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Haryana: भूकंप के लिहाज से संवेदनशील रोहतक-झज्जर, तुर्किये-सीरिया से दहला दिल

संवाद न्यूज एजेंसी, झज्जर (हरियाणा) Published by: भूपेंद्र सिंह Updated Wed, 08 Feb 2023 02:07 AM IST
सार

रोहतक-झज्जर भूकंप के सिस्मिक संतरी और येलो जोन में आता है। देहरादून से महेंद्रगढ़ तक जमीन के नीचे एक फॉल्ट लाइन है। इसमें अनगिनत दरारें हैं। इन दिनों इन दरारों में गतिविधियां चल रही हैं।

भूकंप
भूकंप - फोटो : iStock

विस्तार

तुर्किये-सीरिया समेत पांच से ज्यादा देशों में आए भूकंप ने दुनिया को हिला कर रख दिया है। देश व दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बार-बार आ रहे भूकंप से लोग दहशतजदा हैं। पर्यावरण विशेषज्ञ इसे ग्लोबल वार्मिंग की चेतवानी बता रहे हैं। लगातार आ रहे भूकंप के कारण बहुमंजिला भवनाें में रहने वाले लोगों को अधिक डर सताने लगा है।



रोहतक जिला सिस्मिक संतरी जोन और झज्जर जिला सिस्मिक येलो जोन की श्रेणी में आता है। झज्जर में नव वर्ष का आगमन भूकंप से हुआ था। झज्जर जिले में रात करीब 1.19 बजे धरती हिलने से हलचल महसूस की गई। जमीन से मात्र पांच किलोमीटर नीचे हलचल दर्ज की गई, जिस कारण काफी लोगों को यह भूकंप महसूस भी हुआ। रोहतक-झज्जर से गुजर रही महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट लाइन के नजदीक अक्सर भूकंप आते रहते हैं। इन पर राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र की भी नजर है।


यह है भूकंप का कारण
देहरादून से महेंद्रगढ़ तक जमीन के नीचे एक फॉल्ट लाइन है। इसमें अनगिनत दरारें हैं। इन दिनों इन दरारों में गतिविधियां चल रही हैं। इसके तहत प्लेट मूवमेंट करती हैं। इसके आपस में हल्की सी टकराने पर ही कंपन पैदा होता है। यह कभी भी कहीं भी हो सकता है। इसी वजह से भूकंप के झटके महसूस होते हैं।

जोन चार और तीन में आता है रोहतक और झज्जर
भूकंपीय जोनिंग मैप के अनुसार रोहतक-झज्जर जोन चार और जोन तीन में आता है। भारत में भूकंप को चार जोन में बांटा गया है, जिसमें जोन दो, तीन, चार और पांच शामिल हैं। इसको खतरों के हिसाब से आंका जाता है। जोन दो में सबसे कम खतरा और जोन पांच में सबसे अधिक खतरा होता है। मैप में जोन दो को आसमानी रंग, जोन तीन को पीला रंग, जोन चार को संतरी रंग और जोन पांच को लाल रंग दिया गया है। इसमें रोहतक जिले का दिल्ली साइड का क्षेत्र जोन चार व हिसार साइड का क्षेत्र जोन तीन में आता है। वहीं झज्जर क्षेत्र जोन तीन में आता है।

नए साल पर आया था भूकंप
हरियाणा में रात 1:19 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। झज्जर का बेरी भूकंप का केंद्र रहा और इसकी तीव्रता 3.8 रही। गहराई जमीन में पांच किलोमीटर थी। हालांकि भूकंप की तीव्रता कम होने के कारण जान माल की कोई हानि नहीं हुई।

भूकंप के केंद्र को ऐसे जानें

  • जोन-एक: पश्चिमी मध्यप्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और उड़ीसा के हिस्से आते हैं। यहां भूकंप का सबसे कम खतरा है।
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  • जोन-दो: तमिलनाडु, राजस्थान और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा। यहां भूकंप की संभावना रहती है।
  • जोन-तीन: केरल, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, पश्चिमी राजस्थान, पूर्वी गुजरात, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा आता है। इस जोन में भूकंप के झटके आते रहते हैं।
  • जोन-चार : मुंबई, दिल्ली जैसे महानगर, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी गुजरात, उत्तरांचल, उत्तरप्रदेश के पहाड़ी इलाके और बिहार-नेपाल सीमा के इलाके शामिल हैं। यहां भूकंप का खतरा लगातार बना रहता है और रुक-रुक कर भूकंप आते रहते हैं।
  • जोन-पांच : भूकंप के लिहाज से ये सबसे खतरनाक इलाका है। इसमें गुजरात का कच्छ इलाका, उत्तरांचल का एक हिस्सा और पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्य शामिल हैं।


ऐसे समझें रिक्टर स्केल की तीव्रता

  • रिएक्टर स्केल के अनुसार 2.0 की तीव्रता से कम वाले भूकंपीय झटकों की संख्या रोजाना लगभग आठ हजार होती है, जो इंसान को महसूस ही नहीं होते।
  • 2.0 से लेकर 2.9 की तीव्रता वाले लगभग एक हजार झटके रोजाना दर्ज किए जाते हैं, लेकिन आम तौर पर ये भी महसूस नहीं होते।
  • रिएक्टर स्केल पर 3.0 से लेकर 3.9 की तीव्रता वाले भूकंपीय झटके साल में लगभग 49 हजार बार दर्ज किए जाते हैं, जो अक्सर महसूस नहीं होते, लेकिन कभी-कभार ये नुकसान कर देते हैं।
  • 4.0 से 4.9 की तीव्रता वाले भूकंप साल में लगभग 6200 बार दर्ज किए जाते हैं। इस वेग वाले भूकंप से थरथराहट महसूस होती है और कई बार नुकसान भी हो जाता है।
  • 5.0 से 5.9 तक का भूकंप एक छोटे क्षेत्र में स्थित कमजोर मकानों को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाता है, जो साल में लगभग 800 बार महसूस होता है।
  • 6.0 से 6.9 तक की तीव्रता वाला भूकंप साल में लगभग 120 बार दर्ज किया जाता है और यह 160 किलोमीटर तक के दायरे में काफी घातक साबित हो सकता है।
  • 7.0 से लेकर 7.9 तक की तीव्रता का भूकंप एक बड़े क्षेत्र में भारी तबाही मचा सकता है और जो एक साल में लगभग 18 बार दर्ज किया जाता है।
  • रिएक्टर स्केल पर 8.0 से लेकर 8.9 तक की तीव्रता वाला भूकंपीय झटका सैकड़ों किलोमीटर के क्षेत्र में भीषण तबाही मचा सकता है, जो साल में एकाध बार महसूस होता है।
  • 9.0 से लेकर 9.9 तक के पैमाने का भूकंप हजारों किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही मचा सकता है, जो 20 साल में लगभग एक बार आता है।
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