बिलासपुर। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संगठन (शिक्षा विभाग) ने ग्रामीण जलवाहकों को दैनिक भोगी कर्मचारी बनाने पर आपत्ति जताई है। संगठन ने इस वर्ग के लिए भी अनुबंध नीति का अनुसरण करने की वकालत करते हुए कहा है कि इससे भविष्य में ग्रामीण जलवाहक भी नियमित हो सकेंगे।
सोमवार को प्रारंभिक शिक्षा उप निदेशक प्रीतम सिंह ढटवालिया के साथ आयोजित बैठक में संगठन ने मिड-डे मील वर्करों का मुद्दा भी उठाया। कहा गया कि मिड-डे मील वर्कर्स को सुबह 9 से दोपहर 2 बजे तक काम करना पड़ता है। लिहाजा उन्हें 130 रुपये न्यूनतम दिहाड़ी दी जाए। उन्हें समय पर मानदेय भी नहीं मिलता। प्रत्येक माह की 7 तारीख से पहले उनके पारिश्रमिक का भुगतान सुनिश्चित किया जाए। साथ ही उन्हें आकस्मिक व वैकल्पिक अवकाश तथा महिलाओं को दी जाने वाली विशेष छुट्टियां भी दी जाएं।
संगठन के नुमाइंदों ने कहा कि कुछ मिड-डे मील वर्कर्स की सेवाएं स्कूल बंद होने या छात्रों की संख्या कम होने के आधार पर समाप्त कर दी गई हैं। यह सरासर गलत है। उन्हें अन्यत्र समायोजित किया जाए। यह भी ध्यान में आया है कि कुछ मिड-डे मील वर्कर्स से घर से लकड़ी मंगवाई जाती है। उन्हें राशन की मात्रा कम दी जाती है। बच्चों के लिए बने भोजन की दावत शिक्षक व अन्य कर्मचारी उड़ाते हैं। इस पर अंकुश लगाया जाए। संगठन ने मिड-डे मील वर्कर्स के लिए स्थाई नीति बनाने, उनका छुट्टियों का वेतन न काटने, 8 वर्ष के सेवाकाल के बाद उनके नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करने, अन्य कर्मचारियों की तरह हर वर्ष उनके मानदेय में थोड़ी-बहुत वृद्धि करने, कुक व हेल्पर का हाजिरी रजिस्टर लगाने तथा उन्हें अंशकालीन जलवाहकों की तर्ज पर पदोन्नति देने की मांग भी उठाई। बैठक में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अमर सिंह चंदेल, कानूनी सलाहकार भगत सिंह वर्मा, मुख्य सलाहकार लक्ष्मण ठाकुर, जिला अध्यक्ष तारा शर्मा, जिला इंटक उपाध्यक्ष सतपाल शर्मा, मिड-डे मील वर्कर यूनियन की जिला अध्यक्ष मीरा जसवाल, महासचिव तृप्ता गुलेरिया, शर्मिला शर्मा व प्रेमसागर आदि ने भाग लिया।