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हेमचंद्र विक्र मादित्य पर पुस्तक विमोचित
Rohtak
Updated Mon, 28 Jan 2013 05:30 AM IST
रेवाड़ी। देश के अंतिम हिंदू सम्राट और रेवाड़ी के एक व्यापारी से दिल्ली के तख्त पर बैठने वाले अमर योद्धा हेमचंद्र विक्रमादित्य पर प्रकाशित पुस्तक का लोकार्पण किया गया। हेमचंद्र विक्रमादित्य फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित साहित्यिक कार्यक्रम वीर हेमू को समर्पित रहा।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर अनिरुद्ध यादव ने कहा कि अनेक ऐसे योद्धा हैं जिन्हें न्यायोचित सम्मान नहीं मिल पाया है। ऐसी स्थिति में रचनाकारों का दायित्व बनता है कि वे उन योद्धाओं के अनछुए पहलुओं पर कलम चलाएं। कुतुबपुर स्थित भृगु आशीष भवन में समाजसेवी डॉ. तारा सक्सेना की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में पुस्तक के लेखक विजय यादव ने अनेक रोचक और मार्मिक प्रसंग सुनाए। पुस्तक की समीक्षा करते हुए युवा कवि सत्यवीर नाहड़िया ने इसे कवित्त, कुंडली, दोहा, चौपाई, घनाक्षरी छंदों से सजा एक अनूठा काव्य दस्तावेज बताया। हिंदी साधक डॉ.अनिल यादव ने रचनाकार का परिचय कराया तो डॉ. एलएन शर्मा ने इतिहास के पुनर्लेखन अभियान में इस पुस्तक को मील का पत्थर बताया। वरिष्ठ रचनाकार विपिन सुनेजा, रमेश सिद्धार्थ, रमेश कौशिक, श्रीनिवास शास्त्री, श्यामसुंदर सिंहल, नरेश चौहान आदि ने रचनाकार की साधना को सराहते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं।
इस मौके पर संयोजक सुधीर भार्गव, राकेश भार्गव, प्रदीप भार्गव, रजनी भार्गव, डॉ. एसएन सक्सेना, ब्रजरानी भार्गव, हरीश ओबराय, डीपी गर्ग, अशोक गोयल, दशरथ चौहान, डॉ. कंवर सिंह, डॉ. राम अवतार, श्रीभगवान, सुधा भार्गव आदि मौजूद रहे।
रेवाड़ी। देश के अंतिम हिंदू सम्राट और रेवाड़ी के एक व्यापारी से दिल्ली के तख्त पर बैठने वाले अमर योद्धा हेमचंद्र विक्रमादित्य पर प्रकाशित पुस्तक का लोकार्पण किया गया। हेमचंद्र विक्रमादित्य फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित साहित्यिक कार्यक्रम वीर हेमू को समर्पित रहा।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर अनिरुद्ध यादव ने कहा कि अनेक ऐसे योद्धा हैं जिन्हें न्यायोचित सम्मान नहीं मिल पाया है। ऐसी स्थिति में रचनाकारों का दायित्व बनता है कि वे उन योद्धाओं के अनछुए पहलुओं पर कलम चलाएं। कुतुबपुर स्थित भृगु आशीष भवन में समाजसेवी डॉ. तारा सक्सेना की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में पुस्तक के लेखक विजय यादव ने अनेक रोचक और मार्मिक प्रसंग सुनाए। पुस्तक की समीक्षा करते हुए युवा कवि सत्यवीर नाहड़िया ने इसे कवित्त, कुंडली, दोहा, चौपाई, घनाक्षरी छंदों से सजा एक अनूठा काव्य दस्तावेज बताया। हिंदी साधक डॉ.अनिल यादव ने रचनाकार का परिचय कराया तो डॉ. एलएन शर्मा ने इतिहास के पुनर्लेखन अभियान में इस पुस्तक को मील का पत्थर बताया। वरिष्ठ रचनाकार विपिन सुनेजा, रमेश सिद्धार्थ, रमेश कौशिक, श्रीनिवास शास्त्री, श्यामसुंदर सिंहल, नरेश चौहान आदि ने रचनाकार की साधना को सराहते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं।
इस मौके पर संयोजक सुधीर भार्गव, राकेश भार्गव, प्रदीप भार्गव, रजनी भार्गव, डॉ. एसएन सक्सेना, ब्रजरानी भार्गव, हरीश ओबराय, डीपी गर्ग, अशोक गोयल, दशरथ चौहान, डॉ. कंवर सिंह, डॉ. राम अवतार, श्रीभगवान, सुधा भार्गव आदि मौजूद रहे।