पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए डेढ़ साल पहले 75 साल पुराने पेड़ों की 2500 रुपये पेंशन लगाने का प्रोजेक्ट शुरू किया था। इन पेड़ों की पेंशन कब लगेगी, इस बारे में वन विभाग को भी पता नहीं। ऐसे में योजना सफेद हाथी साबित हो रही है। यमुनानगर में विभाग की तरफ से योजना के अनुसार 565 ऐसे पेड़ों को तलाशा गया, जो इस योजना में आते हैं। विभाग इन पेड़ों की रिपोर्ट बनाकर हेड क्वार्टर और सरकार को भेज चुका है, किंतु पेंशन कब लगेगी, अभी तक गेंद सरकार के पाले में है।
इस तरह से की गई उम्र की पड़ताल
पुराने पेड़ों को तलाशने के लिए विभाग ने एक सर्वे की टीम बनाई थी। इसका कार्य मिले पुराने पेड़ की उम्र जांच पड़ताल करना था। टीम की ओर से पेड़ों की उम्र गणितीय और अनुमान के आधार पर निकाली। बाकायदा बुजुर्गों और स्थानीय लोगों से जानकारी भी ली गई कि यह पेड़ कब रोपित किया गया। पेड़ की मोटाई और बढ़ने की चाल के आधार पर भी उम्र निकल जाती है। दूसरा ज्यादा दिक्कत आने पर ड्रिल का प्रयोग कर तने के छल्लों के आधार पर भी उम्र का आंकलन किया जाता है। बताया जा रहा है सर्वे में ज्यादातर पुराने पेड़ पीपल, बरगद व पिलखन के मिले हैं। इसके अलावा सिंबल आम व नीम के पेड़ भी है। बता दें एक स्वस्थ पेड़ हर रोज 250 से 300 लीटर तक हर रोज ऑक्सीजन देता है।
किस रेंज में कितने मिले पेड़
आंकड़ों के मुताबिक कुल 565 पुराने पेड़ों को चिह्नित किया। जोकि जिले की चार कलेसर, साढौरा, जगाधरी और छछरौली रेंज में मिले हैं। इनमें कलेसर रेंज में 70, साढौरा में 308, जगाधरी में 88 और छछरौली में 97 पुराने पेड़ मिले। इन्हीं पेड़ों की अब 2500 रुपये पेंशन लगाने के लिए विभाग की तरफ से सरकार को लिखकर भेजा गया है। बताया जा रहा है में अभी तक किसी भी जिले में इस प्रकार के पुराने पेड़ों की पेंशन लगाने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।
वर्जन
पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए यह योजना काफी अच्छी है। हमने अलग-अलग रेंज में जिले में 565 पुराने पेड़ों को चिह्नित किया है। पेंशन लगाने के लिए इनकी रिपोर्ट बनाकर उच्च अधिकारियों को भेजी जा चुकी हैं। पेंशन कब लगेगी यह सरकार के हाथ में है।
-सूरजभान, आईएफएस, वन विभाग, यमुनानगर।