किसान आंदोलन के कारण रास्ते बंद होने से उद्योग जगत चिंतित है। रॉ मैटेरियल न आने से कृषि यंत्र इंडस्ट्री में उत्पादन 50 प्रतिशत तक गिर गया है। उद्यमों को चलाए रखने के लिए बाहरी राज्यों से मंगाया जा रहा रॉ मैटेरियल काफी महंगा पड़ रहा है। जिससे तैयार प्रोडक्ट भी महंगा हो रहा है। बड़ी चिंता यह है कि यदि करनाल में दिल्ली से सटे जिलों की इंडस्ट्रियां अपना महंगा माल बाजार में ले जाएंगी तो वह देश की अन्य राज्यों के प्रोडक्ट के आगे पिछड़ सकते हैं। जिसकी भरपाई काफी लंबे समय में हो पाएगी। यानी इंडस्ट्री को मौजूदा समय में तो रोज करोड़ों का नुकसान हो ही रहा वहीं आगामी वर्ष में भी कई महीनों तक यह नुकसान झेलना पड़ेगा। उद्योग जगत ने आशंका जताई है कि यही स्थिति रही तो इंडस्ट्रियां बंद करने की नौबत आ जाएगी।
हरियाणा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री करनाल के चेयरमैन आरएल शर्मा ने बताया कि कृषि आधारित इंडस्ट्री भी किसानों से जुड़ी है। किसान देश के लिए अहम हैं, लेकिन 125 करोड़ अन्य लोग भी हैं, इनका भी ख्याल रखा जाना चाहिए। इसी तरह से रास्ते जाम रहे तो वह दिन दूर जब इंडस्ट्रियां बंद हो जाएंगी। न तो रॉ मैटेरियल आ रहा है न तैयार माल जा रहा है। ऐसे कब तक चलेगा। इंडस्ट्री का रॉ मैटेरियल महंगा पड़ रहा तो आम लोगों की जरूरतों से जुड़ी भी बहुत सी वस्तुएं महंगी हो रही हैं। जिसका खामियाजा कहीं न कहीं आम आदमी को भी भुगतना पड़ रहा है। केंद्र सरकार को जल्द समाधान निकालना चाहिए। किसानों से अपील है कि वह अपना आंदोलन करें लेकिन रास्ते बंद न करें, क्योंकि इसका सीधा नुकसान सरकार से अधिक आम लोगों को अधिक हो रहा है।
करनाल एचएसआईआईडीएस इंडस्ट्री वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान मनोज अरोड़ा ने कहा कि दिल्ली आने जाने के रास्तों के जाम होने के कारण करनाल की कृषि यंत्र इंडस्ट्रीज का उत्पादन लगातार गिर रहा है। जो हो रहा है, उसके लिए भी रॉ मैटेरियल काफी मुश्किल से मंगाना पड़ रहा है। एक गाड़ी जो पहले 1500 रुपये में आती थी, अब ट्रांसपोर्टर 4000 मांग रहे हैं। क्योंकि गाड़ियां काफी घूम कर आती है। फैक्ट्रियों को चलाए रखने के लिए महंगा रॉ मैटेरियल मंगाना मजबूरी है। इससे उत्पादन लागत बढ़ रही है। जिससे फिनिश प्रोडक्ट भी महंगा हो रहा है। जब यह बाजार में जाएगा तो अन्य राज्यों के प्रोडक्ट के सामने महंगा होगा, जिससे बाजार में करनाल व हरियाणा के जिलों के कई प्रोडक्ट पिछड़ सकते हैं। इससे इंडस्ट्री को लंबे समय तक भारी घाटा होगा। हर रोज इंडस्ट्री को करोड़ो रुपये का घाटा हो रहा है। सरकार को जल्द समाधान तलाशना चाहिए।
-करनाल एग्रीकल्चर इंप्लीमेंट्स मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के महासचिव भावुक मेहता कहते हैं कि दिल्ली से कट ऑफ होने के बड़ा नुकसान इंडस्ट्री को उठाना पड़ रहा है। अधिकांश मांग दिल्ली व कुंडरी आदि से आता है, जहां किसानों का धरना चल रहा है। अन्य राज्यों से मॉल मंगाना काफी महंगा हो रहा है। सबसे खास बात यह भी है कि जो तैयार माल है, उसकी डिलीवरी नहीं हो पा रही है। यदि भेजा भी जाता है तो उसकी लागत काफी अधिक हो रही है। इंडस्ट्री कोई भी हो, उसके लिए सुलभ यातायात व ट्रांसपोर्ट तो अहम होता ही है। उद्यमों में उत्पादन 50 प्रतिशत गिर गया है। जिससे लगातार इंडस्ट्री घाटे में जा रहीं हैं। समाधान जल्द होना चाहिए।
