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नगर आयुक्त की भी नहीं सुनते मातहत: सब हैरान, गैसीफायर शवदाह गृह से लगी लकड़ी वाले की निजी दुकान
संवाद न्यूज एजेंसी गोरखपुर।
Published by: vivek shukla
Updated Thu, 08 Jun 2023 01:43 PM IST
नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने छह अप्रैल 2023 को शवदाह गृह का निरीक्षण किया था। शवदाह गृह के बंद होने और व्यवस्थाएं ठीक न होने पर नाराजगी जताई थी। मातहतों को निर्देशित किया था कि अगले छह माह तक लकड़ी एवं गैस आधारित शवदाह संयंत्र में अंतिम संस्कार कराने पर कोई शुल्क नहीं देना होगा।
गोरखपुर राजघाट पर शवदाह गृह की खाली पड़ीं ट्रालियां।
- फोटो : अमर उजाला।
गोरखपुर शहर में राप्ती तट के किनारे बना गैसीफायर शवदाह गृह नगर आयुक्त के प्रयास के बाद भी शुरू नहीं हो सका है। यह सात महीने से बंद है। जबकि, इसे चलाने की तारीख एक मई मुकर्रर की गई थी और छह महीने तक शवदाह की सुविधा निशुल्क उपलब्ध करानी थी।
वर्तमान में हालत यह है कि गैसीफायर शवदाह गृह के अंदर ही लकड़ी वाले की निजी दुकान है, जो सबसे लकड़ी खरीदने के लिए पूछता घूमता है। दाह-संस्कार की बेहतर व्यवस्था की आस लिए गैसीफायर शवदाह गृह पहुंचने वाले लोग उसके सवाल से हैरान नजर आते हैं।
वर्तमान में गैसीफायर शवदाह गृह की मोर्चरी में लगी ट्रालियां जंग खाकर जर्जर हाल में हैं, जगह-जगह टाइल्स खराब हैं, सीढि़यां टूटीं हैं और सबमर्सिबल भी खराब है। तीनों मशीनें बंद हैं। इन हालात में शवों के अंतिम संस्कार के लिए लोगों को तपती धूप में राप्ती तट के किनारे ही जाना पड़ रहा है।
गैसीफायर नहीं परंपरागत संस्कार करवा लें
मंगलवार को दोपहर दो बजे थे। शवदाह गृह स्थल पहुंचने के बाद पता चला कि यहां सारी व्यवस्था गार्ड के ही हवाले है। पंजीकरण वाले कमरे के बाहर एक सूचना चस्पा थी। इस पर एक नंबर और रजिस्ट्रेशन शुल्क लिखा था। उस नंबर पर फोन करके रिपोर्टर ने शव की अंत्येष्टि कराने की बात कही। दूसरी तरफ से मैनेजर अभिषेक कुमार ने फोन उठाते हुए जवाब दिया, वहीं गार्ड होगा, वह रजिस्ट्रेशन करवा देगा। अंतिम संस्कार कब करवाना है? रिपोर्टर ने कहा- घंटे बाद। जवाब मिला, अभी गैसीफायर से तो नहीं हो पाएगा। वहीं, पास में परंपरागत तरीके से भी अंतिम संस्कार करवाने का इंतजाम है, वैसे करवा लें।
रिपोर्टर ने गैसीफायर मशीन के चालू न होने की वजह जाननी चाही, तो मैनेजर ने टालने के अंदाज में जवाब दिया, नगर निगम से कुछ कागजी काम बाकी है, इसलिए अभी चालू नहीं हो सका है। नगर निगम की लापरवाही तो नहीं, इस सवाल पर मैनेजर ने जवाब दिया कि नहीं भाई, कागज का कुछ काम फंसा है। अब यह बात फर्म और गैसीफायर की व्यवस्था देखने वाले नगर निगम के जिम्मेदार ही जानें।
छह अप्रैल को नगर आयुक्त ने किया था निरीक्षण
नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने छह अप्रैल 2023 को शवदाह गृह का निरीक्षण किया था। शवदाह गृह के बंद होने और व्यवस्थाएं ठीक न होने पर नाराजगी जताई थी। मातहतों को निर्देशित किया था कि अगले छह माह तक लकड़ी एवं गैस आधारित शवदाह संयंत्र में अंतिम संस्कार कराने पर कोई शुल्क नहीं देना होगा। केवल रजिस्ट्रेशन शुल्क देकर ही अंतिम संस्कार कराया जाएगा।
कहीं लकड़ी के कमीशन का खेल तो नहीं
शवदाह गृह पर बात करने के दौरान ही एक युवक अचानक पास आ गया। अपना नाम दिनेश बताते हुए कहा कि लकड़ी चाहिए क्या? पास में ही दुकान है। जाकर देख लीजिए लकड़ी मिल जाएगी। उधर, फोन पर फर्म वाले जिम्मेदार भी परंपरागत तरीके से अंत्येष्टी की सलाह दे रहे थे और उसी परिसर में लकड़ी बेचने वाले निजी दुकानदार। सवाल उठना लाजिमी है, कहीं ये कमीशन का चक्कर तो नहीं?
