सोनीपत। लोकसभा सीट से जिस तरह से नतीजे आए है, उससे यह साफ हो गया है कि अब लोग क्षेत्रीय दलों को वोट देने से बच रहे है। यही कारण है कि जजपा के दिग्विजय चौटाला समेत 27 की जमानत जब्त हो गई जो जमानत बचाने के आंकड़े के आसपास तक भी नहीं पहुंच सके। हालात यह हो गए कि जजपा को कैडर का वोट तक नहीं मिल सका और इनेलो के पास भी उनका वोट नहीं बच सका।
सोनीपत लोकसभा सीट से वर्ष 2014 के चुनाव में इनेलो के प्रत्याशी रहे पदम सिंह दहिया को 264404 वोट मिले थे और वह दूसरे नंबर से चंद वोट ही पीछे रहे थे। लेकिन इसबार इनेलो के टूटने से जजपा अलग पार्टी बन गई और यह दोनों ही चुनाव मैदान में उतरी। जजपा ने सबसे पहला जींद उपचुनाव लड़ा, जिसमें पार्टी के संस्थापक व पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला ने अपने भाई दिग्विजय चौटाला को मैदान में उतारा था। जींद उपचुनाव में जजपा का बेहतर प्रदर्शन रहा और वह दूसरे नंबर पर रही थी। इस कारण ही सोनीपत लोकसभा सीट से दिग्विजय चौटाला को ही उतार दिया गया, जिससे जजपा पर परिवारवाद का ठप्पा लग गया और हर चुनाव में परिवार के सदस्य को चुनाव लड़ाने की बात जनता करने लगी। इसके अलावा दिग्विजय चौटाला को आखिरी दिन उस समय प्रत्याशी घोषित किया गया, जब कांगे्रस ने आखिरी समय में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को मैदान में उतारा। इससे जाट बिरादरी के बीच चर्चा शुरू हो गई कि दिग्विजय केवल हुड्डा के सामने वोट काटने आए है। इस कारण ही खुद जजपा कैडर का वोट उससे छिटक गया। जहां इनेलो को वर्ष 2014 में 264404 वोट मिले थे, वहीं इस बार जजपा को केवल 50904 तो इनेलो को 9129 वोट मिले है जो पिछली बार मिले वोट के आसपास भी नहीं है। इस कारण ही दोनों को जमानत जब्त हो गई और इनके अलावा अन्य 25 प्रत्याशियों की जमानत भी जब्त हो गई।
नोटा ने अकेले ही 23 उम्मीदवारों को हराया
सोनीपत लोकसभा सीट पर 29 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे। जिनमें भूपेंद्र हुड्डा से लेकर सांसद रमेश कौशिक, दिग्विजय चौटाला, सुरेंद्र छिक्कारा, राजबाला सैनी आदि शामिल थे। इस सीट से भूपेंद्र हुड्डा के चुनावी मैदान में आने पर हॉट सीट बन गई थी। इसके बावजूद बड़ी संख्या में मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया और प्रत्याशियों से ज्यादा नोटा का बटन दबाया गया। जिसका इसी बात से लगाया जा सकता है कि अकेले नोटा ने ही 23 उम्मीदवारों को हरा दिया। नोटा को 2464 वोट मिले और उनसे ज्यादा केवल निर्दलीय प्रत्याशी सतीशराज देशवाल ही वोट हासिल कर सके ।
सोनीपत। लोकसभा सीट से जिस तरह से नतीजे आए है, उससे यह साफ हो गया है कि अब लोग क्षेत्रीय दलों को वोट देने से बच रहे है। यही कारण है कि जजपा के दिग्विजय चौटाला समेत 27 की जमानत जब्त हो गई जो जमानत बचाने के आंकड़े के आसपास तक भी नहीं पहुंच सके। हालात यह हो गए कि जजपा को कैडर का वोट तक नहीं मिल सका और इनेलो के पास भी उनका वोट नहीं बच सका।
सोनीपत लोकसभा सीट से वर्ष 2014 के चुनाव में इनेलो के प्रत्याशी रहे पदम सिंह दहिया को 264404 वोट मिले थे और वह दूसरे नंबर से चंद वोट ही पीछे रहे थे। लेकिन इसबार इनेलो के टूटने से जजपा अलग पार्टी बन गई और यह दोनों ही चुनाव मैदान में उतरी। जजपा ने सबसे पहला जींद उपचुनाव लड़ा, जिसमें पार्टी के संस्थापक व पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला ने अपने भाई दिग्विजय चौटाला को मैदान में उतारा था। जींद उपचुनाव में जजपा का बेहतर प्रदर्शन रहा और वह दूसरे नंबर पर रही थी। इस कारण ही सोनीपत लोकसभा सीट से दिग्विजय चौटाला को ही उतार दिया गया, जिससे जजपा पर परिवारवाद का ठप्पा लग गया और हर चुनाव में परिवार के सदस्य को चुनाव लड़ाने की बात जनता करने लगी। इसके अलावा दिग्विजय चौटाला को आखिरी दिन उस समय प्रत्याशी घोषित किया गया, जब कांगे्रस ने आखिरी समय में पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को मैदान में उतारा। इससे जाट बिरादरी के बीच चर्चा शुरू हो गई कि दिग्विजय केवल हुड्डा के सामने वोट काटने आए है। इस कारण ही खुद जजपा कैडर का वोट उससे छिटक गया। जहां इनेलो को वर्ष 2014 में 264404 वोट मिले थे, वहीं इस बार जजपा को केवल 50904 तो इनेलो को 9129 वोट मिले है जो पिछली बार मिले वोट के आसपास भी नहीं है। इस कारण ही दोनों को जमानत जब्त हो गई और इनके अलावा अन्य 25 प्रत्याशियों की जमानत भी जब्त हो गई।
नोटा ने अकेले ही 23 उम्मीदवारों को हराया
सोनीपत लोकसभा सीट पर 29 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे। जिनमें भूपेंद्र हुड्डा से लेकर सांसद रमेश कौशिक, दिग्विजय चौटाला, सुरेंद्र छिक्कारा, राजबाला सैनी आदि शामिल थे। इस सीट से भूपेंद्र हुड्डा के चुनावी मैदान में आने पर हॉट सीट बन गई थी। इसके बावजूद बड़ी संख्या में मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया और प्रत्याशियों से ज्यादा नोटा का बटन दबाया गया। जिसका इसी बात से लगाया जा सकता है कि अकेले नोटा ने ही 23 उम्मीदवारों को हरा दिया। नोटा को 2464 वोट मिले और उनसे ज्यादा केवल निर्दलीय प्रत्याशी सतीशराज देशवाल ही वोट हासिल कर सके ।