कर्णनगरी और औद्योगिक नगरी यमुनागर के लिए खुशखबरी है। सोमवार को रेल मंत्रालय ने करनाल-यमुनानगर नई रेल लाइन परियोजना के निर्माण को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान कर दी है। इससे दोनों जिलों के बीच न सिर्फ आवाजाही सुगम होगी, बल्कि व्यापारिक गतिविधियों को भी रफ्तार मिलेगी।
क्षेत्र के लोगों की कैथल-करनाल-यमुनानगर रेल लाइन की मांग करीब 60 साल पुरानी है। मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने अपने कार्यकाल में इस परियोजना को सिरे चढ़ाने का प्रयास किया था। हरियाणा सरकार ने सर्वेक्षण कार्य पूरा करवाने के बाद इस लाइन के निर्माण को मंजूरी देकर फाइल रेल मंत्रालय को भेजी थी। सर्वेक्षण के बाद आमजन को उम्मीद जगी थी, लेकिन फाइल रेलवे मंत्रालय में अटकी हुई थी। रेल भवन नई दिल्ली में हुई बैठक में मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने रेल मंत्री पीयूष गोयल से रेल परियोजनाओं पर बातचीत की। इसी दौरान रेल मंत्री ने यमुनानगर रेल लाइन परियोजना को सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी। इस रेल मार्ग से दोनों जिलों के लाखों लोगों को फायदा होगा। उद्योगों के कच्चे व तैयार माल की ढुलाई के लिए उद्योगपतियों को काफी लाभ मिलेगा। यही नहीं हरियाणा के विभिन्न हिस्सों से लोगों को करनाल से यमुनानगर होते हुए हरिद्वार की राह आसान होगी। साथ ही समीप लगते जिले कैथल में चार किलोमीटर लंबी एलीवेटिड रेलवे लाइन निर्माण की भी सहमति दी है।
रंबा गांव होगा पहला स्टेशन
करनाल में भैणी खुर्द के समीप से यह लाइन चलेगी और पहला स्टेशन रंबा गांव में होगा। उसके बाद इंद्री, लाडवा को जोड़ते हुए रेलवे लाइन जगाधरी पहुंचेगी।
अब तक सिरे नहीं चढ़ सकी थी योजना
28 मई 1998 को तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने इस प्रोजेक्ट की संसद में हामी भरी।
24 फरवरी 2010 को ममता बनर्जी ने इस योजना को गंभीरता से लिया।
17 अगस्त 2010 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने इस लाइन के लिए सोनिया गांधी से मुलाकात की।
करनाल के पूर्व सांसद डा. अरविंद शर्मा बार-बार इसकी मांग रेल मंत्रालय के आगे उठाते रहे।
अब सीएम मनोहरलाल ने रेल मंत्रालय से इसकी सैद्धांतिक स्वीकृति करवाई है।
महत्वपूर्ण ट्रेनों के ठहराव की भी उठती रही है मांग
रेल यात्री संघ के पदाधिकारी रितेश श्रीवास्तव का कहना है कि 1892 में ब्रिटिश शासन के दौरान करनाल रेलवे स्टेशन बना था। आजादी के बाद से इस स्टेशन पर कई महत्वपूर्ण गाड़ियों के ठहराव और नई रेल परियोजनाओं की मांग उठती रही है। स्थानीय यात्रियों की मांग दिल्ली से पानीपत तक मंजूर हुए रेपिड रेल ट्रांजिस्ट सिस्टम को करनाल तक विस्तार करने की है। सीएम मनोहरलाल ने 27 जुलाई 2020 को वीडियो कांफ्र्रेंसिंग के जरिये केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के राज्यमंत्री हरदीप पुरी के सामने यह मांग रखी थी। उम्मीद है यह मांग भी पूरी होगी।
कर्णनगरी और औद्योगिक नगरी यमुनागर के लिए खुशखबरी है। सोमवार को रेल मंत्रालय ने करनाल-यमुनानगर नई रेल लाइन परियोजना के निर्माण को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान कर दी है। इससे दोनों जिलों के बीच न सिर्फ आवाजाही सुगम होगी, बल्कि व्यापारिक गतिविधियों को भी रफ्तार मिलेगी।
क्षेत्र के लोगों की कैथल-करनाल-यमुनानगर रेल लाइन की मांग करीब 60 साल पुरानी है। मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने अपने कार्यकाल में इस परियोजना को सिरे चढ़ाने का प्रयास किया था। हरियाणा सरकार ने सर्वेक्षण कार्य पूरा करवाने के बाद इस लाइन के निर्माण को मंजूरी देकर फाइल रेल मंत्रालय को भेजी थी। सर्वेक्षण के बाद आमजन को उम्मीद जगी थी, लेकिन फाइल रेलवे मंत्रालय में अटकी हुई थी। रेल भवन नई दिल्ली में हुई बैठक में मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने रेल मंत्री पीयूष गोयल से रेल परियोजनाओं पर बातचीत की। इसी दौरान रेल मंत्री ने यमुनानगर रेल लाइन परियोजना को सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी। इस रेल मार्ग से दोनों जिलों के लाखों लोगों को फायदा होगा। उद्योगों के कच्चे व तैयार माल की ढुलाई के लिए उद्योगपतियों को काफी लाभ मिलेगा। यही नहीं हरियाणा के विभिन्न हिस्सों से लोगों को करनाल से यमुनानगर होते हुए हरिद्वार की राह आसान होगी। साथ ही समीप लगते जिले कैथल में चार किलोमीटर लंबी एलीवेटिड रेलवे लाइन निर्माण की भी सहमति दी है।
रंबा गांव होगा पहला स्टेशन
करनाल में भैणी खुर्द के समीप से यह लाइन चलेगी और पहला स्टेशन रंबा गांव में होगा। उसके बाद इंद्री, लाडवा को जोड़ते हुए रेलवे लाइन जगाधरी पहुंचेगी।
अब तक सिरे नहीं चढ़ सकी थी योजना
28 मई 1998 को तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने इस प्रोजेक्ट की संसद में हामी भरी।
24 फरवरी 2010 को ममता बनर्जी ने इस योजना को गंभीरता से लिया।
17 अगस्त 2010 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने इस लाइन के लिए सोनिया गांधी से मुलाकात की।
करनाल के पूर्व सांसद डा. अरविंद शर्मा बार-बार इसकी मांग रेल मंत्रालय के आगे उठाते रहे।
अब सीएम मनोहरलाल ने रेल मंत्रालय से इसकी सैद्धांतिक स्वीकृति करवाई है।
महत्वपूर्ण ट्रेनों के ठहराव की भी उठती रही है मांग
रेल यात्री संघ के पदाधिकारी रितेश श्रीवास्तव का कहना है कि 1892 में ब्रिटिश शासन के दौरान करनाल रेलवे स्टेशन बना था। आजादी के बाद से इस स्टेशन पर कई महत्वपूर्ण गाड़ियों के ठहराव और नई रेल परियोजनाओं की मांग उठती रही है। स्थानीय यात्रियों की मांग दिल्ली से पानीपत तक मंजूर हुए रेपिड रेल ट्रांजिस्ट सिस्टम को करनाल तक विस्तार करने की है। सीएम मनोहरलाल ने 27 जुलाई 2020 को वीडियो कांफ्र्रेंसिंग के जरिये केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के राज्यमंत्री हरदीप पुरी के सामने यह मांग रखी थी। उम्मीद है यह मांग भी पूरी होगी।