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पंचकूला। स्वास्थ्य विभाग की ओर से डेंगू की रोकथाम को लेकर किए जा रहे लाख दावों के बावजूद पंचकूला में संभावित मरीज तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। रोजाना भारी संख्या में मरीज आ रहे हैं। खून की जांच में प्लेटलेट्स काउंट कम आने पर उनको चंडीगढ़ के पीजीआई और सेक्टर-32 के सरकारी अस्पताल में रेफर किया जा रहा है। इसका एक कारण यह भी है कि जनरल अस्पताल में मरीजों के लिए प्लेटलेट्स निकालने की सुविधा नहीं है। आवश्यकता पड़ने पर मरीज के परिजन वहां से प्लेटलेट्स लेकर आते हैं।
जनरल अस्पताल में सर्दी, बुखार, उल्टी, सिर में तेज दर्द, कमजोरी की समस्या से ग्रसित मरीजों के खून की जांच कराने के निर्देश दिए जाते हैं। खून की जांच में प्लेटलेट्स काफी हद तक कम आने पर उन्हें प्लेट लेट्स चढ़ाया जाता है। इमरजेंसी वार्ड में तैनात डाक्टर ने बताया कि अस्पताल में कंपोनेंट सेपरेशन की सुविधा नहीं है। ऐसे में ब्लड से प्लेटलेट्स को सेपरेट नहीं किया जा सकता है। मरीज को चंडीगढ़ के पीजीआई और सेक्टर-32 के सरकारी अस्पताल में रेफर किया जाता है। सूत्रों के अनुसार मौजूदा सीजन में अब तक 100 से अधिक डेंगू के संभावित मरीजों को रेफर किया जा चुका है। सूत्र बताते हैं कि अधिकतर मरीजों को रेफर उनके कार्ड पर ही किया जाता है, ऐसे में अस्पताल के पास कोई भी पक्का रिकार्ड नहीं है।
20 हजार से कम प्लेटलेट्स पर पीजीआई में दाखिल
डाक्टरों के अनुसार जनरल अस्पताल से पीजीआई रेफर किए गए मरीजों में से पीजीआई सिर्फ उन्हीं मरीजों को दाखिल करता है, जिनके प्लेट लेट्स 20 हजार से कम होते हैं। उन्होंने बताया कि सेक्टर-32 के सरकारी अस्पताल में 30 हजार तक के प्लेटलेट्स वाले मरीजों को दाखिल किया जाता है।
अब तक चार दर्जन मरीजों में डेंगू की पुष्टि
जनरल अस्पताल से मिले आंकड़ों के अनुसार अब तक जिले में करीब चार दर्जन डेंगू के पाजीटिव केस की पुष्टि हुई है। रोजाना 200 से अधिक संभावित मरीजों के सैंपल जांच के लिए लगाए जाते हैं। लैब कर्मचारियों का कहना है कि पंचकूला के साथ ही चंडीगढ़, मोहाली और हिमाचल प्रदेश के कई मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है।
कोट्स
ब्लड से प्लेटलेट्स सेपरेट करने के लिए पूरा एक प्रोजेक्ट लगाया जाता है। यह वहीं पर लगाया जा सकता है, जहां पर ब्लड की कलेक्शन अधिक होती है। जनरल अस्पताल में पहले से ही जगह की परेशानी है। नई बिल्डिंग में कंपोनेंट सेपरेशन की सुविधा रहेगी।
-डा. उषा गुप्ता, पीएमओ, जनरल अस्पताल
पंचकूला। स्वास्थ्य विभाग की ओर से डेंगू की रोकथाम को लेकर किए जा रहे लाख दावों के बावजूद पंचकूला में संभावित मरीज तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। रोजाना भारी संख्या में मरीज आ रहे हैं। खून की जांच में प्लेटलेट्स काउंट कम आने पर उनको चंडीगढ़ के पीजीआई और सेक्टर-32 के सरकारी अस्पताल में रेफर किया जा रहा है। इसका एक कारण यह भी है कि जनरल अस्पताल में मरीजों के लिए प्लेटलेट्स निकालने की सुविधा नहीं है। आवश्यकता पड़ने पर मरीज के परिजन वहां से प्लेटलेट्स लेकर आते हैं।
जनरल अस्पताल में सर्दी, बुखार, उल्टी, सिर में तेज दर्द, कमजोरी की समस्या से ग्रसित मरीजों के खून की जांच कराने के निर्देश दिए जाते हैं। खून की जांच में प्लेटलेट्स काफी हद तक कम आने पर उन्हें प्लेट लेट्स चढ़ाया जाता है। इमरजेंसी वार्ड में तैनात डाक्टर ने बताया कि अस्पताल में कंपोनेंट सेपरेशन की सुविधा नहीं है। ऐसे में ब्लड से प्लेटलेट्स को सेपरेट नहीं किया जा सकता है। मरीज को चंडीगढ़ के पीजीआई और सेक्टर-32 के सरकारी अस्पताल में रेफर किया जाता है। सूत्रों के अनुसार मौजूदा सीजन में अब तक 100 से अधिक डेंगू के संभावित मरीजों को रेफर किया जा चुका है। सूत्र बताते हैं कि अधिकतर मरीजों को रेफर उनके कार्ड पर ही किया जाता है, ऐसे में अस्पताल के पास कोई भी पक्का रिकार्ड नहीं है।
20 हजार से कम प्लेटलेट्स पर पीजीआई में दाखिल
डाक्टरों के अनुसार जनरल अस्पताल से पीजीआई रेफर किए गए मरीजों में से पीजीआई सिर्फ उन्हीं मरीजों को दाखिल करता है, जिनके प्लेट लेट्स 20 हजार से कम होते हैं। उन्होंने बताया कि सेक्टर-32 के सरकारी अस्पताल में 30 हजार तक के प्लेटलेट्स वाले मरीजों को दाखिल किया जाता है।
अब तक चार दर्जन मरीजों में डेंगू की पुष्टि
जनरल अस्पताल से मिले आंकड़ों के अनुसार अब तक जिले में करीब चार दर्जन डेंगू के पाजीटिव केस की पुष्टि हुई है। रोजाना 200 से अधिक संभावित मरीजों के सैंपल जांच के लिए लगाए जाते हैं। लैब कर्मचारियों का कहना है कि पंचकूला के साथ ही चंडीगढ़, मोहाली और हिमाचल प्रदेश के कई मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है।
कोट्स
ब्लड से प्लेटलेट्स सेपरेट करने के लिए पूरा एक प्रोजेक्ट लगाया जाता है। यह वहीं पर लगाया जा सकता है, जहां पर ब्लड की कलेक्शन अधिक होती है। जनरल अस्पताल में पहले से ही जगह की परेशानी है। नई बिल्डिंग में कंपोनेंट सेपरेशन की सुविधा रहेगी।
-डा. उषा गुप्ता, पीएमओ, जनरल अस्पताल