राइस मिलर्स तो पहले से ही सीएमआर चावल के लिए धान खरीद करने से इनकार कर चुके हैं। सोमवार को हरियाणा प्रदेश अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन ने भी पूरे राज्य में धान खरीद प्रक्रिया से दूर रहने का ऐलान कर दिया है, जिससे अब पूरे राज्य में धान की खरीद को झटका लग सकता है।
हरियाणा प्रदेश अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के कार्यवाहक प्रदेश प्रधान रजनीश चौधरी ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि हरियाणा प्रदेश अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन ने फैसला किया है कि जीरी कोई भी आढ़ती अपने माध्यम से सरकार को नहीं लिखवाएगा। यदि सरकार चाहती है तो वह सीधी किसानों से फसल खरीद ले। यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि अभी तक यह निश्चित नहीं है की माल कौन उठाएगा, कब उठाएगा और घटती नमी की जिम्मेदारी किसकी होगी। वहीं सीमांत किसानों को हरियाणा की मंडियों में आने से रोका जा रहा है। इस बारे में जिला प्रशासन या सरकार ने कोई नीति स्पष्ट नहीं की है। सरकार ने जो किसानों की परमल जीरी खरीद पर प्रति एकड़ 25 क्विंटल निर्धारित की है, जबकि खेतों में 35 से 40 क्विंटल तक धान निकल रहा है। ऐसे में किसान शेष धान का क्या करेगा। उन्होंने कहा कि जब तक सारी स्थिति स्पष्ट नहीं होती, सरकार और राइस मिलर का तालमेल नहीं बनता, तब तक हम जीरी खरीद में कोई सहयोग नहीं करेंगे। इस मौके पर स्टेट उप प्रधान धर्मबीर मलिक, उप प्रधान शिव कुमार कांबोज (यमुना नगर) मौजूद रहे।
राइस मिलर्स तो पहले से ही सीएमआर चावल के लिए धान खरीद करने से इनकार कर चुके हैं। सोमवार को हरियाणा प्रदेश अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन ने भी पूरे राज्य में धान खरीद प्रक्रिया से दूर रहने का ऐलान कर दिया है, जिससे अब पूरे राज्य में धान की खरीद को झटका लग सकता है।
हरियाणा प्रदेश अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के कार्यवाहक प्रदेश प्रधान रजनीश चौधरी ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि हरियाणा प्रदेश अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन ने फैसला किया है कि जीरी कोई भी आढ़ती अपने माध्यम से सरकार को नहीं लिखवाएगा। यदि सरकार चाहती है तो वह सीधी किसानों से फसल खरीद ले। यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि अभी तक यह निश्चित नहीं है की माल कौन उठाएगा, कब उठाएगा और घटती नमी की जिम्मेदारी किसकी होगी। वहीं सीमांत किसानों को हरियाणा की मंडियों में आने से रोका जा रहा है। इस बारे में जिला प्रशासन या सरकार ने कोई नीति स्पष्ट नहीं की है। सरकार ने जो किसानों की परमल जीरी खरीद पर प्रति एकड़ 25 क्विंटल निर्धारित की है, जबकि खेतों में 35 से 40 क्विंटल तक धान निकल रहा है। ऐसे में किसान शेष धान का क्या करेगा। उन्होंने कहा कि जब तक सारी स्थिति स्पष्ट नहीं होती, सरकार और राइस मिलर का तालमेल नहीं बनता, तब तक हम जीरी खरीद में कोई सहयोग नहीं करेंगे। इस मौके पर स्टेट उप प्रधान धर्मबीर मलिक, उप प्रधान शिव कुमार कांबोज (यमुना नगर) मौजूद रहे।