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रोहतक का करौंथा कांड: पुलिस फिर नाकाम, अदालत में ईंट व पत्थरों से साबित नहीं कर सकी आरोप, 16 साल चली सुनवाई
माई सिटी रिपोर्टर, रोहतक (हरियाणा)
Published by: नवीन दलाल
Updated Sat, 01 Apr 2023 01:27 PM IST
सार
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रोहतक में साल 2006 में करौंथा के सतलोक आश्रम के बाहर हिंसा हुई। सदर थाने में रामपाल सहित 38 लोगों के खिलाफ दर्ज किया था। लेकिन पुलिस अदालत में यह साबित नहीं कर सकी किसने गोली चलाई।
रोहतक के बहुचर्चित करौंथा कांड में एक बार फिर पुलिस की किरकिरी हुई है। ईंट व पत्थरों को सबूत बनाकर अदालत में ले गई पुलिस यह नहीं साबित कर सकी कि झज्जर जिले के गांव बाघपुर के युवक सोनू की हत्या आरोपियों ने की है। रामपाल सहित 24 आरोपियों के बाद अदालत ने रामपाल के भाई सोनीपत जिले के गांव धनाना निवासी महेंद्र सिंह सहित छह अभियुक्तों को और बरी कर दिया है। हालांकि अदालत ने आर्म्ज एक्ट में सोनीपत के पिपली गांव निवासी आजाद को दो साल की कैद व 5 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
पांच अभियुक्त 2015 से थे भगौड़ा घोषित, रामपाल के बरी होने के बाद किया था अदालत में सरेंडर
बचाव पक्ष के वकील रणबीर सिंह अहलावत ने बताया कि रामपाल के बंदी छोड़ भक्ति मुक्ति ट्रस्ट ने करौंथा में सतलोक आश्रम खोला था, लेकिन स्वामी दयानंद द्वारा लिखित पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश पर कथित टिप्पणी के चलते आर्य समाजियों व आसपास के ग्रामीणों ने विरोध किया। 12 जुलाई 2006 को करौंथा के सतलोक आश्रम के बाहर भीड़ एकत्रित हो गई। तनाव के बीच गोली लगने से झज्जर जिले के गांव बाघपुर के युवक सोनू की मौत हो गई थी, जबकि 61 लोग घायल हुए।
16 साल चली सुनवाई, 500 पेज की चार्जशीट, 79 गवाह, फिर भी रामपाल सहित सभी आरोपी बरी
पुलिस ने रामपाल सहित अन्य को हिरासत में लेकर आश्रम को सील कर कब्जे में ले लिया था। हालांकि, हाईकोर्ट से रामपाल को दो साल बाद जमानत मिल गई। 2013 में आश्रम को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बंदी छोड़ भक्ति मुक्ति ट्रस्ट को दे दिया गया। इसी बीच रामपाल समर्थकों ने बरवाला में भी आश्रम बना लिया। करौंथा में दोबारा हुई हिंसा के बाद रामपाल बरवाला में शिफ्ट हो गए।
2006 में गोली लगने से एक युवक की हुई थी मौत, 61 घायल
नवंबर 2014 में करौंथा कांड की सीबीआई से जांच की मांग उठी। हाईकोर्ट ने रामपाल की जमानत रद्द कर दी और अदालत में पेश होने के लिए कहा। रामपाल हाईकोर्ट में पेश नहीं हुआ, इसके चलते कोर्ट ने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने के लिए पुलिस प्रशासन को आदेश दिए। जब पुलिस उसे गिरफ्तार करने पहुंची तो बरवाला में हिंसा हो गई। रामपाल को बरवाला के एक केस में उम्रकैद की सजा हुई है, जबकि रोहतक के करौंथा कांड में सभी आरोपी बरी हो गए हैं।
ये हुए अब बरी
महेंद्र सिंह, रामपाल का भाई निवासी गांव धनाना, जिला सोनीपत
प्रेम सिंह निवासी करौंथा, जिला रोहतक
सुरेंद सिंह निवासी फतेहपुर, जिला झज्जर
आजाद सिंह निवासी पिपली जिला सोनीपत
रवींद्र सिंह निवासी बरवाला, जिला हिसार
मुकेश निवासी गांधरा, जिला रोहतक
पांच आरोपियों की हो चुकी है मौत
धर्मेंद्र निवासी करौंथा, रोहतक
कृष्ण निवासी करसौला, जींद
हवासिंह निवासी पिल्लूखेड़ा, जींद
सतीशचंद्र निवासी सुंडाना, रोहतक
महेंद्र निवासी पंजाबी बाग, दिल्ली
रामपाल ये हुए थे दिसंबर माह में बरी
21 दिसंबर 2022 को अदालत ने रामपाल, उसके बेटे वीरेंद्र के अलावा आरोपी मनोज, पुरुषोत्तम, विजेंद्र, सूरजमल, अनिल कुमार, जगबीर, हरजीत, हवलदार जसबीर, हवलदार बिजेंद्र, अमित, कृष्ण, बसंत, राजकुमार, प्रीतम, रामफल, राजेंद्र, जितेंद्र, रवींद्र ढाका, जगदीश, अशोक कुमार व दो अन्य को बरी कर दिया। केस में 38 लोग आरोपी बनाए गए थे। जिनमें से पांच की मौत हो गई, जबकि बाकी बरी हो गए हैं।
16 साल चली सुनवाई, 500 पेज की चार्जशीट, 79 गवाह
साल 2006 में करौंथा के सतलोक आश्रम के बाहर हिंसा हुई। सदर थाने में रामपाल सहित 38 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 307, 120बी, 148, 149 व आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था। पुलिस ने 500 पेज की चार्जशीट दाखिल की, जिसमें 79 गवाह बनाए गए। इसमें 26 स्वतंत्र गवाह थे। साथ ही पुलिस ने दो 315 बोर की रिवाल्वर, आठ 12 बोर की गन, एक एसएलएआर व एक स्टेनगन बरामद की।
गवाह यह नहीं बता सके कि किसने गोली चलाई
केस में झज्जर जिले के गांव बाघपुर निवासी 20 वर्षीय सोनू की गोली लगने से मौत हुई। यह गोली 315 बोर की रिवाल्वर से चली थी, लेकिन पुलिस अदालत में यह साबित नहीं कर सकी कि सोनू को गोली पुलिस द्वारा बरामद हथियारों में से चली है। दूसरा, गवाह यह नहीं बता सके कि किसने गोली चलाई। ऐसे साक्ष्यों के अभाव में रामपाल सहित 24 आरोपियों के बाद रामपाल के भाई महेंद्र सहित छह आरोपी और बरी हो गए हैं।
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