किसान आंदोलन के कारण रास्ते बंद होने से उद्योग जगत चिंतित है। रॉ मैटेरियल न आने से कृषि यंत्र इंडस्ट्री में उत्पादन 50 प्रतिशत तक गिर गया है। उद्यमों को चलाए रखने के लिए बाहरी राज्यों से मंगाया जा रहा रॉ मैटेरियल काफी महंगा पड़ रहा है। जिससे तैयार प्रोडक्ट भी महंगा हो रहा है। बड़ी चिंता यह है कि यदि करनाल में दिल्ली से सटे जिलों की इंडस्ट्रियां अपना महंगा माल बाजार में ले जाएंगी तो वह देश की अन्य राज्यों के प्रोडक्ट के आगे पिछड़ सकते हैं। जिसकी भरपाई काफी लंबे समय में हो पाएगी। यानी इंडस्ट्री को मौजूदा समय में तो रोज करोड़ों का नुकसान हो ही रहा वहीं आगामी वर्ष में भी कई महीनों तक यह नुकसान झेलना पड़ेगा। उद्योग जगत ने आशंका जताई है कि यही स्थिति रही तो इंडस्ट्रियां बंद करने की नौबत आ जाएगी।
हरियाणा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री करनाल के चेयरमैन आरएल शर्मा ने बताया कि कृषि आधारित इंडस्ट्री भी किसानों से जुड़ी है। किसान देश के लिए अहम हैं, लेकिन 125 करोड़ अन्य लोग भी हैं, इनका भी ख्याल रखा जाना चाहिए। इसी तरह से रास्ते जाम रहे तो वह दिन दूर जब इंडस्ट्रियां बंद हो जाएंगी। न तो रॉ मैटेरियल आ रहा है न तैयार माल जा रहा है। ऐसे कब तक चलेगा। इंडस्ट्री का रॉ मैटेरियल महंगा पड़ रहा तो आम लोगों की जरूरतों से जुड़ी भी बहुत सी वस्तुएं महंगी हो रही हैं। जिसका खामियाजा कहीं न कहीं आम आदमी को भी भुगतना पड़ रहा है। केंद्र सरकार को जल्द समाधान निकालना चाहिए। किसानों से अपील है कि वह अपना आंदोलन करें लेकिन रास्ते बंद न करें, क्योंकि इसका सीधा नुकसान सरकार से अधिक आम लोगों को अधिक हो रहा है।
करनाल एचएसआईआईडीएस इंडस्ट्री वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान मनोज अरोड़ा ने कहा कि दिल्ली आने जाने के रास्तों के जाम होने के कारण करनाल की कृषि यंत्र इंडस्ट्रीज का उत्पादन लगातार गिर रहा है। जो हो रहा है, उसके लिए भी रॉ मैटेरियल काफी मुश्किल से मंगाना पड़ रहा है। एक गाड़ी जो पहले 1500 रुपये में आती थी, अब ट्रांसपोर्टर 4000 मांग रहे हैं। क्योंकि गाड़ियां काफी घूम कर आती है। फैक्ट्रियों को चलाए रखने के लिए महंगा रॉ मैटेरियल मंगाना मजबूरी है। इससे उत्पादन लागत बढ़ रही है। जिससे फिनिश प्रोडक्ट भी महंगा हो रहा है। जब यह बाजार में जाएगा तो अन्य राज्यों के प्रोडक्ट के सामने महंगा होगा, जिससे बाजार में करनाल व हरियाणा के जिलों के कई प्रोडक्ट पिछड़ सकते हैं। इससे इंडस्ट्री को लंबे समय तक भारी घाटा होगा। हर रोज इंडस्ट्री को करोड़ो रुपये का घाटा हो रहा है। सरकार को जल्द समाधान तलाशना चाहिए।
-करनाल एग्रीकल्चर इंप्लीमेंट्स मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के महासचिव भावुक मेहता कहते हैं कि दिल्ली से कट ऑफ होने के बड़ा नुकसान इंडस्ट्री को उठाना पड़ रहा है। अधिकांश मांग दिल्ली व कुंडरी आदि से आता है, जहां किसानों का धरना चल रहा है। अन्य राज्यों से मॉल मंगाना काफी महंगा हो रहा है। सबसे खास बात यह भी है कि जो तैयार माल है, उसकी डिलीवरी नहीं हो पा रही है। यदि भेजा भी जाता है तो उसकी लागत काफी अधिक हो रही है। इंडस्ट्री कोई भी हो, उसके लिए सुलभ यातायात व ट्रांसपोर्ट तो अहम होता ही है। उद्यमों में उत्पादन 50 प्रतिशत गिर गया है। जिससे लगातार इंडस्ट्री घाटे में जा रहीं हैं। समाधान जल्द होना चाहिए।