गगन तलवार
करनाल। जगह-जगह की नाकाबंदी से 25 से 27 नवंबर तक दिल्ली का सफर किसानों के लिए बहुत लंबा था। लेकिन उनके हौसले से राहें आसन होती गईं। अब नाकाबंदी हटने से पंजाब के किसानों के लिए दिल्ली दूर नहीं है। दिल्ली की ओर किसानों के वाहन सरपट कूच कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के झंडे लगे हर घंटे औसतन किसानों के 15 वाहन अंबाला, करनाल और पानीपत, सोनीपत होते हुए दिल्ली की ओर वाहे गुरु के गीतों की गूंज के साथ टोल प्लाजा की वीआईपी लेन से निकल रहे हैं। इनमें औसतन आठ ट्रैक्टर-ट्राली राशन लेकर जा रहीं हैं।
दिल्ली को अमृतसर से जोड़ने वाले नेशनल हाईवे - 44 पर निकलने वाले वाहनों में 50 प्रतिशत पंजाब के हैं। हरियाणा के वाहनों में अंबाला, कैथल, कुरुक्षेत्र और करनाल नंबर की कार और ट्रैक्टर-ट्रालियां शामिल हैं। टोल प्लाजा के अधिकारियों के अनुसार, पूरे दिन में झंडा लगे करीब 350 वाहन वीआईपी लेन से निकल रहे हैं। हालांकि उनके टोल न कटने के कारण इन वाहनों का अधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है।
75 प्रतिशत ट्रैफिक रह गया, दिल्ली जाने वाले ज्यादा, वापसी के कम
एनएच पर किसानों के लिए हुई करीब तीन दिन की नाकाबंदी का असर अभी तक है। ट्रैफिक लोड अब चार दिन बाद बढ़कर 75 प्रतिशत हुआ है। बसताड़ा टोल प्लाजा के मैनेजर मुनीष कुमार के अनुसार, रोजाना 40 से 45 हजार वाहन टोल प्लाजा क्रॉस करते थे। लेकिन अब यह आंकड़ा 30 हजार तक पहुंचा है। इनमें भी दिल्ली जाने वाले ज्यादा हैं। दिल्ली बार्डर बंद होने के कारण वहां से वाहन कम आ रहे हैं। फास्टैग के कारण रेवन्यू कम होने की जानकारी नहीं है। क्योंकि इसका रिकार्ड दिल्ली स्थित सेंट्रल आफिस में रहता है। के श लेन से गुजरने वाले वाहनों से करीब एक लाख रुपये का ही रेवन्यू मिल पा रहा है। जबकि सामान्य दिनों में दो गुना रहता था।