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एचएयू के टुकड़े करने से किसानों को हो रहा नुकसान

Rohtak Bureau रोहतक ब्यूरो
Updated Mon, 23 Dec 2019 12:54 AM IST
deputy chief in minister in HAU
deputy chief in minister in HAU - फोटो : Hisar
प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के टुकड़े कर वेटरनेरी व हॉर्टिकल्चर बना दी गई। मेरा मानना है कि इससे किसानों का नुकसान हो रहा है। साथ ही रिसर्च कार्य भी प्रभावित हो रहा है। मैं कभी सूत्रधार बना तो तीन यूनिवर्सिटीज को एक बार फिर से इकट्ठा करूंगा।

उपमुख्यमंत्री ने यह बात रविवार हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के इंदिरा गांधी सभागार में आयोजित किसान दिवस कार्यक्रम को बतौर मुख्यातिथि संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कार्यक्रम में प्रदेश के सभी 22 जिलों के प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में किसानों के मसीहा व पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की तांबे से बनी नौ फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया और पराली प्रबंधन संयत्र का भी निरीक्षण किया। उन्होंने विश्वविद्यालय में शोध कार्य (आरऐंडडी) के लिए 31 लाख रुपये देने की घोषणा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केपी सिंह ने की, जबकि पद्मश्री डॉ. विजयपाल सिंह ने कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत की। कार्यक्रम में पुरातत्व-संग्रहालय व श्रम-रोजगार राज्यमंत्री अनूप धानक सहित अनेक विशिष्ट व्यक्तियों ने शिरकत की।

उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने विश्वविद्यालय पहुंचने पर सर्वप्रथम पूर्व उपप्रधानमंत्री व अपने परदादा चौ. देवीलाल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने यहां लगाई गई प्रदर्शनी का शुभारंभ व इसका अवलोकन भी किया। उन्होंने ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया।
विदेशी छात्र हमारे संसाधनों का इस्तेमाल कर अपने देश को पहुंचाते हैं फायदा
उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश के विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्र पढ़ते हैं, जो यहां के संसाधनों का इस्तेमाल कर नई तकनीक खोजते हैं। मगर ये छात्र इन तकनीकों को अपने देश में ले जाकर उनका पेटेंट करवाते हैं और अपने देश को उस तकनीक का फायदा पहुंचाते हैं। इस बारे में भी हमें सोचना होगा। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आज हमारे किसानों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करने लायक बनाने की जरूरत है। यदि हम दिल्ली-एनसीआर की मार्केट का लाभ अपने किसानों को दिलवा सकें तो यह कृषि की तस्वीर व तकदीर को बदलने वाली बात होगी। उन्होंने कहा कि आज महिला किसान भी प्रगतिशील रवैया अपनाकर खेती, पशुपालन व स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से प्रदेश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दे रही हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के अधिकारियों को सलाह दी कि वे अपने यहां रैक्सिन और लैदर के बैग और फाइल कवर के स्थान पर स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा बनाए जाने वाले जूट के बैग व फाइल कवर के प्रयोग को बढ़ावा दें।
अपने पैतृक विवि से आगे निकल गई एचएयू
कुलपति प्रो. केपी सिंह ने कहा कि रैंकिंग में यह विश्वविद्यालय अपने पैतृक विश्वविद्यालय पंजाब विश्वविद्यालय से भी आगे निकल गया है। उन्होंने बताया कि कृषि अवशेष अब तक किसान के लिए बेकार की वस्तु रही हैं, लेकिन अब विश्वविद्यालय द्वारा कोशिश की जा रही है कि किसानों को कृषि अवशेषों से फसलों से भी अधिक आमदनी हो सके। इसके लिए हरियाणा के अलग-अलग हिस्सों में अवशेष प्रबंधन के संयंत्र लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हम वो दिन देखना चाहते हैं, जब किसान का बेटा किसान बनना चाहेगा।
खुद भी पढ़ें और बच्चों को भी पढ़ाएं
पद्मश्री विजेता डॉ. विजयपाल सिंह ने कहा कि समय बहुत तेजी से बदल रहा है। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि बदलते समय का लाभ लेने के लिए खुद भी पढ़ें और अपने बच्चों को भी पढ़ाओ। उल्लेखनीय है कि डॉ. विजयपाल द्वारा खोजी गई धान की पूसा-1 और पूसा-1121 को किसानों द्वारा कर्जापाड़ किस्मों के रूप में जाना जाता है। हरियाणा से प्रतिवर्ष इन किस्मों से पैदा होने वाले धान में से 30 हजार करेाड़ रुपये के धान का निर्यात होता है। उनकी उपलब्धियों की उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला सहित प्रत्येक वक्ता ने सराहना की। डॉ. विजयपाल ने हकृवि से मिली सम्मान राशि को भी विश्वविद्यालय कल्याण कोष में जमा करवाने की घोषणा की।
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