पलवल। सार्वदेशिक आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती ने जातिगत आधार पर होने वाली रैलियों पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाने का स्वागत किया है।
उन्होंने कहा कि ब्राह्मण सम्मेलन, हरिजन सम्मेलन, पिछड़ा सम्मेलन और वैश्य सम्मेलन करने पर हरियाणा में भी रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी रैलियों से सामाजिक एकता और समरता को नुकसान होता है। इसकी वजह से लोगों के बीच जहर घोला जाता है।
उन्होंने कहा कि जाति व मजहब के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, जो पाटी जातिवाद, मजहब वाद को बढ़ावा दे उसकी मान्यता समाप्त होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि देश में जातिवाद नहीं होता तो भारत संसार का सर्व शक्तिशाली देश होता। उन्होंने कहा कि जातपात का अंतर जातीय विवाहों से ही मिटाया जा सकता है। राष्ट्रीय एकता के लिए सामाजिक एकता अनिवार्य है, सभी भारतीयों में आपस में रोटी-बेेटी का व्यवहार होना चाहिए। सरस्वती ने कहा कि जातपात मानने वाले हिंदुओं में प्रत्येक हिंदू दूसरे हिंदू के लिए अछूत है। कोई अधिक अछूत है और कोई कम अछूत है। उन्होंने कहा कि एक के हाथ का पानी लेकर तो आप पी सकते है परंतु उसके हाथ का खाना नहीं खा सकते है। एक के हाथ की रोटी खा सकते है लेकिन उसके साथ बेटी का व्यवहार नहीं कर सकते है। उन्होंने कहा कि जातपात को बढ़ावा राजनैतिक पाटी दे रही हैं। सरस्वती ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती के जन्मोत्सव पर पलवल में विशाल जाति तोड़ो सम्मेलन आर्य युवक परिषद के तत्वाधान में आयोजित किया जायेगा।
पलवल। सार्वदेशिक आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती ने जातिगत आधार पर होने वाली रैलियों पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाने का स्वागत किया है।
उन्होंने कहा कि ब्राह्मण सम्मेलन, हरिजन सम्मेलन, पिछड़ा सम्मेलन और वैश्य सम्मेलन करने पर हरियाणा में भी रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी रैलियों से सामाजिक एकता और समरता को नुकसान होता है। इसकी वजह से लोगों के बीच जहर घोला जाता है।
उन्होंने कहा कि जाति व मजहब के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, जो पाटी जातिवाद, मजहब वाद को बढ़ावा दे उसकी मान्यता समाप्त होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि देश में जातिवाद नहीं होता तो भारत संसार का सर्व शक्तिशाली देश होता। उन्होंने कहा कि जातपात का अंतर जातीय विवाहों से ही मिटाया जा सकता है। राष्ट्रीय एकता के लिए सामाजिक एकता अनिवार्य है, सभी भारतीयों में आपस में रोटी-बेेटी का व्यवहार होना चाहिए। सरस्वती ने कहा कि जातपात मानने वाले हिंदुओं में प्रत्येक हिंदू दूसरे हिंदू के लिए अछूत है। कोई अधिक अछूत है और कोई कम अछूत है। उन्होंने कहा कि एक के हाथ का पानी लेकर तो आप पी सकते है परंतु उसके हाथ का खाना नहीं खा सकते है। एक के हाथ की रोटी खा सकते है लेकिन उसके साथ बेटी का व्यवहार नहीं कर सकते है। उन्होंने कहा कि जातपात को बढ़ावा राजनैतिक पाटी दे रही हैं। सरस्वती ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती के जन्मोत्सव पर पलवल में विशाल जाति तोड़ो सम्मेलन आर्य युवक परिषद के तत्वाधान में आयोजित किया जायेगा।