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स्वदेशी व विदेशी छात्रों को दिया कॉपर का ज्ञान
Panipat
Updated Tue, 29 Jan 2013 05:30 AM IST
सोनीपत। इंटरनेशनल कॉपर काउंसिल इंडिया द्वारा गेटवे कालेज में आयोजित दो दिवसीय कॉपर कार्यशाला में मुंबई से पहुंचे कॉपर डिजाइनर गौरव भारद्वाज व उनकी टीम ने स्वदेशी व विदेशी 50 छात्रों ने कॉपर के महत्व व उपयोगिता की जानकारी दी। इस दौरान नेपाल ,भारत, आस्ट्रेलिया, पाकिस्तान से आए छात्रों ने गुर सीखे। इस दौरान आईसीपीसीआई के बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन उपाध्यक्ष ऐश्ले लोबों ने भी तांबे के महत्व पर प्रकाश डाला।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए गौरव भारद्वाज ने बताया कि वर्तमान में हथकरघा उद्योग का महत्व समाप्त होता जा रहा है। हाथ से एक ही क्वालिटी की एक साथ कई वस्तुएं नहीं बनाई जा सकती। वस्तुओं में किसी न किसी तरह की भिन्नता अवश्य मिलेगी। हथकरघा में हर बार डिजाइन में बदलाव आना स्वभाविक है। उन्होंने बताया कि गेटवे स्कूल में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में भारत, आस्ट्रेलिया, नेपाल व पाकिस्तान आदि के नासा में ज्ञान प्राप्त कर रहे छात्रों को कॉपर, पीतल, मिश्रित धातू, कांच, जर्मन सिल्वर द्वारा मीनाकारी करने के टिप्स दिए गए । उन्होेंने बताया कि कार्यशाला में उपरोक्त धातुओं के मिश्रण द्वारा लाईट बनाने व मिरर ग्लास बनाने के साथ अन्य उपयोगी वस्तुऐं बनाने संबंधी जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि छात्रों को ही नहीं बल्कि प्राध्यापकों व प्रोफेसरों को भी कॉपर व अन्य धातुओं के मिश्रण की जानकारी नहीं है। उन्होंने केन्द्र और राज्य सरकारों से कापर व अन्य धातुओं के मिश्रण व प्रयोग के बारे पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की। इस मौके पर सविता व एश्ले लोबो ने भी उपरोक्त मिश्रण के द्वारा र्निमित वस्तुओं की जानकारी दी।
सोनीपत। इंटरनेशनल कॉपर काउंसिल इंडिया द्वारा गेटवे कालेज में आयोजित दो दिवसीय कॉपर कार्यशाला में मुंबई से पहुंचे कॉपर डिजाइनर गौरव भारद्वाज व उनकी टीम ने स्वदेशी व विदेशी 50 छात्रों ने कॉपर के महत्व व उपयोगिता की जानकारी दी। इस दौरान नेपाल ,भारत, आस्ट्रेलिया, पाकिस्तान से आए छात्रों ने गुर सीखे। इस दौरान आईसीपीसीआई के बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन उपाध्यक्ष ऐश्ले लोबों ने भी तांबे के महत्व पर प्रकाश डाला।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए गौरव भारद्वाज ने बताया कि वर्तमान में हथकरघा उद्योग का महत्व समाप्त होता जा रहा है। हाथ से एक ही क्वालिटी की एक साथ कई वस्तुएं नहीं बनाई जा सकती। वस्तुओं में किसी न किसी तरह की भिन्नता अवश्य मिलेगी। हथकरघा में हर बार डिजाइन में बदलाव आना स्वभाविक है। उन्होंने बताया कि गेटवे स्कूल में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में भारत, आस्ट्रेलिया, नेपाल व पाकिस्तान आदि के नासा में ज्ञान प्राप्त कर रहे छात्रों को कॉपर, पीतल, मिश्रित धातू, कांच, जर्मन सिल्वर द्वारा मीनाकारी करने के टिप्स दिए गए । उन्होेंने बताया कि कार्यशाला में उपरोक्त धातुओं के मिश्रण द्वारा लाईट बनाने व मिरर ग्लास बनाने के साथ अन्य उपयोगी वस्तुऐं बनाने संबंधी जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि छात्रों को ही नहीं बल्कि प्राध्यापकों व प्रोफेसरों को भी कॉपर व अन्य धातुओं के मिश्रण की जानकारी नहीं है। उन्होंने केन्द्र और राज्य सरकारों से कापर व अन्य धातुओं के मिश्रण व प्रयोग के बारे पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की। इस मौके पर सविता व एश्ले लोबो ने भी उपरोक्त मिश्रण के द्वारा र्निमित वस्तुओं की जानकारी दी।