निशानेबाजी में एक ही परिवार की दो पीढ़ियां शहर का नाम रोशन कर रही हैं। माता-पिता की पिस्टल और रायफल से उनके तीन बच्चे निशानेबाजी में पदक हासिल कर रहे हैं। माता-पिता शौकिया शूटिंग रेंज में उतरे, तो उनके तीनों बच्चों ने इसे कॅरियर के रूप में अपनाया है। गोरखपुर में अच्छी शूटिंग रेंज नहीं होने की वजह से तीनों बच्चे वाराणसी में अभ्यास करते हैं।
हुमायूंपुर के रहने वाले डॉ. सुधाकर चौहान और उनकी पत्नी डॉ. अनीता सिंह नैंचुरोपैथी के चिकित्सक हैं। अपने आवास पर आरोग्यम नाम से मस्कुलर डिस्ट्रोफी केंद्र संचालित करते हैं। डॉ. सुधाकर चौहान बताते हैं कि उन्हें निशानेबाजी का बचपन से शौक रहा है। इसी वजह से वे वर्ष-2005 में यूपी स्टेट रायफल एसोसिएशन के सदस्य बने और किराए पर पिस्टल लेकर निशानेबाजी का अभ्यास करने लगे। निशाना ठीक-ठाक लगने लगा तो गोरखपुर महोत्सव में आयोजित जिला स्तरीय शूटिंग प्रतियोगिता में प्रतिभाग किए और पुरस्कार जीता।
इसके बाद डॉ. सुधाकर चौहान की पत्नी डॉ. अनीता सिंह ने निशानेबाजी के अपने शौक को आगे बढ़ाया। उन्होंने शूटिंग का अभ्यास शुरू किया। जब जीतने का आत्मविश्वास पैदा हुआ तो प्रतियोगिताओं में भाग लेने लगीं। फिलहाल वह राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज हैं।
माता-पिता की निशानेबाजी के शौक का असर उनके तीनों बच्चों बेटे कुंवर युवराज, बड़ी बेटी युक्तिशा सिंह और छोटी बेटी विदिशा सिंह पर भी पड़ा। बच्चों के शौक को माता-पिता से उत्साहवर्धन मिला तो तीनों राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक जीत कर जिले का नाम रोशन कर रहे हैं। चूंकि उनके माता-पिता की रायफल और पिस्टल मौजूद थी इस वजह से उन्हें इसके लिए अतिरिक्त मशक्कत भी नहीं करनी पड़ी।
.22 बोर की रायफल और पिस्टल से लगाते हैं निशाना
डॉ. सुधाकर चौहान और सबसे छोटी बेटी विदिशा .22 बोर की पिस्टल से निशाना लगाते हैं। जबकि .22 बोर की रायफल से डॉ. अनीता सिंह, कुंवर युवराज सिंह और युक्तिशा सिंह निशाना लगाते हैं। कुंवर युवराज इस समय बनारस में रहकर स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं।
युक्तिशा और विदिशा गोरखपुर के राममूर्ति मेमोरियल इंटर कॉलेज में बारहवीं और हाईस्कूल की छात्रा हैं। गोरखपुर में अच्छा शूटिंग रेंज नहीं होने की वजह से डॉ अनीता सिंह और उनके तीनों बच्चे वाराणसी के कंटोनमेंट शूटिंग रेंज में अभ्यास करते हैं।
हुमायूंपुर के रहने वाले डॉ. सुधाकर चौहान और उनकी पत्नी डॉ. अनीता सिंह नैंचुरोपैथी के चिकित्सक हैं। अपने आवास पर आरोग्यम नाम से मस्कुलर डिस्ट्रोफी केंद्र संचालित करते हैं। डॉ. सुधाकर चौहान बताते हैं कि उन्हें निशानेबाजी का बचपन से शौक रहा है। इसी वजह से वे वर्ष-2005 में यूपी स्टेट रायफल एसोसिएशन के सदस्य बने और किराए पर पिस्टल लेकर निशानेबाजी का अभ्यास करने लगे। निशाना ठीक-ठाक लगने लगा तो गोरखपुर महोत्सव में आयोजित जिला स्तरीय शूटिंग प्रतियोगिता में प्रतिभाग किए और पुरस्कार जीता।
इसके बाद डॉ. सुधाकर चौहान की पत्नी डॉ. अनीता सिंह ने निशानेबाजी के अपने शौक को आगे बढ़ाया। उन्होंने शूटिंग का अभ्यास शुरू किया। जब जीतने का आत्मविश्वास पैदा हुआ तो प्रतियोगिताओं में भाग लेने लगीं। फिलहाल वह राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज हैं।
माता-पिता की निशानेबाजी के शौक का असर उनके तीनों बच्चों बेटे कुंवर युवराज, बड़ी बेटी युक्तिशा सिंह और छोटी बेटी विदिशा सिंह पर भी पड़ा। बच्चों के शौक को माता-पिता से उत्साहवर्धन मिला तो तीनों राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक जीत कर जिले का नाम रोशन कर रहे हैं। चूंकि उनके माता-पिता की रायफल और पिस्टल मौजूद थी इस वजह से उन्हें इसके लिए अतिरिक्त मशक्कत भी नहीं करनी पड़ी।
.22 बोर की रायफल और पिस्टल से लगाते हैं निशाना
डॉ. सुधाकर चौहान और सबसे छोटी बेटी विदिशा .22 बोर की पिस्टल से निशाना लगाते हैं। जबकि .22 बोर की रायफल से डॉ. अनीता सिंह, कुंवर युवराज सिंह और युक्तिशा सिंह निशाना लगाते हैं। कुंवर युवराज इस समय बनारस में रहकर स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं।
युक्तिशा और विदिशा गोरखपुर के राममूर्ति मेमोरियल इंटर कॉलेज में बारहवीं और हाईस्कूल की छात्रा हैं। गोरखपुर में अच्छा शूटिंग रेंज नहीं होने की वजह से डॉ अनीता सिंह और उनके तीनों बच्चे वाराणसी के कंटोनमेंट शूटिंग रेंज में अभ्यास करते हैं।