पंचकूला। सिटीजन वेलफेयर एसोसिएशन और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच बुधवार को हुई बैठक में सेक्टरों के रुके काम और अन्य मसलों पर चरचा हुई। एसोसिएशन ने अपनी प्रमुख मांग रखते हुए कहा कि आरडब्ल्यूए को डोमिसाइल सर्टिफिकेट, जाति प्रमाण पत्र, मैरिज रजिस्ट्रेशन और रेजिडेंट्स सर्टिफिकेट को प्रमाणित करने का अधिकार भी दिया जाए।
एसोसिएशन का दावा है कि 2003 से पहले वे सर्टिफिकेट को प्रमाणित भी करते थे, लेकिन जब से नगर परिषद बनी, यह अधिकार पार्षदों के पास चला गया। उन्होंने यह भी दलील दी कि जब तक नगर परिषद और नगर निगम का मुद्दा सुलझ नहीं पाता, तब तक यह अधिकार उन्हें सौंप दिया जाए।
एसोसिएशन की सभी मांगों को सुनने के बाद निगम कमिशभनर और उपायुक्त ने आश्वासन दिया कि वे जल्द ही पब्लिक को ध्यान में रखते हुए फैसला लेंगी। इसके अलावा अन्य मांगों पर भी जल्द से जल्द फैसला लिया जाएगा। इससे पहले सिटीजन वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़ीं आरडब्ल्यूए ने अपनी-अपनी मांगें रखीं। एसोसिएशन ने हुडा के घग्गर पार सेक्टरों की साफ-सफाई और स्ट्रीट लाइट की मेंटीनेंस की जिम्मेदारी निगम को सौंपने की मांग रखी। वहीं, एसोसिएशन का कहना है कि शहर में लावारिस जानवरों की संख्या में इजाफा हो रहा है और इसे रोकने में नगर निगम नाकाम रहा है।
एसोसिएशन ने कहा कि अधिकतर सेक्टरों की बी रोड खराब है। इनकी जल्द से जल्द से मरम्मत की जाए। कई जगहों पर फालतू बने स्पीड ब्रेकर जल्द से जल्द से हटाए जाएं। एसोसिएशन ने मांग रखी कि सेक्टर 28 से पीजीआई चंडीगढ़ वाया सेक्टर 21-20 से होते हुई बस की सुविधा हो। उन्होंने कहा कि सेक्टर 9 डिस्पेंसरी की बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई है, लेकिन अब तक वह काम नहीं कर रही है। बैठक में सीटीएम अश्विनी मलिक, हुडा एस्टेट अधिकारी अश्विनी शर्मा, नगर निगम के ईओ ओपी सिहाग, एक्सईएन प्रीतमोहन, एसोसिएशन के प्रेसिडेंट एसके नैय्यर, एसके छाबड़ा, वीके सिंगला, सुनील वशिष्ठ, विजय अरोड़ा और सुभाष चंद्र सचदेवा सहित कई एसोसिएशन के नुमाइंदे मौजूद रहे।
सेक्टर 28 की ओर से सौंपा ज्ञापन
मीटिंग में सेक्टर-28 की समस्याओं पर हाउस ऑनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान विजय अरोड़ा ने चरचा की। उन्होंने निगम कमिशभनर आशिमा बराड़ को बताया कि सेक्टर 28 में कोई भी रेहड़ी या बूथ मार्केट नहीं है। रोजमर्रा के सामान के लिए लोगों को रामगढ़ जाना पड़ता है। कम्युनिटी सेंटर का निर्माण इतनी धीमी गति से चल रहा है कि उसकी लागत 79 लाख से एक करोड़ 37 लाख पहुंच गई। पार्क में न तो झूले हैं और न ही बेंच। सीवरेज और वाटर के बिल ऑनलाइन होने चाहिए ताकि लोगों को दिक्कत न आए।