तापमान में गिरावट आते ही रातें ठिठुरने लगी हैं, शबनम की बूंदे भी प्रकृति को भिगोने लगी हैं, लेकिन इसके बावजूद कर्णनगरी में सैकड़ों लोग फुटपाथ पर खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहे हैं। ऐसा नहीं है कि नगर निगम ने रैन बसेरे नहीं खोले है या फिर उनमें कोई इंतजाम नहीं है। कई लोग इनमें ठहरे भी दिखे। सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान भी रखा जा रहा है। लेकिन फिर भी क्षमता के अनुसार अधिकांश खाली ही हैं। अमर उजाला की टीम ने बुधवार की रात करीब 8 बजे से जब रैन बसेरों को मौके पर जाकर देखा तो पांच रैन बसेरे खुले थे। सभी में सोने की व्यवस्था भी थी। कल्पना चावला मेडिकल कालेज के सामने वाले रैन बसेरे में कोई नहीं था। रेड क्रास वाले में 17 लोग ठहरे थे। बस स्टैंड के पीछे वाले में तीन ही थे। प्रेमनगर का केंद्रीय रैन बसेरे में तो नहाने के लिए गर्म पानी, टायलेट आदि की व्यवस्थाएं भी हैं। नगर परियोजना अधिकारी प्रवीन कुमार भी रैन बसेरों की चेकिंग करते मिले। निगम की एक गाड़ी भी मिली, जिसमें बैठे कर्मचारी फुटपाथ पर लेटे लोगों से रैन बसेरे में चलकर सोने को कह रहे थे, लेकिन इसके बावजूद सैकड़ों लोग फुटपाथ पर ही सोने को तैयार हैं।
फुटपाथ पर खुले आसमान के नीचे सोने का कारण पूछा तो बोले, उनके पास आधार कार्ड नहीं है। कुछ लोग बोले मोबाइल फोन नंबर नहीं है। आधार कार्ड व मोबाइल फोन नंबर का होना रैन बसेरे में ठहराव के लिए अनिवार्य है। निर्मल कुटिया के आसपास फुटपाथ पर आग जलाकर तापते मिले लोगों ने बताया कि रेन बसेरे में चाय की व्यवस्था नहीं है। अधिकांश अस्थायी रैन बसेरे हैं, इनमें भी टायलेट नहीं हैं। वहीं सुबह उठते ही निर्मल कुटिया में चाय मिल जाती है, फ्रेश होने के बाद यहीं पर भोजन मिल जाता है। श्री सनातन धर्म महावीर दल कुंजपुरा रोड के बाहर फुटपाथ पर कुछ लोग बैठे दिखे, उन्होंने बताया कि वह यहीं पर सोते हैं, वह यहां पर बैठकर खाना लेकर आने वाले निर्मल कुटिया व अन्य समाजसेवियों का इंतजार कर रहे हैं।
सेक्टर 12 में कल्पना चावला मेडिकल कालेज, रेडक्रास, रेलवे स्टेशन सहित छह रैन बसेरे हैं, सभी चालू हैं, लोग ठहरते भी रोज हैं। जो रोज रुकने वाले लोग हैं, उन्हें केंद्रीय रैन बसेरा प्रेमनगर में भेजा जाता है। रात को गाड़ी से सड़क के किनारे सोने वालों को लाकर रैन बसेरों में ठहराया जाता है।
-प्रवीन कुमार, नगरीय परियोजना अधिकारी करनाल।
तापमान में गिरावट आते ही रातें ठिठुरने लगी हैं, शबनम की बूंदे भी प्रकृति को भिगोने लगी हैं, लेकिन इसके बावजूद कर्णनगरी में सैकड़ों लोग फुटपाथ पर खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहे हैं। ऐसा नहीं है कि नगर निगम ने रैन बसेरे नहीं खोले है या फिर उनमें कोई इंतजाम नहीं है। कई लोग इनमें ठहरे भी दिखे। सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान भी रखा जा रहा है। लेकिन फिर भी क्षमता के अनुसार अधिकांश खाली ही हैं। अमर उजाला की टीम ने बुधवार की रात करीब 8 बजे से जब रैन बसेरों को मौके पर जाकर देखा तो पांच रैन बसेरे खुले थे। सभी में सोने की व्यवस्था भी थी। कल्पना चावला मेडिकल कालेज के सामने वाले रैन बसेरे में कोई नहीं था। रेड क्रास वाले में 17 लोग ठहरे थे। बस स्टैंड के पीछे वाले में तीन ही थे। प्रेमनगर का केंद्रीय रैन बसेरे में तो नहाने के लिए गर्म पानी, टायलेट आदि की व्यवस्थाएं भी हैं। नगर परियोजना अधिकारी प्रवीन कुमार भी रैन बसेरों की चेकिंग करते मिले। निगम की एक गाड़ी भी मिली, जिसमें बैठे कर्मचारी फुटपाथ पर लेटे लोगों से रैन बसेरे में चलकर सोने को कह रहे थे, लेकिन इसके बावजूद सैकड़ों लोग फुटपाथ पर ही सोने को तैयार हैं।
फुटपाथ पर खुले आसमान के नीचे सोने का कारण पूछा तो बोले, उनके पास आधार कार्ड नहीं है। कुछ लोग बोले मोबाइल फोन नंबर नहीं है। आधार कार्ड व मोबाइल फोन नंबर का होना रैन बसेरे में ठहराव के लिए अनिवार्य है। निर्मल कुटिया के आसपास फुटपाथ पर आग जलाकर तापते मिले लोगों ने बताया कि रेन बसेरे में चाय की व्यवस्था नहीं है। अधिकांश अस्थायी रैन बसेरे हैं, इनमें भी टायलेट नहीं हैं। वहीं सुबह उठते ही निर्मल कुटिया में चाय मिल जाती है, फ्रेश होने के बाद यहीं पर भोजन मिल जाता है। श्री सनातन धर्म महावीर दल कुंजपुरा रोड के बाहर फुटपाथ पर कुछ लोग बैठे दिखे, उन्होंने बताया कि वह यहीं पर सोते हैं, वह यहां पर बैठकर खाना लेकर आने वाले निर्मल कुटिया व अन्य समाजसेवियों का इंतजार कर रहे हैं।
सेक्टर 12 में कल्पना चावला मेडिकल कालेज, रेडक्रास, रेलवे स्टेशन सहित छह रैन बसेरे हैं, सभी चालू हैं, लोग ठहरते भी रोज हैं। जो रोज रुकने वाले लोग हैं, उन्हें केंद्रीय रैन बसेरा प्रेमनगर में भेजा जाता है। रात को गाड़ी से सड़क के किनारे सोने वालों को लाकर रैन बसेरों में ठहराया जाता है।
-प्रवीन कुमार, नगरीय परियोजना अधिकारी करनाल।