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Kaithal News: प्रशिक्षण की कमी, स्कूलों में शोपीस बने डिजिटल बोर्ड

Amar Ujala Bureau अमर उजाला ब्यूरो
Updated Tue, 31 Jan 2023 06:00 AM IST
Lack of training, digital boards become showpiece in schools
कैथल। डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में डिजिटल बोर्ड तो लगवा दिए, लेकिन ज्यादातर स्कूलों में उनका प्रयोग नहीं हो रहा। जिले के 50 से ज्यादा स्कूलों में शिक्षा विभाग ने डिजिटल बोर्ड स्थापित करवा रखे हैं। ज्यादातर स्कूलों में ये डिजिटल बोर्ड स्मार्ट बोर्ड शोपीस बनकर रह गए हैं। कमरों की दीवार पर टंगी बोर्ड की स्क्रीन धूल फांक रही है। बोर्ड पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद इसका समुचित प्रयोग नहीं हो रहा।

गौरतलब है कि शिक्षा विभाग ने जिले के 55 सरकारी स्कूलों में डिजिटल बोर्ड लगवाए हैं। प्रत्येक बोर्ड को स्थापित करने पर आठ से 10 लाख रुपये तक राशि खर्च की गई है। ये बोर्ड अगस्त 2021 में स्कूलों में लगवाए थे। कई स्कूल तो ऐसे भी हैं, जहां शिक्षकों को इन्हें प्रयोग करने का प्रशिक्षण तक नहीं मिला है। ये भी बोर्डों के प्रयोग नहीं होने का बड़ा कारण है।

विद्यार्थियों द्वारा स्वयं इनका प्रयोग करना तो दूर की बात, शिक्षकों को भी इनके बारे में पूर्ण जानकारी नहीं है। हालांकि शिक्षक इन बोर्डों को व्हाइट बोर्ड, वीडियो चलाने या हिंदी, अंग्रेजी और गणित के पेज खोलने के लिए तो प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन इनका प्रयोग कितना विस्तृत है, इसके बारे में उन्हें भी जानकारी नहीं है। शिक्षकों का कहना है कि ये बोर्ड समय के अनुसार स्वयं अपडेट हो जाते हैं। ऐसे में इनका पांच से 10 प्रतिशत ही प्रयोग मुश्किल से होता है। शिक्षकों ने इनके समुचित प्रयोग के लिए प्रशिक्षण की विभाग से मांग की है।
हालांकि विभाग ने 55 के अलावा अन्य कई स्कूलों में भी ये बोर्ड लगवाने की बात कही है, लेकिन शिक्षक संगठनों का कहना है कि पहले विभाग उन सभी स्कूलों में बोर्डों को संचालित करे, जहां ये पहले से स्थापित किए गए हैं। डिजिटल शिक्षा को विभाग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 2025 तक लागू करने की बात कही है, लेकिन ये तभी संभव होगा, जब पहले से मौजूद तकनीकी उपकरणों का पूर्ण उपयोग हो।
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के राज्य प्रेस सचिव मास्टर सतबीर गोयत ने कहा कि फिलहाल तक स्कूलों में लगे डिजिटल बोर्ड मात्र शोपीस हैं। इन तो इनके लिए शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है और न ही इनकी देखभाल सही है। विभाग को चाहिए कि इनकी हरेक तकनीकी बारिकी के बारे में शिक्षकों को प्रशिक्षण दे और जिले के सभी स्कूलों में ये बोर्ड लगवाए जाएं।
राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक स्कूल के मुख्य शिक्षक जयभगवान ने कहा कि जिस प्रकार से ये बोर्ड समय-समय पर अपडेट होते रहते हैं। उसे देखते हुए शिक्षकों को कम से कम तीन महीने में एक बार प्रशिक्षण जरूर देना चाहिए।
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वहीं राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल रविंद्र शर्मा ने कहा कि स्मार्ट बोर्ड के लिए समय-समय पर शिक्षकों को प्रशिक्षित करना चाहिए। इनके बारे में शिक्षकों को जितनी ज्यादा जानकारी होगी, बच्चों को उतना ही फायदा होगा।
जिला शिक्षा अधिकारी शमशेर सिंह सिरोही ने बताया कि जिन स्कूलों में बोर्ड लगे हैं, उनमें अधिकतर में इनका प्रयोग हो रहा है। अगर किसी स्कूल में प्रयोग नहीं हो रहा है तो इस संबंध में शिक्षकों को निर्देश दिए जाएंगे कि इनका ज्यादा से ज्यादा प्रयोग हो। विभाग जल्द ही अन्य स्कूलों में भी बोर्ड लगाने के प्रयास में है। फरवरी माह में ज्यादा से ज्यादा शिक्षकों को इनके संचालन का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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