करनाल। भले ही लॉकडाउन खत्म होने के बाद जिंदगी पटरी पर लौट रही हो, लेकिन इस विभीषिका ने कई के हाथों से रोजगार छीने हैं तो कई परिवारों की आमदनी को काफी कम कर दिया है। जिसका सर्वाधिक प्रभाव गरीबी से जूझते परिवारों के साथ-साथ मध्यवर्गीय परिवारों पर भी पड़ा है। परिवारों की आर्थिक जरूरतें पूरी नहीं हो पाने का परिणाम यह है कि इनसे तनाव व मनमुटाव पैदा होने लगा है। जिससे सात जन्मों तक साथ निभाने के वादे की आधारशिला वाला पति-पत्नी का मजबूत रिश्ता भी दरकने लगा है। शादी के डेढ़ से दो दशक बाद अब घर टूटने की नौबत आ गई है। आंकड़ों की बात करें तो 1 अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 तक घरेलू हिंसा के 174 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 50 मामलों में महिलाओं ने तलाक की अपील भी की है।
जिला संरक्षण कार्यालय में इस माह 4 मामले सामने आए हैं। इसमें आर्थिक तनाव की वजह से पारिवारिक क्लेश बढ़ना वजह बताया जा रहा है। पति-पत्नी में बढ़ता मानसिक तनाव घरेलू हिंसा, शक और लड़ाई-झगड़े के रूप में बाहर आ रहा है। संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता ने कार्यालय में आए पारिवारिक मामलों की काउंसलिंग की।
पत्नी ने घर खर्च चलाने के लिए बेचा सारा धन
-पीड़ित महिला ने बताया कि उसकी शादी को 28 वर्ष हो चुके। तीन बेटी व एक बेटा है। लॉकडाउन के बाद पति की कमाई बंद हो गई। जो धन जमा था, पांच महीने तक तो जमा पूंजी से खर्च चल गया। अगस्त से काम दोबारा शुरू हो गया लेकिन पति ने घर पर पैसे नहीं दिए। पति छोटा-मोटा मशीन मकैनिक है। पांच महीने से फीस नहीं भरी तो बच्चों का नाम स्कूल से काट दिया गया है। दो बड़ी लड़कियों ने पढ़ाई छोड़ दी है। तीन महीनों से बच्चों का खर्च चलाने के लिए उसने अपने सभी गहने बेच दिए हैं। इसलिए वह उसके चरित्र पर शक भी करता है। पैसों की बात करते ही पति घर में मारपीट शुरू कर देता है। बच्चों को भी अपशब्द कहता है और गाली गलौज करता है।
पत्नी बच्चों को भड़काती है
काउंसलिंग के दौरान पति नेे बताया था कि वह दिहाड़ी का काम करता है। काम मिलने पर जो पैसे मिलते हैं, घर में दे देता है। रोज बच्चे और बीवी अपनी-अपनी जरूरतों को लेकर पैसे मांगते हैं। जबकि उसके पास पैसे नहीं होते। पत्नी बच्चों को उसके खिलाफ भड़काती है। उसने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने को कहा था, क्योंकि वह फीस नहीं भर पा रहा है। लेकिन बच्चे सरकारी में पढ़ने को तैयार नहीं हैं। इधर, उसकी 18 वर्षीय बेटी का कहना है कि उसका पिता उसकी मां के साथ रोज मारपीट करता है। साथ ही सभी बच्चों को अपशब्द भी बोलता है। सारा दिन मारने की धमकी देता है। इस तरह से मां और बच्चे डर-डर के जी रहे हैं। संरक्षण अधिकारी रजनी गुप्ता ने बताया कि महिला के पति को हर महीने बंधा खर्चा देने को कहा गया है। लिखित प्रमाण भी लिया है।
-पति-पत्नी में आपसी समझ खत्म हो रही है। इसकी वजह सेे लगातार घरेलू हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं। मध्यवर्गीय और गरीब परिवारों को ही अधिक परेशानी हो रही है। संरक्षण कार्यालय में हर मुमकिन कोशिश करके पति-पत्नी के बीच सुलह कराई जा रही है।
-रजनी गुप्ता, संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी
-कोरोनाकाल की स्थिति सभी के लिए चुनौती से भरा है। इस मुश्किल घड़ी में संयम रखकर परिवार को एक-दूसरे की ढाल बनना चाहिए। मानसिक तनाव घरेलू हिंसा को बढ़ावा दे रहा है। इससे संयम खोता जा रहा है। घर के एक व्यक्ति पर सारा बोझ न हो, इसके लिए अन्य सदस्यों को भी छोटा-मोटा काम करने की पहल करनी चाहिए।
मनीष बठला, मनोचिकित्सक
