पिहोवा। अगर छात्राएं ठान लें कि वे छेड़छाड़ के खिलाफ लड़ेंगी, तो इन घटनाओं पर अंकुश लग सकता है। वहीं, पुलिस प्रशासन भी इसके लिए मुस्तैद हो गया है। पुलिस अधिकारियों ने स्कूलों और कालेजों में जाकर छात्राओं को इसके प्रति जागरूक करना भी शुरू कर दिया है। प्रशासन लड़कियों से ऐसी घटनाओं में चुप्पी नहीं साधने और विरोध करने की सीख दे रहा है। छात्राओं के अनुसार विरोध करने से ही असामाजिक तत्वों को समय रहते सबक सिखाया जा सकता है।
सरकार नहीं समाज बदलो
बीएससी अंतिम वर्ष की छात्रा पलक ने कहा कि तीर नहीं तरकश में, संसाधन साधकर क्या होगा, अगर बदला नहीं समाज, तो सरकार बदलकर क्या होगा। पलक के अनुसार हम कितनी ही सरकारें बदल लें, लेकिन उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। समाज को बदलने से सारी समस्याएं अपने आप खत्म हो जाएंगी। पलक ने छात्राओं और महिलाओं से आह्वान किया कि जब भी कहीं लड़कियों या महिलाओं पर अत्याचार होते देखें, तो चुप नहीं रहें, तुरंत पुलिस को फोन करके इसकी सूचना दें।
डटकर करें सामना
बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा रजनीश कौर ने कहा कि लड़कियों और महिलाओं को कभी भी छेड़छाड़ वाले मामलों को दबाना नहीं चाहिए। उसका डटकर सामना करना चाहिए। पहली बार में ही यदि डटकर जवाब दे दिया जाए, तो छेड़छाड़ जैसी घटनाओं में कमी आएगी।
नहीं दबाएं मामलों को
बीएससी कंप्यूटर की छात्रा सर्वजीत कौर ने कहा कि कई छात्राएं और महिलाएं केवल इस कारण छेड़छाड़ जैसे मामलों को दबाती है कि उनकी बदनामी होगी, लेकिन इससे उन लोगों के हौसले और अधिक बुलंद होते जाते हैं।
लड़कियों के संगठन बनाए जाए कालेजों में
बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा गगनदीप कौर ने बताया कि लड़कों की तरह लड़कियों के भी संगठन होने चाहिए, जिसके जरिए वे इन मामलों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा सकें। इस कार्य में कालेज प्रशासन द्वारा भी लड़कियों का सहयोग दिया जाना चाहिए।
आईएएस और आईपीएस करें प्रोत्साहित
बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा अनीता ने कहा कि कालेज प्रशासन द्वारा समय-समय पर लड़कियों को आत्मरक्षा के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही कालेज द्वारा लड़कियों के लिए संगोष्ठी का आयोजन किया जाना चाहिए, जिनमें आईएएस या आईपीएस महिलाओं को आमंत्रित किया जाना चाहिए, जिससे वे लड़कियों को प्रोत्साहित कर सकें।
लड़कियां दिखाए साहस
नगर की प्रतिष्ठित जागरूक महिला साक्षी जोशी का कहना है कि लड़कियों के साथ छेड़छाड़ की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सबसे पहले लड़कियों को स्वयं साहस दिखाना होगा। यदि उनके साथ कोई ऐसी घटना घटती है, तो वे साहस दिखाकर आगे आएं और दोषी व्यक्ति को सजा दिलवाने के लिए गुरेज नहीं करें। लड़की के परिजनों को भी साहस दिखाकर लड़की का साथ देना चाहिए, ताकि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और छेड़छाड़ करने वालों को सबक मिल सके।
पिहोवा। अगर छात्राएं ठान लें कि वे छेड़छाड़ के खिलाफ लड़ेंगी, तो इन घटनाओं पर अंकुश लग सकता है। वहीं, पुलिस प्रशासन भी इसके लिए मुस्तैद हो गया है। पुलिस अधिकारियों ने स्कूलों और कालेजों में जाकर छात्राओं को इसके प्रति जागरूक करना भी शुरू कर दिया है। प्रशासन लड़कियों से ऐसी घटनाओं में चुप्पी नहीं साधने और विरोध करने की सीख दे रहा है। छात्राओं के अनुसार विरोध करने से ही असामाजिक तत्वों को समय रहते सबक सिखाया जा सकता है।
सरकार नहीं समाज बदलो
बीएससी अंतिम वर्ष की छात्रा पलक ने कहा कि तीर नहीं तरकश में, संसाधन साधकर क्या होगा, अगर बदला नहीं समाज, तो सरकार बदलकर क्या होगा। पलक के अनुसार हम कितनी ही सरकारें बदल लें, लेकिन उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। समाज को बदलने से सारी समस्याएं अपने आप खत्म हो जाएंगी। पलक ने छात्राओं और महिलाओं से आह्वान किया कि जब भी कहीं लड़कियों या महिलाओं पर अत्याचार होते देखें, तो चुप नहीं रहें, तुरंत पुलिस को फोन करके इसकी सूचना दें।
डटकर करें सामना
बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा रजनीश कौर ने कहा कि लड़कियों और महिलाओं को कभी भी छेड़छाड़ वाले मामलों को दबाना नहीं चाहिए। उसका डटकर सामना करना चाहिए। पहली बार में ही यदि डटकर जवाब दे दिया जाए, तो छेड़छाड़ जैसी घटनाओं में कमी आएगी।
नहीं दबाएं मामलों को
बीएससी कंप्यूटर की छात्रा सर्वजीत कौर ने कहा कि कई छात्राएं और महिलाएं केवल इस कारण छेड़छाड़ जैसे मामलों को दबाती है कि उनकी बदनामी होगी, लेकिन इससे उन लोगों के हौसले और अधिक बुलंद होते जाते हैं।
लड़कियों के संगठन बनाए जाए कालेजों में
बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा गगनदीप कौर ने बताया कि लड़कों की तरह लड़कियों के भी संगठन होने चाहिए, जिसके जरिए वे इन मामलों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा सकें। इस कार्य में कालेज प्रशासन द्वारा भी लड़कियों का सहयोग दिया जाना चाहिए।
आईएएस और आईपीएस करें प्रोत्साहित
बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा अनीता ने कहा कि कालेज प्रशासन द्वारा समय-समय पर लड़कियों को आत्मरक्षा के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही कालेज द्वारा लड़कियों के लिए संगोष्ठी का आयोजन किया जाना चाहिए, जिनमें आईएएस या आईपीएस महिलाओं को आमंत्रित किया जाना चाहिए, जिससे वे लड़कियों को प्रोत्साहित कर सकें।
लड़कियां दिखाए साहस
नगर की प्रतिष्ठित जागरूक महिला साक्षी जोशी का कहना है कि लड़कियों के साथ छेड़छाड़ की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सबसे पहले लड़कियों को स्वयं साहस दिखाना होगा। यदि उनके साथ कोई ऐसी घटना घटती है, तो वे साहस दिखाकर आगे आएं और दोषी व्यक्ति को सजा दिलवाने के लिए गुरेज नहीं करें। लड़की के परिजनों को भी साहस दिखाकर लड़की का साथ देना चाहिए, ताकि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और छेड़छाड़ करने वालों को सबक मिल सके।