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पानीपत। उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम के पास ट्रांसफार्मरों का टोटा चल रहा है। जरूरत के हिसाब से ट्रांसफार्मर न मिलने के कारण उपभोक्ताओं की परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। एक बार जिस भी क्षेत्र का ट्रांसफार्मर फूंक जाए या किसी क्षेत्र को नए ट्रांसफार्मर की जरूरत पड़े तो किसी को भी आसानी से ट्रांसफार्मर नहीं मिल पाता। लोगाें की मानें तो नया ट्रांसफार्मर पाने को शहरी क्षेत्राें में कई-कई दिन व ग्रामीण क्षेत्रों में सप्ताह भर या अधिक समय तक पापड़ बेलने पड़ते हैं।
उत्तर हरियाणा बिजली निगम के पानीपत सर्कल में इस समय लगभग 14 हजार ट्रांसफार्मर चालू हालत में हैं, जबकि जरूरत साढे़ पंद्रह हजार से भी ज्यादा ट्रांसफार्मरों की है। करीब डेढ़ हजार ट्रांसफार्मरों की तो अरजेंट रिक्वायरमेंट है। ये ट्रांसफार्मर मिलने के बाद ही कुछ सुधार हो पाएंगे। इसके विपरीत निगम के अधिकारी बेहतर एवं सुचारु बिजली उपलब्ध कराने का दावा कर रहे हैं। अधिकारियों की मानें तो पानीपत सर्कल में जिन डेढ़ हजार ट्रांसफार्मरों की जरूरत है, उनकी डिमांड उच्चाधिकारियों के पास भेजी हुई है।
यह है स्थिति
इस समय पानीपत सर्कल में चालू हालत के सिटी डिवीजन में 2429, सब अर्बन में 6103 व समालखा डिवीजन में 5398 ट्रांसफार्मर हैं। जबकि जरूत के हिसाब से 25 केवीए के 860, 63 केवीए 500 व 100 केवीए के 275 ट्रांसफार्मरों की जरूरत है।
पचास ट्रांसफार्मर लगे हैं नए
हाल ही में निगम ने पानीपत सर्कल में हाल ही में 50 नए ट्रांसफार्मर लगाए हैं। इनमें 200 केवीए के 40 और 400 केवीए के 10 ट्रांसफार्मर हैं। ये ट्रांसफार्मर लगने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं है। उपभोक्ताओं की परेशानियां ज्यों की त्याें बनी है।
लोड बढ़ने से लाइन होती हैं ट्रिप
गर्मियों में बिजली की डिमांड बढ़ने के कारण लाइनें बार-बार ट्रिप हो जाती हैं। समय के साथ-साथ जनसंख्या भी बढ़ रही है और बिजली के कनेक्शन भी। इसके हर मोहल्ले में कोई न कोई कुछ न कुछ बिजली का नया उपकरण लेेकर आते रहते हैं। इससे वे अपने कनेक्शनों पर तो लोड बढ़वा लेते हैं, लेकिन उनके क्षेत्रों में रखे ट्रांसफार्मर का लोड पहले के जैसा ही रहता है। निगम ट्रांसफार्मर की क्षमता बढ़ाने की जहमत नहीं उठा रहा।
अघोषित कटों से नहीं मिल रही मुक्ति
लाइनों के ट्रिप होने का सिलसिला लगातार जारी रहता है। निगम के अधिकारी भी एक फीडर के ट्रिप होने के बाद संबंधित क्षेत्र का साथ वाले किसी अन्य फीडर से जोड़ देते हैं। इसके बाद लोड बढ़ने के कारण दूसरा फीडर भी ट्रिप हो जाता है। इस तरह बहुत से क्षेत्रों में बार-बार अघोषित कट लगते रहते हैं।
बिजली और पानी को लेकर हाहाकार
अघोषित कटों के चलते बहुत से शहरी व ग्रामीणों क्षेत्रों में बिजली व पानी को लेकर हाहाकार मचता रहता है। गर्मी के मौसम में बिजली न मिल पाने के कारण लोगों को रात काटनी मुश्किल हो जाती है। इसके अलावा पेयजल की भी मोटी समस्या है। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों मेें बिजली गायब रहने के समय पेयजल की सप्लाई करने वाले ट्यूबवेलों को चलाने का कोई अन्य विकल्प नहीं है।
कोट
ट्रांसफार्मरों से जुड़ी कोई परेशानी नहीं है। बिजली सप्लाई को और भी ज्यादा सुचारु बनाने के लिए हाल ही में कुछ नए ट्रांसफार्मरों की डिमांड भी उच्चाधिकारियों के पास भेजी है। इसे जल्द ही पूरा होेने की संभावना है।
