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UP: नोएडा में पकड़ी गईं गोरखपुर-महाराजगंज के पते पर बनीं शेल फर्में, बड़ी संख्या में हो रहा था हेर-फेर
संवाद न्यूज एजेंसी गोरखपुर।
Published by: vivek shukla
Updated Mon, 05 Jun 2023 02:42 PM IST
सूत्रों के मुताबिक जीएसटी की टीम फर्जी फर्मों में काली कमाई खपाए जाने की भी जांच कर रही है। इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) करंसी की तरह है। अगर किसी कंपनी का आईटीसी 2 करोड़ है तो उसे कभी भी ट्रांसफर किया जा सकता है या बेचा जा सकता है। यही नहीं आईटीसी रिकॉर्ड वाली फर्म की वैल्यू भी बढ़ जाती है।
नोएडा पुलिस की कार्रवाई के दौरान गोरखपुर और महाराजगंज में संचालित तीन शेल फर्मों के बारे में पता चला है। जांच में पता चला कि ये फर्में पहले ही अपंजीकृत कर दी गई थीं। लेकिन, जीएसटी नंबर बनाकर संचालन हो रहा था। घोटाला सामने आने के बाद जीएसटी टीम इस फर्जी फर्मों से जुड़ी अन्य जानकारियां जुटा रही है। इनमें एक फर्जी फर्म गीडा औद्योगिक क्षेत्र के पते पर थी तो अन्य दोनों फर्में महाराजगंज के पते पर थीं।
दरअसल, यह मामला तब खुला जब एक व्यक्ति अपने नाम और पते पर दूसरा व्यवसाय करने के लिए जीएसटी में पंजीयन करवाने गया। गोरखपुर जिले का रहने वाला वह व्यक्ति नोएडा में कार्यरत है। जीएसटी विभाग में पंजीयन के लिए जब उसने दस्तावेज जमा किया तो पता चला कि उसके नाम पर पहले से ही फर्में चल रही हैं।
यह सुनकर वह हैरत में पड़ गया और शिकायत संबंधित थाने पर की। फर्म के आईपी एड्रेस की जांच से मामला खुल गया और जांच के दौरान करीब 250 बोगस फर्में सामने आईं। इसमें गोरखपुर और महाराजगंज में तीन फर्में भी थीं।
इनकी जांच करवाने के लिए जीएसटी विभाग के पास फर्मों का नाम और जीएसटीएन नंबर भेजा गया। जांच हुई तो पता चला कि ये फर्म पहले ही अपंजीकृत कर दी गई थी। जीएसटी की टीम अब फर्म के नाम पर रुपयों के लेनदेन की जांच कर रही है। अभी तक कितने रुपये का व्यवसाय किया गया, इसकी जांच भी की जा रही है।
एडिश्नल कमिश्नर ग्रेड टू देवमणि शर्मा ने बताया कि फर्जी फर्में पहले ही अपंजीकृत करवा दी गई थीं। दो दिन पहले भौतिक परीक्षण करवाया गया, तो फर्म बंद थी। दफ्तर के पते पर कार्यालय जैसी कोई चीज नहीं थी।
काली कमाई खपाए जाने की भी हो रही जांच
सूत्रों के मुताबिक जीएसटी की टीम फर्जी फर्मों में काली कमाई खपाए जाने की भी जांच कर रही है। इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) करंसी की तरह है। अगर किसी कंपनी का आईटीसी 2 करोड़ है तो उसे कभी भी ट्रांसफर किया जा सकता है या बेचा जा सकता है। यही नहीं आईटीसी रिकॉर्ड वाली फर्म की वैल्यू भी बढ़ जाती है। अंदेशा है कि इन फर्जी फर्मों से आरोपियों ने कई कंपनियां आईटीसी वैल्यू के साथ बेची हैं। काली कमाई खपाने के मकसद से फर्में खरीदने की बात भी सामने आ रही है।
अपने पैन की जांच करें, रखें संभाल कर
एडिश्नल कमिश्नर ग्रेड टू देवमणि शर्मा ने बताया कि पैन नंबर का गलत इस्तेमाल तो नहीं हुआ है, इसकी जांच कोई भी व्यक्ति कर सकता है। आशंका के समाधान के लिए Services.gst.gov.in की मदद ले सकते हैं। साइट पर जाकर सर्च टैक्स पेयर के ऑप्शन में पैन नंबर डालकर चेक किया जा सकता है। इसके अलावा आधार और पैन को काफी संभाल कर रखें। दूसरे किसी को फोटोकॉपी या दूसरी प्रति देने से परहेज करें।
ये हैं फर्में और जीएसटी नंबर
लक्ष्मी इंटरप्राइजेज 09AODPT9676CIZE
बीआर इंटरप्राइजेज 09BLBPSO677NIZE
ग्लोबल ट्रेडर्स 09BVVPK6815JIZS
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