमिशन दी गई। उन्हें सफलता हाथ लगी। अब कई स्थानों पर विभाग को मिल रही सूचनाओं के चलते एक बार फिर भराड़ी क्षेत्र में तेंदुआ मारने की परमिशन उच्च अधिकारियों से मांगी गई है ताकि तेंदुए को मारा जा सके। वन विभाग बिलासपुर के अरण्यापाल अनिल ठाकुर ने कहा कि विभाग ने एक बार फिर उच्च अधिकारियों से तेंदुआ मारने की परमिशन मांगी है।
क्यों आदमखोर बनता है तेंदुआ:
बिलासपुर। विभागीय अधिकारियौँ की मानें तो यदि तेंदुए का कोई दांत टूट जाए या फिर वह बीमारी से कमजोर हो जाए। जबड़े में कोई समस्या हो या फिर बूढ़ा हो गया है तो तेंदुआ आदमखोर बनता है। क्योंकि इन कारणों से वह जंगल में शिकार नहीं कर पाता।
वन विभाग के पास नहीं है तेंदुओं के आंकड़े
बिलासपुर। वन विभाग के पास अभी तक जिले में कितने तेंदुए हैं। इसकी जानकारी नहीं है। 1993 के बाद यहां पर कोई भी गणना नहीं हुई है। उस दौरान 65 तेंदुए थे। संभावना जताई जा रही है कि अब तक करीब 80 तेंदुए होंगे।
बिलासपुर। घुमारवीं क्षेत्र से सटे भराड़ी इलाके में बार-बार तेंदुए की दस्तक वन अधिकारियों के लिए भी परेशानी का सबब बनी हुई है। एक तेंदुए को शूट करने के बाद अब यहां फिर तेंदुआ दिखा है। वन विभाग की टीम फिर तेंदुए को गोलियों से भून डालने की तैयारी में है। इसके लिए अलाधिकारियों से अनुमति मांगी गई है। अनुमति मिलते ही फिर इलाके में एक्सपर्ट शूटरों की टीम डेरा जमा देगी। विभाग ने 21 जनवरी को इसका केस भेजा गया है।
वन विभाग की ओर भराड़ी क्षेत्र में आतंक मचा रहे आदमखोर तेंदुए को मारने के लिए प्रोफेशन शूटरों को परमिशन दी गई थी, लेकिन इन्हें सफलता हासिल नहीं हुई। उसके बाद लोकल शूटरों को परमिशन दी गई। उन्हें सफलता हाथ लगी। अब कई स्थानों पर विभाग को मिल रही सूचनाओं के चलते एक बार फिर भराड़ी क्षेत्र में तेंदुआ मारने की परमिशन उच्च अधिकारियों से मांगी गई है ताकि तेंदुए को मारा जा सके। वन विभाग बिलासपुर के अरण्यापाल अनिल ठाकुर ने कहा कि विभाग ने एक बार फिर उच्च अधिकारियों से तेंदुआ मारने की परमिशन मांगी है।
क्यों आदमखोर बनता है तेंदुआ:
बिलासपुर। विभागीय अधिकारियौँ की मानें तो यदि तेंदुए का कोई दांत टूट जाए या फिर वह बीमारी से कमजोर हो जाए। जबड़े में कोई समस्या हो या फिर बूढ़ा हो गया है तो तेंदुआ आदमखोर बनता है। क्योंकि इन कारणों से वह जंगल में शिकार नहीं कर पाता।
वन विभाग के पास नहीं है तेंदुओं के आंकड़े
बिलासपुर। वन विभाग के पास अभी तक जिले में कितने तेंदुए हैं। इसकी जानकारी नहीं है। 1993 के बाद यहां पर कोई भी गणना नहीं हुई है। उस दौरान 65 तेंदुए थे। संभावना जताई जा रही है कि अब तक करीब 80 तेंदुए होंगे।