दिसंबर माह का पहला सप्ताह लगभग खत्म होने को है। हमेशा की तरह सुबह और शाम के समय धुंध छाने लगी है। इस वजह से सड़क हादसों में इजाफा होने लगा है, लेकिन विभाग इससे बचाव के इंतजाम करने के मामले में बेसुध है। यदि बात करें दोनों पुराने नेशनल हाईवे (जगाधरी-पांवटा नेशनल हाईवे, अंबाला सहारनपुर हाईवे) की तो यहां हादसे रोकने के इंतजाम नहीं किए गए हैं।
लापरवाही विभाग की, खामियाजा जनता को
इन दोनों राष्ट्रीय मार्गों पर सड़क सुरक्षा संबंधी कोई प्रबंध नहीं किया गया है। न तो सड़कों पर कोहरे में वाहनों की लाइट से चमकने वाली पीली, सफेद पट्टी है और न ही कैट आई लगी है। इन मार्गों पर कोई दिशा सूचक भी नहीं हैं। इन हालातों में रात को कोहरे में हादसों की आशंका बढ़ गई है। सड़क सुरक्षा की बैठक में डीसी ने अधिकारियों को सर्दी शुरू होने से पहले यह बंदोबस्त पूरे करने के आदेश दिए थे। परंतु अभी तक इन आदेशों पर अमल नहीं किया गया, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ सकता है। यही नहीं इन राष्ट्रीय मार्गों से लगते लिंक रोड पर भी यही हाल है। लिंक रोड पर भी न तो कोई बोर्ड, सूचक, पट्टी नजर आ रही है। इसी तरह जिले की तमाम सड़कों पर सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही है। यदि विभाग और प्रशासन इसके प्रति गंभीर न हुआ तो यह लापरवाही लोगों की जान पर भारी पड़ेगी। बता दें कि कोहरे में सड़क हादसे रोकने के लिए मानक तय हैं, परंतु यह जिले में नजर नहीं आ रहे हैं। बता दें कि पिछले साल अक्टूबर के अंत और नवंबर, दिसंबर में जिलेभर के विभिन्न हादसों में 70 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। वहीं इस साल अक्टूबर नवंबर में हुए हादसों में करीब 40 लोगों की जान गई है।
बोर्ड न संकेतक
सड़कों पर न तो कोई पूर्व सूचना के बोर्ड नहीं और न ही संकेतक हैं। जगाधरी बस स्टैंड तीव्र मोड है। कोहरे में यहां सड़क का किनारा नहीं दिखाता है। जिसके लिए यहां पर सफेद पीली पट्टी के साथ सूचना बोर्ड लगा होना चाहिए। इसी तरह रक्षक विहार से बिलासपुर पर भी सुरक्षा का कोई बंदोबस्त नहीं है। जगाधरी पावंटा नेशनल हाईवे पर छछरौली से लेकर ताजेवाला तक कई तीव्र मोड हैं। इनमें से कई को ब्लैक प्वाइंट भी माना गया है। यहां भी प्रशासन की ओर से कोई बंदोबस्त नहीं किया गया है। इसी तरह पुराना सहारनपुर रोड भी हाईवे और यहां से प्रतिदिन हजारों वाहन गुजरते हैं। यहां हालात इतने बुरे हैं कि महाराजा अग्रसेन चौक तक पर बोर्ड या संकेतक नहीं है। जबकि यहां सभी मोड़ों से पहले दोनों तरफ सूचना बोर्ड होना जरूरी है।
पेड़ों और खंभों पर पेंट तक नहीं
नियमानुसार सड़क किनारे लगे पेड़ों व खंभों पर निशान लगाए जाने चाहिए। पेड़ों व खंभों पर लाइट पड़ने पर चमकने वाला पीला पेंट होना चाहिए। वहीं इन पर रिफ्लेक्टिंग टेप लगी होनी चाहिए। ताकि कोहरे व अंधेरे में लाइट पड़ने पर चमकने से वाहन चालक को पता चल सके कि यहां पेड़ अथवा खंभा है। स्टेट रोड सेफ्टी काउंसिल सदस्य अधिवक्ता सुशील आर्य ने बताया कि कोहरे में हादसे रोकने के लिए सड़कों पर विशेष बंदोबस्त किए जाते हैं। जिनका होना बहुत जरूरी है। इसमें पीली सफेद पट्टी, कैट आई, रिफ्लेक्टिंग टेप, सूचना पट इत्यादि बंदोबस्त सर्दी से पहले पूरे किए जाते हैं।
वर्जन
कोहरे में सड़क सुरक्षा को देखते हुए संबंधित विभागों सहित अन्य अधिकारों को इसके निर्देश दिए गए हैं। इस पर काम किया जा रहा है। चंद दिनों में सभी सड़क पर तमाम सुरक्षा के बंदोबस्त पूरे कर लिए जाएंगे। इसमें लापरवाही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
-राहुल हुड्डा, डीसी, यमुनानगर।