बेहतर सुविधा की आस था, निराशा मिली
गोरखपुर राजघाट पर शवदाह गृह में खाली रखा सिलिंडर।
- फोटो : अमर उजाला।
बिछिया निवासी अनूप सिंह ने कहा कि सड़क दुर्घटना में पिता का देहांत होने के बाद पोस्टमार्टम हुआ। रिश्तेदारों ने बताया कि नए शवदाह गृह में धार्मिक रीति रिवाज के साथ बेहतर ढंग से अंतिम संस्कार हो जाता है। लेकिन, वहां पहुंचने पर पता चला कि शवदाह गृह पर लगी मशीन काम नहीं कर रही है। फिर हम लोग उसी रास्ते राजघाट पर चले गए।
घाट पहुंचने पर पता चला मशीनें बंद हैं
मोहद्दीपुर निवासी विजय दूबे ने कहा कि पिता का निधन होने पर रिश्तेदारों ने राप्ती घाट पर अंत्येष्टि का फैसला किया। राजघाट पहुंचे तो पता चला कि गैसीफायर मशीन खराब है। इसके बाद अंतिम संस्कार राप्ती नदी के तट पर किया गया। अगर शहर में कोई सुविधा शुरू हो रही है, तो उसके रखरखाव और उसे चालू हालत में रखने जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए।
सुविधा बंद मिली तो घाट पर गए
बेतियाहाता निवासी रवि भूषण ने कहा कि जनवरी में रिश्तेदार का निधन हुआ था। सभी लोगों ने सोचा कि अंतिम संस्कार शवदाह गृह पर किया जाए। मैं रजिस्ट्रेशन कराने पहले पहुंच गया था। पता चला कि अभी सुविधा बंद है। फड़ पर शव जला सकते हैं। फिर सबने कहा कि इससे अच्छा तो घाट पर जाकर पूरे विधि-विधान से अंतिम संस्कार करेंगे।
शुरू होने में अभी एक माह लगेगा
नगर निगम अधिशासी अभियंता नर्वदेश्वर पांडेय ने कहा कि अभी एक महीने का समय लगेगा इसे चालू होने में। फर्म वाले गैसीफायर की ट्रालियां बदलेंगे। कोरोना काल में ये ट्रालियां खराब हो गईं थीं। नई ट्राली बाहर से आती है। हालांकि, वहीं परंपरागत तरीके से अंतिम संस्कार के लिए फड़ बना है। फर्म को अभी दो लाख रुपये का भुगतान भी किया गया है। राप्ती नदी किनारे अंतिम संस्कार ना हो, इसीलिए इसे बनाया गया था।
मौके पर जाकर जांच करेंगे
नगर प्रमुख मुख्य अभियंता संजय सिंह चौहान ने कहा कि गैसीफायर शवदाह गृह को फर्म तैयार कर रही है। नगर आयुक्त के निर्देश के बाद भी फर्म द्वारा इसे तैयार करने में देरी क्यों नहीं हुई, इसकी जांच करवाएंगे। फर्म ने कहा है कि जल्द ही इसे चालू करवाया जाएगा। अगले एक से दो दिनों में मौके पर जाकर फिर से जांच की जाएगी।
लोर्कापण पर भाषण चर्चित रहा था सांसद का
राजघाट एवं रामघाट के लोकार्पण के अवसर पर फरवरी 2021 में आयोजित जनसभा के दौरान गैसीफायर शवदाह गृह का शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था। इस दौरान सांसद रवि किशन अपने बयान से खूब सुर्खियां भी बटोरी थीं। उन्होंने कहा था कि कितना आनंद आएगा यहां जलने में...अत्याधुनिक है यह, यहां जलने पर डायरेक्ट स्वर्ग जाओगे। राप्ती तट पर करीब 13 करोड़ की लागत से जनवरी 2020 में शवदाह गृह का निर्माण कराया गया था।
यहां एक साथ 10 शवों के दाह संस्कार की सुविधा है। इनमें सात स्थानों पर फड़ पर दाह संस्कार होता है, तो तीन स्थानों पर गैसीफायर मशीन का इस्तेमाल होता है। इसमें भी दो स्थानों पर 50 किलो लकड़ी के साथ शव को रखकर गैसीफायर मशीन में जलाया जाता है, जबकि एक मशीन में लकड़ी का इस्तेमाल नहीं होता है।
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