विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को खाद्यान्न की 17 नई बायोफोर्टिफाइड किस्में समर्पित की हैं, इनमें गेहूं की दो जैव संवर्धित किस्में करनाल की हैं। भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल की किस्म डीबीडब्ल्यू-303 व डीडीडब्ल्यू-48 किस्म प्रधानमंत्री के माध्यम से शुक्रवार को रिलीज हो गई हैं। डीबीडब्ल्यू-303 किस्म देश के उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश, राजस्थान व दिल्ली क्षेत्र, जम्मू-कश्मीर व हिमाचल के मैदान इलाकों के लिए उपयुक्त है। इसकी बिजाई 25 अक्तूबर से शुरू हो जाती है। इसकी औसत उपज करीब 81.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, यानि 32.50 क्विंटल प्रति एकड़ है। इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा आम किस्मों से अधिक है। प्रोटीन की मात्रा 12.3 प्रतिशत है।
डीडीडब्ल्यू-48 किस्म महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, गोवा व तमिलनाडू राज्य के लिए है। नवंबर के पहले पखवाड़े में इसकी बिजाई होती है। इसकी औसत उपज 47.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व उत्पादन क्षमता 72 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। यह कठिया गेहूं है, जिसका पास्ता, मैक्रोनी, दलिया व सूजी इत्यादि बनाने में प्रयोग होता है। इस किस्म मेें पीला तत्व होता है, जिससे विटामिन ए बनता है। किस्म में इस तत्व की मात्रा 6.5 पीपीएम है।
संस्थान के निदेशक डा. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि पिछले साल देश में गेहूं का रकबा 31 मिलियन हेक्टेयर था व उत्पादन 107.6 मिलियन टन था। आने वाले समय में सभी के सहयोग से उत्पादन को आगे बढ़ाकर नया कीर्तिमान बनाएंगे। लॉकडाउन में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में अनाज दिया गया, उसमें इस उत्पादन का बहुत बड़ा योगदान है। यह किसान व वैज्ञानिकों के सहयोग व मेहनत से संभव हो पाया है। हम खाद्यान्न के मामले में ना केवल आत्मनिर्भर हैं बल्कि और देशों की सहायता करने में भी सक्षम हैं। इस साल अप्रैल व मई में ईराक व अफगानिस्तान में भारत से गेहूं निर्यात हुआ है। भविष्य में भारत बहुत बड़ा गेहूं निर्यातक बन सकता है।
विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को खाद्यान्न की 17 नई बायोफोर्टिफाइड किस्में समर्पित की हैं, इनमें गेहूं की दो जैव संवर्धित किस्में करनाल की हैं। भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल की किस्म डीबीडब्ल्यू-303 व डीडीडब्ल्यू-48 किस्म प्रधानमंत्री के माध्यम से शुक्रवार को रिलीज हो गई हैं। डीबीडब्ल्यू-303 किस्म देश के उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश, राजस्थान व दिल्ली क्षेत्र, जम्मू-कश्मीर व हिमाचल के मैदान इलाकों के लिए उपयुक्त है। इसकी बिजाई 25 अक्तूबर से शुरू हो जाती है। इसकी औसत उपज करीब 81.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, यानि 32.50 क्विंटल प्रति एकड़ है। इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा आम किस्मों से अधिक है। प्रोटीन की मात्रा 12.3 प्रतिशत है।
डीडीडब्ल्यू-48 किस्म महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, गोवा व तमिलनाडू राज्य के लिए है। नवंबर के पहले पखवाड़े में इसकी बिजाई होती है। इसकी औसत उपज 47.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व उत्पादन क्षमता 72 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। यह कठिया गेहूं है, जिसका पास्ता, मैक्रोनी, दलिया व सूजी इत्यादि बनाने में प्रयोग होता है। इस किस्म मेें पीला तत्व होता है, जिससे विटामिन ए बनता है। किस्म में इस तत्व की मात्रा 6.5 पीपीएम है।
संस्थान के निदेशक डा. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि पिछले साल देश में गेहूं का रकबा 31 मिलियन हेक्टेयर था व उत्पादन 107.6 मिलियन टन था। आने वाले समय में सभी के सहयोग से उत्पादन को आगे बढ़ाकर नया कीर्तिमान बनाएंगे। लॉकडाउन में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में अनाज दिया गया, उसमें इस उत्पादन का बहुत बड़ा योगदान है। यह किसान व वैज्ञानिकों के सहयोग व मेहनत से संभव हो पाया है। हम खाद्यान्न के मामले में ना केवल आत्मनिर्भर हैं बल्कि और देशों की सहायता करने में भी सक्षम हैं। इस साल अप्रैल व मई में ईराक व अफगानिस्तान में भारत से गेहूं निर्यात हुआ है। भविष्य में भारत बहुत बड़ा गेहूं निर्यातक बन सकता है।