तेज रफ्तार व ओवरलोड वाहन डंपर, ट्रक व ट्रॉलियां सड़कों पर यमदूत बनकर दौड़ रहे हैं। जो हादसे का कारण भी बन रहे। इनमें से अधिकतर हादसे ओवरलोडिंग, तेज रफ्तार के कारण ही होते हैं। वहीं अगर आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में इस साल 352 दुर्घटनाएं हो चुकी जिनमें 171 की मौत, 305 घायल हुए हैं। हालांकि आरटीए विभाग की तरफ से सड़कों पर फर्राटा भर रहे ओवरलोड वाहनों पर कार्रवाई कर काफी भारी जुर्माना भी लगाया जाता है, मगर बावजूद इसके इनकी संख्या में कोई कमी नहीं आई। बल्कि ओवरलोड वाहनों की संख्या पहले से ज्यादा हो गई है।
ओवरलोड वाहन न केवल लोगों की जिदंगी लील रहे हैं, बल्कि सड़क की लाइफ को भी कम करते हैं। बुधवार दोपहर को महाराणा प्रताप चौक पर डंपर ने नगर निगम की महिलाकर्मी को चपेट में ले लिया था जिससे उसकी मौत हो गई थी। बता दें शहर में ज्यादातर हादसे का कारण ओवरलोड गन्ने, लकड़ी, प्लाईगत्ता से लदी ट्रॉलियां बन रही हैं। जिनमें निर्धारित सीमा से अधिक माल लदा होता है। कई बार तो इतना सामान भरा होता है वाहन तो दूर पैदल जा रहा व्यक्ति भी साइड से नहीं निकल पाता है।
ओवरलोड वाहन के अलावा मोटरसाइकिल को रिक्शा जैसा रुप देकर जुगाड़ वाहन बनाने का चलन भी काफी बढ़ गया है। इस प्रकार के वाहन हादसों को न्यौता दे रहे है। लेकिन जुगाड़ वाहनों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नही हो पाई है। घर तक सामान ले जाने के लिए जनता भी टैंपों की अपेक्षा जुगाड़ वाहनों को ही प्राथमिकता देती है, क्योंकि ये टैंपों या किसी अन्य वाहन से सस्ते पड़ते हैं। वहीं ट्रॉली में पराली या भूसा इतना ज्यादा भर लिया जाता है कि सड़क पर दूसरे वाहनों को निकलने के लिए भी रास्ता नही बचता।
बता दें सड़क हादसों को देखते हुए प्रशासन की तरफ से खासकर चालकों के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है, किंतु वह भी कारगर नहीं। ट्रैफिक नियमों व संकेतों की जानकारी न होने के कारण चालक ट्रैफिक संकेतों का पालन नहीं करते। लाइन बदलते समय व मुड़ते समय संकेत न देना भी हादसों का कारण बनता है। दोपहिया वाहन चालक सिर्फ चालान कटने से बचने के लिए हेलमेट पहनते हैं। जहां पुलिस नहीं होती हेलमेट उतार दिया जाता है। चारपहिया वाहन चालक सीट बेल्ट का प्रयोग नहीं करते और जब अचानक कोई वाहन सामने आ जाता है तो हादसा की पूूरी संभावना बनी रहती है।
साल दुर्घटना मौत घायल
2020 400 187 315
2021 459 235 368
2022 352 171 305