एमएस दहिया, एसई, पानीपत सर्कल, बिजली निगम
पानीपत। उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम के पास ट्रांसफार्मरों का टोटा चल रहा है। जरूरत के हिसाब से ट्रांसफार्मर न मिलने के कारण उपभोक्ताओं की परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। एक बार जिस भी क्षेत्र का ट्रांसफार्मर फूंक जाए या किसी क्षेत्र को नए ट्रांसफार्मर की जरूरत पड़े तो किसी को भी आसानी से ट्रांसफार्मर नहीं मिल पाता। लोगाें की मानें तो नया ट्रांसफार्मर पाने को शहरी क्षेत्राें में कई-कई दिन व ग्रामीण क्षेत्रों में सप्ताह भर या अधिक समय तक पापड़ बेलने पड़ते हैं।
उत्तर हरियाणा बिजली निगम के पानीपत सर्कल में इस समय लगभग 14 हजार ट्रांसफार्मर चालू हालत में हैं, जबकि जरूरत साढे़ पंद्रह हजार से भी ज्यादा ट्रांसफार्मरों की है। करीब डेढ़ हजार ट्रांसफार्मरों की तो अरजेंट रिक्वायरमेंट है। ये ट्रांसफार्मर मिलने के बाद ही कुछ सुधार हो पाएंगे। इसके विपरीत निगम के अधिकारी बेहतर एवं सुचारु बिजली उपलब्ध कराने का दावा कर रहे हैं। अधिकारियों की मानें तो पानीपत सर्कल में जिन डेढ़ हजार ट्रांसफार्मरों की जरूरत है, उनकी डिमांड उच्चाधिकारियों के पास भेजी हुई है।
यह है स्थिति
इस समय पानीपत सर्कल में चालू हालत के सिटी डिवीजन में 2429, सब अर्बन में 6103 व समालखा डिवीजन में 5398 ट्रांसफार्मर हैं। जबकि जरूत के हिसाब से 25 केवीए के 860, 63 केवीए 500 व 100 केवीए के 275 ट्रांसफार्मरों की जरूरत है।
पचास ट्रांसफार्मर लगे हैं नए
हाल ही में निगम ने पानीपत सर्कल में हाल ही में 50 नए ट्रांसफार्मर लगाए हैं। इनमें 200 केवीए के 40 और 400 केवीए के 10 ट्रांसफार्मर हैं। ये ट्रांसफार्मर लगने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं है। उपभोक्ताओं की परेशानियां ज्यों की त्याें बनी है।
लोड बढ़ने से लाइन होती हैं ट्रिप
गर्मियों में बिजली की डिमांड बढ़ने के कारण लाइनें बार-बार ट्रिप हो जाती हैं। समय के साथ-साथ जनसंख्या भी बढ़ रही है और बिजली के कनेक्शन भी। इसके हर मोहल्ले में कोई न कोई कुछ न कुछ बिजली का नया उपकरण लेेकर आते रहते हैं। इससे वे अपने कनेक्शनों पर तो लोड बढ़वा लेते हैं, लेकिन उनके क्षेत्रों में रखे ट्रांसफार्मर का लोड पहले के जैसा ही रहता है। निगम ट्रांसफार्मर की क्षमता बढ़ाने की जहमत नहीं उठा रहा।
अघोषित कटों से नहीं मिल रही मुक्ति
लाइनों के ट्रिप होने का सिलसिला लगातार जारी रहता है। निगम के अधिकारी भी एक फीडर के ट्रिप होने के बाद संबंधित क्षेत्र का साथ वाले किसी अन्य फीडर से जोड़ देते हैं। इसके बाद लोड बढ़ने के कारण दूसरा फीडर भी ट्रिप हो जाता है। इस तरह बहुत से क्षेत्रों में बार-बार अघोषित कट लगते रहते हैं।
बिजली और पानी को लेकर हाहाकार
अघोषित कटों के चलते बहुत से शहरी व ग्रामीणों क्षेत्रों में बिजली व पानी को लेकर हाहाकार मचता रहता है। गर्मी के मौसम में बिजली न मिल पाने के कारण लोगों को रात काटनी मुश्किल हो जाती है। इसके अलावा पेयजल की भी मोटी समस्या है। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों मेें बिजली गायब रहने के समय पेयजल की सप्लाई करने वाले ट्यूबवेलों को चलाने का कोई अन्य विकल्प नहीं है।
कोट
ट्रांसफार्मरों से जुड़ी कोई परेशानी नहीं है। बिजली सप्लाई को और भी ज्यादा सुचारु बनाने के लिए हाल ही में कुछ नए ट्रांसफार्मरों की डिमांड भी उच्चाधिकारियों के पास भेजी है। इसे जल्द ही पूरा होेने की संभावना है।
एमएस दहिया, एसई, पानीपत सर्कल, बिजली निगम