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एंबुलेंस माफिया :
अवैध एंबुलेंस संचालन में तीन सिपाही हटाए गए
पीडीएफ दस मई
- मेडिकल कॉलेज से मरीजों को नर्सिंग होम भेजने के मामले में दर्ज हुआ था केस
- एसएसपी ने तो कार्रवाई कर दी, लेकिन असल जिम्मेदार स्वास्थ्य महकमा की जांच अब भी पूरी नहीं
अमर उजाला ब्यूरो
गोरखपुर। सरकारी अस्पताल से मरीजों को प्राइवेट एंबुलेंस की मदद से नर्सिंग होम भेजे जाने के मामले में भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर तीन सिपाहियों का तबादला कर दिया गया। एसएसपी ने मेडिकल कॉलेज चौकी से तीनों को दूसरे थानों में भेजकर जांच का आदेश दिया है। लेकिन, एंबुलेंस माफिया पर असल कार्रवाई जिस स्वास्थ्य महकमे को करनी है, उसकी जांच आज भी पूरी नहीं हो सकी है। अब सवाल उठता है कि क्या सिर्फ पुलिस की कार्रवाई से ही एंबुलेंस माफिया के गठजोड़ को रोका जा सकता है?
जानकारी के मुताबिक, पांच मई की रात एक मरीज को मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर से नर्सिंग होम ले जाने के मामले में मारपीट हो गई थी। दो अलग-अलग एंबुलेंस के चालकों ने मारपीट की और फिर मरीज को मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी रोहन मिश्रा, प्रिंस चन्द, वार्ड ब्वॉय निलेश मिश्रा, साहिल सिंह की मदद से पादरी बाजार के नर्सिंग होम भेज दिया गया था।
इसमें स्टॉफ नर्स मोना चौरसिया का नाम भी सामने आया था। मामला तब दबा लिया गय था, लेकिन पुलिस अफसरों को घटना की भनक लग गई। इसके बाद सात मई को सिपाही प्रदीप कुमार की तहरीर पर पुलिस ने केस दर्ज किया। इस मामले में 9 मई को आरोपी मनोज निगम, राहुल, रोहन, प्रिंस चन्द को जेल भी भेजा गया था।
पुलिस केस की जांच रही थी, लेकिन एसएसपी ने पुलिस के भूमिका की जांच का भी आदेश दिया था। एसपी की जांच में सामने आया कि दरअसल, केस दर्ज कराने वाले सिपाही प्रदीप कुमार, प्रदीप सिंह और राजित यादव की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। एसएसपी ने प्रदीप कुमार को हरपुर बुदहट, प्रदीप सिंह को बेलघाट और राजित यादव को झंगहा थाने में तबादला कर दिया है।
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अभी तक पूरी नहीं हो पाई मेडिकल कॉलेज की जांच
एंबुलेंस संचालन कर प्राइवेट अस्पताल में मरीजों को भेजे जाने का मामला सामने आने के बाद ही जांच शुरू कर दी गई, लेकिन आज तक पूरी नहीं हो सकी। जबकि, दर्ज केस में एक स्टॉफ नर्स और वार्ड ब्वॉय तक का नाम सामने आया था। जाहिर है कि अगर मेडिकल कॉलेज के भीतर के लोग मरीज को रेफर या डिस्चार्ज नहीं करेंगे तो सिर्फ पुलिस उसे प्राइवेट एंबुलेंस की मदद से नर्सिंग होम नहीं भेज पाएगी। मेडिकल प्रशासन इस गंभीर मामले को लेकर कितना लापरवाह है, इसका अंदाजा उसकी जांच की रफ्तार से लगाया जा सकता है।
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फर्जीवाड़े में बीआरडी का एक डॉक्टर जा चुका है जेल
भटहट के सत्यम हॉस्पिटल में मरीज की मौत के मामले में बीआरडी का एक डॉक्टर जेल जा चुका है। डॉक्टर सुनील कुमार सरोज पर आरोप है कि उसके नाम पर अस्पताल का स्थायी पंजीकरण था। लेकिन, वह अस्पताल में न बैठकर दिल्ली में पीजी की पढ़ाई कर रहा था। जबकि, उसके नाम पर अस्पताल में झोलाछाप मरीजों का ऑपरेशन कर रहा था।
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कोट
पुलिस ने केस दर्ज कर चार आरोपियों को जेल भेजा था। अन्य की भूमिका की जांच जारी है। तीन सिपाहियों की भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर उन्हें मेडिकल कॉलेज पुलिस चौकी से हटा दिया है, उनकी विभागीय जांच भी की जा रही है। अपराध सामने आने पर पुलिस कार्रवाई कर रही है।
- मनोज अवस्थी, एसपी नार्थ
जांच के लिए टीम गठित की गई है। टीम के कुछ सदस्य छुट्टी पर हैं, इस वजह से जांच पूरी नहीं हो पाई है। टीम जल्द ही जांच पूरी कर रिपोर्ट देगी, जिसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ. राजेश राय, एसआईसी, नेहरू अस्पताल, मेडिकल कॉलेज
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