रोहतक। प्रदेश के पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर व महम के विधायक बलराज कुंडू के बीच मानहानि के केस में अब 19 फरवरी को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। हाईकोर्ट ने साफ किया है कि पूर्व मंत्री के वकील अपने तर्क के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों को उदाहरण के तौर पर रख सकते हैं, जबकि विधायक बलराज कुंडू अपने वकील के माध्यम से याचिकाकर्ता द्वारा दी गई अर्जी के जवाब में अपना पक्ष रख सकते हैं। महम के विधायक बलराज कुंडू लंबे समय तक भाजपा में रहे, लेकिन विधानसभा चुनाव 2019 से पहले जिला परिषद चेयरमैन पद से त्यागपत्र दे दिया था। जब पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो कुंडू ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर न केवल चुनाव लड़ा, बल्कि जीत भी हासिल की। प्रदेश में भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार बनी। जनवरी 2020 में न केवल कुंडू ने पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, बल्कि सरकार से भी किनारा कर लिया। महम विधायक ने पूर्व मंत्री पर जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से लेकर विकास कार्यों को जोड़कर कई आरोप मीडिया के सामने लगाए। पूर्व मंत्री ने फरवरी 2020 में महम विधायक के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया। ट्रायल कोर्ट ने महम विधायक को समन जारी कर कोर्ट में पेश होने के लिए कहा। इस आदेश को महम विधायक ने रिवीजन कोर्ट में चुनौती दी। रिवीजन कोर्ट ने महम विधायक की याचिका को स्वीकार करते हुए ट्रायल कोर्ट द्वारा महम विधायक को जारी समन रद्द कर दिए। साथ ही कहा कि ट्रायल कोर्ट नए सिरे से केस की सुनवाई करे। पूर्व मंत्री ने हाईकोर्ट में रिवीजन कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने आगे बहस के लिए 19 फरवरी की तारीख तय की है।
रोहतक। प्रदेश के पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर व महम के विधायक बलराज कुंडू के बीच मानहानि के केस में अब 19 फरवरी को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। हाईकोर्ट ने साफ किया है कि पूर्व मंत्री के वकील अपने तर्क के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों को उदाहरण के तौर पर रख सकते हैं, जबकि विधायक बलराज कुंडू अपने वकील के माध्यम से याचिकाकर्ता द्वारा दी गई अर्जी के जवाब में अपना पक्ष रख सकते हैं। महम के विधायक बलराज कुंडू लंबे समय तक भाजपा में रहे, लेकिन विधानसभा चुनाव 2019 से पहले जिला परिषद चेयरमैन पद से त्यागपत्र दे दिया था। जब पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो कुंडू ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर न केवल चुनाव लड़ा, बल्कि जीत भी हासिल की। प्रदेश में भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार बनी। जनवरी 2020 में न केवल कुंडू ने पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, बल्कि सरकार से भी किनारा कर लिया। महम विधायक ने पूर्व मंत्री पर जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से लेकर विकास कार्यों को जोड़कर कई आरोप मीडिया के सामने लगाए। पूर्व मंत्री ने फरवरी 2020 में महम विधायक के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया। ट्रायल कोर्ट ने महम विधायक को समन जारी कर कोर्ट में पेश होने के लिए कहा। इस आदेश को महम विधायक ने रिवीजन कोर्ट में चुनौती दी। रिवीजन कोर्ट ने महम विधायक की याचिका को स्वीकार करते हुए ट्रायल कोर्ट द्वारा महम विधायक को जारी समन रद्द कर दिए। साथ ही कहा कि ट्रायल कोर्ट नए सिरे से केस की सुनवाई करे। पूर्व मंत्री ने हाईकोर्ट में रिवीजन कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने आगे बहस के लिए 19 फरवरी की तारीख तय की है।