करनाल। भले ही लॉकडाउन खत्म होने के बाद जिंदगी पटरी पर लौट रही हो, लेकिन इस विभीषिका ने कई के हाथों से रोजगार छीने हैं तो कई परिवारों की आमदनी को काफी कम कर दिया है। जिसका सर्वाधिक प्रभाव गरीबी से जूझते परिवारों के साथ-साथ मध्यवर्गीय परिवारों पर भी पड़ा है। परिवारों की आर्थिक जरूरतें पूरी नहीं हो पाने का परिणाम यह है कि इनसे तनाव व मनमुटाव पैदा होने लगा है। जिससे सात जन्मों तक साथ निभाने के वादे की आधारशिला वाला पति-पत्नी का मजबूत रिश्ता भी दरकने लगा है। शादी के डेढ़ से दो दशक बाद अब घर टूटने की नौबत आ गई है। आंकड़ों की बात करें तो 1 अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 तक घरेलू हिंसा के 174 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 50 मामलों में महिलाओं ने तलाक की अपील भी की है।
जिला संरक्षण कार्यालय में इस माह 4 मामले सामने आए हैं। इसमें आर्थिक तनाव की वजह से पारिवारिक क्लेश बढ़ना वजह बताया जा रहा है। पति-पत्नी में बढ़ता मानसिक तनाव घरेलू हिंसा, शक और लड़ाई-झगड़े के रूप में बाहर आ रहा है। संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता ने कार्यालय में आए पारिवारिक मामलों की काउंसलिंग की।
पत्नी ने घर खर्च चलाने के लिए बेचा सारा धन
-पीड़ित महिला ने बताया कि उसकी शादी को 28 वर्ष हो चुके। तीन बेटी व एक बेटा है। लॉकडाउन के बाद पति की कमाई बंद हो गई। जो धन जमा था, पांच महीने तक तो जमा पूंजी से खर्च चल गया। अगस्त से काम दोबारा शुरू हो गया लेकिन पति ने घर पर पैसे नहीं दिए। पति छोटा-मोटा मशीन मकैनिक है। पांच महीने से फीस नहीं भरी तो बच्चों का नाम स्कूल से काट दिया गया है। दो बड़ी लड़कियों ने पढ़ाई छोड़ दी है। तीन महीनों से बच्चों का खर्च चलाने के लिए उसने अपने सभी गहने बेच दिए हैं। इसलिए वह उसके चरित्र पर शक भी करता है। पैसों की बात करते ही पति घर में मारपीट शुरू कर देता है। बच्चों को भी अपशब्द कहता है और गाली गलौज करता है।
पत्नी बच्चों को भड़काती है
काउंसलिंग के दौरान पति नेे बताया था कि वह दिहाड़ी का काम करता है। काम मिलने पर जो पैसे मिलते हैं, घर में दे देता है। रोज बच्चे और बीवी अपनी-अपनी जरूरतों को लेकर पैसे मांगते हैं। जबकि उसके पास पैसे नहीं होते। पत्नी बच्चों को उसके खिलाफ भड़काती है। उसने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने को कहा था, क्योंकि वह फीस नहीं भर पा रहा है। लेकिन बच्चे सरकारी में पढ़ने को तैयार नहीं हैं। इधर, उसकी 18 वर्षीय बेटी का कहना है कि उसका पिता उसकी मां के साथ रोज मारपीट करता है। साथ ही सभी बच्चों को अपशब्द भी बोलता है। सारा दिन मारने की धमकी देता है। इस तरह से मां और बच्चे डर-डर के जी रहे हैं। संरक्षण अधिकारी रजनी गुप्ता ने बताया कि महिला के पति को हर महीने बंधा खर्चा देने को कहा गया है। लिखित प्रमाण भी लिया है।
-पति-पत्नी में आपसी समझ खत्म हो रही है। इसकी वजह सेे लगातार घरेलू हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं। मध्यवर्गीय और गरीब परिवारों को ही अधिक परेशानी हो रही है। संरक्षण कार्यालय में हर मुमकिन कोशिश करके पति-पत्नी के बीच सुलह कराई जा रही है।
-रजनी गुप्ता, संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी
-कोरोनाकाल की स्थिति सभी के लिए चुनौती से भरा है। इस मुश्किल घड़ी में संयम रखकर परिवार को एक-दूसरे की ढाल बनना चाहिए। मानसिक तनाव घरेलू हिंसा को बढ़ावा दे रहा है। इससे संयम खोता जा रहा है। घर के एक व्यक्ति पर सारा बोझ न हो, इसके लिए अन्य सदस्यों को भी छोटा-मोटा काम करने की पहल करनी चाहिए।
मनीष बठला, मनोचिकित्सक