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फरीदाबाद। लैब टेक्नीशियन नहीं है, कल आना। अब बीके अस्पताल में आने वाले टीबी के मरीजों को यह नहीं सुनना पड़ेगा। क्योंकि अस्पताल की नर्स भी अब बतौर लैब टेक्नीशियन काम करेंगी। नर्सों को दिल्ली आरएनटीसीपी (रिवाइजड नेशनल टीबी कंट्रोल प्रोग्राम) केंद्र में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा।
हाल ही में इस बाबत जिला क्षयरोग अधिकारी की दिल्ली में बैठक हुई थी। जिसके बाद क्षयरोग व स्वास्थ्य विभाग द्वारा संयुक्त रूप से सभी नर्सों को टीबी के प्रति प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया गया। बीके अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य केंद्रों की नर्सों को दिल्ली भेजा जाएगा। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार नर्सों के प्रशिक्षण केे बाद ओपीडी समय तक यानी सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक बलगम के नमूने लिए जा सकेंगे।
दरअसल वर्तमान में विभाग के पास केवल दो लैब टेक्नीशियन हैं। अधिक मरीज होने पर कई बार उन्हें वापस कर दिया जाता है।
टीबी रोगियों के लिए बलगम की जांच सबसे मुख्य है। क्याेंकि इसी के आधार पर मरीजों को दवा दी जाती है। नर्सों को प्रशिक्षित करने से स्टाफ की कमी में भी मरीजों को परेशान नहीं होना पड़ेगा।
-डॉ. बीना शर्मा, जिला क्षयरोग अधिकारी बीके अस्पताल
फरीदाबाद। लैब टेक्नीशियन नहीं है, कल आना। अब बीके अस्पताल में आने वाले टीबी के मरीजों को यह नहीं सुनना पड़ेगा। क्योंकि अस्पताल की नर्स भी अब बतौर लैब टेक्नीशियन काम करेंगी। नर्सों को दिल्ली आरएनटीसीपी (रिवाइजड नेशनल टीबी कंट्रोल प्रोग्राम) केंद्र में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा।
हाल ही में इस बाबत जिला क्षयरोग अधिकारी की दिल्ली में बैठक हुई थी। जिसके बाद क्षयरोग व स्वास्थ्य विभाग द्वारा संयुक्त रूप से सभी नर्सों को टीबी के प्रति प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया गया। बीके अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य केंद्रों की नर्सों को दिल्ली भेजा जाएगा। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार नर्सों के प्रशिक्षण केे बाद ओपीडी समय तक यानी सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक बलगम के नमूने लिए जा सकेंगे।
दरअसल वर्तमान में विभाग के पास केवल दो लैब टेक्नीशियन हैं। अधिक मरीज होने पर कई बार उन्हें वापस कर दिया जाता है।
टीबी रोगियों के लिए बलगम की जांच सबसे मुख्य है। क्याेंकि इसी के आधार पर मरीजों को दवा दी जाती है। नर्सों को प्रशिक्षित करने से स्टाफ की कमी में भी मरीजों को परेशान नहीं होना पड़ेगा।
-डॉ. बीना शर्मा, जिला क्षयरोग अधिकारी बीके अस्पताल