नेकी के नाम पर भी भ्रष्टाचार होने लगा है। इसका उदाहरण रेलवे रोड पर नई बनी नेकी की दीवार के चैंबर की गिरी छत है। जिसे बने महज 10 दिन भी नहीं हुए थे कि उद्घाटन से पहले ही इसकी सीलिंग गिर गई। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इसे तैयार करने में 5 लाख रुपये खर्च किए गए। लेकिन इतनी जल्दी छत कैसे गिर गई इस सवाल का जवाब स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारियों के पास भी नहीं है। मामले को लेकर एक्सईएन सौरभ गोयल से सवाल किया तो उनका कोई जवाब नहीं मिला। लोगों का कहना है कि शहर को स्मार्ट बनाने के प्रयासों में अधिकारियों पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सीएम से भी शिकायत की जाएगी।
ताकि जरूरतमंद जरूरत पूरी कर सके
शहर में नेकी की दीवार दो जगह बनीं हैं। जहां पर जरूरत का सामान जैसे कपड़े और बिस्तर जरूरतमंद लोगों के लिए रख जाते हैं। रेलवे रोड पर इस जगह से कपड़ा उठाते हुए कोई शर्म न महसूस करे इसलिए यहां मॉड्रर्न चैंबर बनाया गया था। चैंबर के दोनों ओर विज्ञापन के लिए भी जगह छोड़ी गई है ताकि रेवेन्यू भी लिया जा सके।
घटिया सामग्री लगाने के आरोप
इधर, मामले को लेकर एडवोकेट राजकुमार कनौजिया और एडवोकेट राजेश शर्मा का कहना है कि इस प्रोजेक्ट में भी भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों को शर्म आनी चाहिए। गरीब लोगों के बैठने और उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए बने चैंबर की छत गिरना अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाता है। इससे पता चलता है कि शहर के बड़े प्रोजेक्टों पर अधिकारी किस तरह की सामग्री का इस्तेमाल करते होंगे। मामले को लेकर सीएम विंडो के माध्यम से सीएम को भी शिकायत दी जाएगी। ताकि गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो।
-जीएम बोले, एक्सईएन ही बता पाएंगे
नेकी की दीवार चैंबर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया है। छत क्यों गिरी इस बारे में प्रोजेक्ट पर काम कर रहे एक्सईएन सौरभ गोयल बता पाएंगे।
-मैसेज देखकर भी जवाब नहीं दे पाए एक्सईएन
मामले की जानकारी के लिए डॉ. मंगलसैन सभागार स्थित स्मार्ट सिटी एक्सईएन सौरभ गोयल के कार्यालय में भी गए। लेकिन वे नहीं मिले। कई बार फोन करने के अलावा मैसेज और वाट्सएप पर भी उनसे सवाल किए लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने मैसेज देख लिए थे लेकिन गड़बड़ी पर जवाब देना उचित नहीं समझा।
मामला मेरे संज्ञान में अभी आया है। किस तरह की सामग्री का इस्तेमाल अधिकारियों ने किया, इसकी जांच की जाएगी। यह भी देखा जाएगा कि गड़बड़ी किस स्तर पर हुई है।
-निशांत कुमार यादव, डीसी एवं सीईओ स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट
नेकी के नाम पर भी भ्रष्टाचार होने लगा है। इसका उदाहरण रेलवे रोड पर नई बनी नेकी की दीवार के चैंबर की गिरी छत है। जिसे बने महज 10 दिन भी नहीं हुए थे कि उद्घाटन से पहले ही इसकी सीलिंग गिर गई। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इसे तैयार करने में 5 लाख रुपये खर्च किए गए। लेकिन इतनी जल्दी छत कैसे गिर गई इस सवाल का जवाब स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारियों के पास भी नहीं है। मामले को लेकर एक्सईएन सौरभ गोयल से सवाल किया तो उनका कोई जवाब नहीं मिला। लोगों का कहना है कि शहर को स्मार्ट बनाने के प्रयासों में अधिकारियों पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सीएम से भी शिकायत की जाएगी।
ताकि जरूरतमंद जरूरत पूरी कर सके
शहर में नेकी की दीवार दो जगह बनीं हैं। जहां पर जरूरत का सामान जैसे कपड़े और बिस्तर जरूरतमंद लोगों के लिए रख जाते हैं। रेलवे रोड पर इस जगह से कपड़ा उठाते हुए कोई शर्म न महसूस करे इसलिए यहां मॉड्रर्न चैंबर बनाया गया था। चैंबर के दोनों ओर विज्ञापन के लिए भी जगह छोड़ी गई है ताकि रेवेन्यू भी लिया जा सके।
घटिया सामग्री लगाने के आरोप
इधर, मामले को लेकर एडवोकेट राजकुमार कनौजिया और एडवोकेट राजेश शर्मा का कहना है कि इस प्रोजेक्ट में भी भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों को शर्म आनी चाहिए। गरीब लोगों के बैठने और उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए बने चैंबर की छत गिरना अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाता है। इससे पता चलता है कि शहर के बड़े प्रोजेक्टों पर अधिकारी किस तरह की सामग्री का इस्तेमाल करते होंगे। मामले को लेकर सीएम विंडो के माध्यम से सीएम को भी शिकायत दी जाएगी। ताकि गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो।
-जीएम बोले, एक्सईएन ही बता पाएंगे
नेकी की दीवार चैंबर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया है। छत क्यों गिरी इस बारे में प्रोजेक्ट पर काम कर रहे एक्सईएन सौरभ गोयल बता पाएंगे।
-मैसेज देखकर भी जवाब नहीं दे पाए एक्सईएन
मामले की जानकारी के लिए डॉ. मंगलसैन सभागार स्थित स्मार्ट सिटी एक्सईएन सौरभ गोयल के कार्यालय में भी गए। लेकिन वे नहीं मिले। कई बार फोन करने के अलावा मैसेज और वाट्सएप पर भी उनसे सवाल किए लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने मैसेज देख लिए थे लेकिन गड़बड़ी पर जवाब देना उचित नहीं समझा।
मामला मेरे संज्ञान में अभी आया है। किस तरह की सामग्री का इस्तेमाल अधिकारियों ने किया, इसकी जांच की जाएगी। यह भी देखा जाएगा कि गड़बड़ी किस स्तर पर हुई है।
-निशांत कुमार यादव, डीसी एवं सीईओ स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट