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Yamuna Nagar News: साढ़े चार साल से एस्टीमेट, टेंडर में उलझा शहर का विकास

Amar Ujala Bureau अमर उजाला ब्यूरो
Updated Fri, 02 Jun 2023 01:29 AM IST
Development of city entangled in estimate, tender for four and a half years
नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आने वाले शहर का विकास फाइलों, काम के एस्टीमेट व टेंडर में उलझ कर रह गया है। सितंबर 2019 में हुई सदन की दूसरी बैठक में पास हुए प्रस्ताव अब तक सिरे नहीं चढ़ सके। पार्षदों ने पिछले प्रस्तावों पर मेयर मदन चौहान व अधिकारियों से इसे लेकर खूब सवाल जवाब किए। इस दौरान कुल मिलाकर अधिकारियों व कर्मचारियों का एक ही जवाब रहा है एस्टीमेट बना दिए हैं, टेंडर लगा दिया है, काम शुरू हो जाएगा। लगभग सभी पार्षदों ने पूछा कि अब तक काम क्यों नहीं हुए तो इसका कोई भी अधिकारी व कर्मचारी सीधा जवाब नहीं दे पाया। सदन की बैठक में साढ़े तीन घंटे पिछली बैठकों के प्रस्तावों पर चर्चा में ही निकल गए। जबकि सदन में मेयर की अनुमति से रखे गए समेत कुल 35 प्रस्ताव 12 मिनट में बिना किसी चर्चा के पास हो गए। 22 में 8 प्रस्ताव तो पढ़े भी नहीं गए। अधिकारी रट्टा लगाकर पढ़ते गए और सब पास हो गए।

पार्षद निर्मल चौहान ने कहा कि साढ़े चार साल में उनके वार्ड में एक भी स्ट्रीट लाइट नहीं लगी। यहां तक की एनजीटी के आदेशों की पालना करने के लिए मेयर ने जिन कमेटियों का गठन किया था वह भी सिरे नहीं चढ़ पाई। वहीं नगर निगम की जमीन पर लोगों ने अवैध कब्जे कर रखे हैं, लेकिन आज तक जमीन की न तो तारबंदी हुई और नही चहारदीवारी। पार्षद राम आसरे ने कटाक्ष करते हुए कहा कि उनके वार्ड में तो केवल सेक्टर ही हैं। सेक्टर-17 के सामुदायिक केंद्र का नाम दीनबंधु छोटू राम रख दो, क्योंकि अब तो लगने लगा है कि छोटू राम का नाम रखने से काम जल्दी हो जाते हैं। शायद नाम बदलने से ही सामुदायिक केंद्र के अच्छे दिन आ जाए। उन्होंने तो यहां तक कह दिया सेक्टर में भाजपा को जमीन देकर उनका आलीशान कार्यालय बनवा दिया गया लेकिन लोगों को सेक्टर में एक छोटा सा हॉल बनाने के लिए जमीन नहीं दी जा रही। पार्षद विनोद मरवाह ने मेयर की कार्यप्रणाली पर सीधे सवाल उठाते हुए कहा कि साढ़े चार साल से आप बहानेबाजी ही कर रहे हैं। शहर ही सीमा के चारों तरफ आपसे चार स्वागत द्वार तो बन नहीं सके। माॅडल टाउन में मेयर व विधायक का घर है। फिर भी यहां सीवरेज जाम पड़ा है। रोजाना उनके पास सीवरेज जाम की 10 से 15 शिकायतें आ रही हैं। कालिंदी कॉलोनी जो शहर के बीच में है, 70 से 80 प्रतिशत आबाद होने के बाद भी वह अब तक वैध नहीं हो सकी। जबकि उससे बाहर का इलाका वैध हो गया।


पार्षद निर्मल चौहान ने कन्हैया साहिब चौक स्थित नगर निगम कार्यालय में महिलाओं के लिए शौचालय न होने का मुद्दा उठाया। उन्होंने ने कहा कि सार्वजनिक शौचालयों का बुरा हाल है। उधर नगर निगम के अपने ही दफ्तर में शौचालय नहीं है। वहां आने वाली पार्षद ही नहीं बल्कि महिला कर्मचारी भी परेशान हैं। उन्हें अधिकारियों के कार्यालयों में बने शौचालय में जाना पड़ता है। कई बार तो वहां पर भी ताला लगा होता है।

पार्षद प्रिंस डग्गा ने शहरी क्षेत्र में गोवंश की बढ़ती तादाद पर चिंता जताते हुए कहा कि सड़कों के बीच में गोवंश बैठे रहते हैं जो हादसों का कारण बन रहे हैं। पिछली बैठकों में भी गोवंशों को पकड़ कर उन्हें गोशाला में पहुंचाने का प्रस्ताव पास हुआ था, लेकिन आज तक इस पर कुछ नहीं हुआ। यदि नगर निगम के पास फंड नहीं है तो वह अपनी जेब से इसके लिए रुपये देने को तैयार हैं। यदि निगम चाहे तो वह इस बारे में लिख कर देने को भी तैयार हैं।
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