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Rohtak: दो माह पहले रची गई थी ट्रांसपोर्ट के कारोबार में हिस्सेदारी की साजिश, शूटर सहित खरावड़ के तीन गिरफ्तार

अमर उजाला ब्यूरो, रोहतक (हरियाणा) Published by: भूपेंद्र सिंह Updated Wed, 08 Feb 2023 12:40 AM IST
सार

मोनू डागर को यूनियन प्रधान जितेंद्र का मोबाइल नंबर सुमित उर्फ रवींद्र ने दिया था। जसबीर उर्फ जस्सा की डागर से मुलाकात हुई थी। एक जनवरी को गांधरा के नजदीक यूनियन प्रधान का कार्यालय मानकर फायरिंग की गई थी। 

पुलिस की गिरफ्त में आरोपी।
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

विस्तार

हरियाणा के रोहतक में आईएमटी फायरिंग केस की साजिश दो माह पहले रची गई थी। मंगलवार को गिरफ्तार खरावड़ गांव निवासी जसबीर उर्फ जस्सा, सुमित उर्फ रवींद्र व नीरज ने पूछताछ में यह खुलासा किया। बुधवार को सीआईए प्रथम तीनों आरोपियों को अदालत में पेश कर रिमांड पर लेने का प्रयास करेगी।



एसआईटी इंचार्ज डीएसपी यशपाल खटाना ने बताया कि 2 फरवरी को आईएमटी में एशियन पेंट कंपनी के नजदीक भाई-चारा ट्रक यूनियन के कार्यालय में फायरिंग की सूचना मिली। 15 से 20 राउंड हुई फायरिंग में यूनियन कार्यालय का मुंशी सुरेश राणा निवासी पाकस्मा व बलियाना निवासी रामनिवास ट्रक ड्राइवर घायल हो गए।


दोनों के दोनों में गोलियां मारी गई थी। यूनियन के प्रधान बलियाना निवासी जितेंद्र ने पुलिस को बयान दिया कि उसके पास पंजाब की फरीदकोट जेल से मोनू डागर नाम के व्यक्ति का फोन आया था। वह ट्रांसपोर्ट के कारोबार में हिस्सेदारी मांग रहा था। मना करने पर उसने अपने साथियों को भेजकर फायरिंग करवाई है।

पुलिस ने कार्रवाई करते हुए डागर को जहां प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार कर पांच दिन के रिमांड पर लिया था, जबकि एक आरोपी खरावड़ निवासी अंकित को तीन घंटे बाद ही दबोच लिया था। अगले दिन सांघी के दो युवकों को काबू किया। अब पुलिस ने खरावड़ के तीन युवकों जसबीर उर्फ जस्सा, सुमित उर्फ रवींद्र व नीरज को दबोचा है। नीरज फायरिंग में शामिल रहा है।

सुमित व जस्सा करते थे डागर से फोन पर बात
पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि खरावड़ गांव निवासी जसबीर उर्फ जस्सा की जेल में बंद रहे मोनू डागर से मुलाकात हुई थी। उसने अपने साथी सुमित उर्फ रवींद्र को बताया। दोनों जानते थे कि आईएमटी में भाई-चारा ट्रक यूनियन है, जिसके प्रधान जितेंद्र बलियाना है। डागर से फोन करवाकर यूनियन में हिस्सेदारी डाल लेते हैं।

सुमित व जस्सा ने डागर से पंजाब की फरीदकोट जेल में बंद मोनू डागर से मुलाकात की। सुमित ने जितेंद्र प्रधान का नंबर डागर को दिया। डागर ने पहले 31 दिसंबर को जितेंद्र प्रधान को कॉल की। मना करने पर एक जनवरी गांधरा में जितेंद्र प्रधान का कार्यालय मानकर हवाई फायरिंग की गई। बाद में पता चला कि यहां जितेंद्र का कोई कार्यालय नहीं है। इसके बाद डागर ने दोबारा जितेंद्र प्रधान से 17 जनवरी को बात की। बातचीत में डागर कह रहा था कि तेरे कार्यालय में फायरिंग हो चुकी है। जब जितेंद्र ने मना कर दिया तो पता चला कि गलती से गांधरा में फायरिंग हो गई।
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यूनियन कार्यालय की रैकी कर की गई फायरिंग
सुमित व जस्सा ने भाई-चारा यूनियन के कार्यालय की रैकी की। इसकी सूचना चारों शूटर को दी गई। वे कार्यालय में पहुंचे और अंधाधुंध फायरिंग की गई। गनीमत यह रही कि जितेंद्र प्रधान कार्यालय में नहीं थे। शूटरों का मकसद किसी की हत्या नहीं, बल्कि दहशत फैलाना था। इसलिए मुंशी व ड्राइवर के पैरों में गोली मारी गई।

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