पंचकूला। सरिता आत्महत्या कांड में सीबीआई अहम गवाह सुभाष को फिर से विशेष अदालत में बुलाना चाहती है। इसके लिए सीबीआई अदालत में दायर अर्जी पर शुक्रवार को दोनों पक्षों के बीच बहस हुई। दलीलें सुनने के बाद सीबीआई अदालत ने अर्जी पर फैसले की तारीख पांच फरवरी तय कर दी है। पांच फरवरी को ही तय होगा कि सुभाष की दोबारा से गवाही होगी या नहीं। सीबीआई चाहती है कि उसे अदालत बुलाया जाए और उसके फिर से बयान दर्ज हों। सुभाष सरिता का पति है।
दरअसल, सुभाष ने अपने पहले बयान में आरोपी सिल्कराम को पहचानने से इनकार कर दिया था। बाद में उसने अदालत में एक पत्र देकर कहा कि उसे आरोपियों की तरफ से धमकी मिल रही थी, इसलिए उसने सिल्कराम को पहचानने से इनकार कर दिया। जब इसकी जानकारी सीबीआई को मिली तो उसने अदालत में अर्जी दायर कर सुभाष के दोबारा से बयान दर्ज करने की मांग की। बचाव पक्ष के एडवोकेट विशाल गर्ग का कहना है कि जब वह पहले ही अपने बयान दर्ज करवा चुका है तो उसे दोबारा से बुलाने की क्या जरूरत? सीबीआई अदालत में बुलाकर उस पर दबाव बनाना चाहती है।
उल्लेखनीय है कि सरिता ने नौ जून 2008 को पंचकूला स्थित पुलिस महानिदेशक के कार्यालय में आत्महत्या कर ली थी। चोरी के आरोप में बंद सुभाष की रिहाई के लिए सरिता को रोहतक पुलिस थाने में तैनात बलराज और सिल्कराम ने बुलाया। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने सरिता से दुराचार किया। उसके बाद सरिता ने इंसाफ के लिए गुहार लगाई, लेकिन उसे इंसाफ नहीं मिला। सरिता 9 जून 2008 को मुख्यमंत्री निवास से लौटने के बाद डीजीपी कार्यालय पहुंची और जहर निगल लिया। पुलिस ने उसे पीजीआई में दाखिल कराया, जहां उसने दम तोड़ दिया। उसके बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई।
पंचकूला। सरिता आत्महत्या कांड में सीबीआई अहम गवाह सुभाष को फिर से विशेष अदालत में बुलाना चाहती है। इसके लिए सीबीआई अदालत में दायर अर्जी पर शुक्रवार को दोनों पक्षों के बीच बहस हुई। दलीलें सुनने के बाद सीबीआई अदालत ने अर्जी पर फैसले की तारीख पांच फरवरी तय कर दी है। पांच फरवरी को ही तय होगा कि सुभाष की दोबारा से गवाही होगी या नहीं। सीबीआई चाहती है कि उसे अदालत बुलाया जाए और उसके फिर से बयान दर्ज हों। सुभाष सरिता का पति है।
दरअसल, सुभाष ने अपने पहले बयान में आरोपी सिल्कराम को पहचानने से इनकार कर दिया था। बाद में उसने अदालत में एक पत्र देकर कहा कि उसे आरोपियों की तरफ से धमकी मिल रही थी, इसलिए उसने सिल्कराम को पहचानने से इनकार कर दिया। जब इसकी जानकारी सीबीआई को मिली तो उसने अदालत में अर्जी दायर कर सुभाष के दोबारा से बयान दर्ज करने की मांग की। बचाव पक्ष के एडवोकेट विशाल गर्ग का कहना है कि जब वह पहले ही अपने बयान दर्ज करवा चुका है तो उसे दोबारा से बुलाने की क्या जरूरत? सीबीआई अदालत में बुलाकर उस पर दबाव बनाना चाहती है।
उल्लेखनीय है कि सरिता ने नौ जून 2008 को पंचकूला स्थित पुलिस महानिदेशक के कार्यालय में आत्महत्या कर ली थी। चोरी के आरोप में बंद सुभाष की रिहाई के लिए सरिता को रोहतक पुलिस थाने में तैनात बलराज और सिल्कराम ने बुलाया। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने सरिता से दुराचार किया। उसके बाद सरिता ने इंसाफ के लिए गुहार लगाई, लेकिन उसे इंसाफ नहीं मिला। सरिता 9 जून 2008 को मुख्यमंत्री निवास से लौटने के बाद डीजीपी कार्यालय पहुंची और जहर निगल लिया। पुलिस ने उसे पीजीआई में दाखिल कराया, जहां उसने दम तोड़ दिया। उसके बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई।