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नवरात्र 2023: माता की कृपा से नौ दिन में बढ़ गईं इन बेजुबानों की सांसें, दुकानदार परेशान

संवाद न्यूज एजेंसी गोरखपुर। Published by: vivek shukla Updated Wed, 29 Mar 2023 02:47 PM IST
सार

बासगांव पोल्ट्री फार्म संचालक मनोज सिंह ने कहा कि नवरात्र के कारण पोल्ट्री फार्म में मुर्गों की संख्या मानक से अधिक हो गई है। इससे दाम में भी गिरावट आ गई है। नवरात्र से पहले जो मुर्गा थोक में 100 रुपये किलो बिकता था, वह अब 90 रुपये किलो बिक रहा है।

Navratri saved 80 to 90 percent lives of goats and chickens
सांकेतिक तस्वीर। - फोटो : पीटीआई

विस्तार

शक्ति उपासन के महापर्व वासंतिक नवरात्र के कारण जिले के 80 से 90 फीसदी बकरों और मुर्गों की जान बच गई है। नवरात्र में बकरे और मुर्गे के मीट की बिक्री में भारी गिरावट आ गई है। मीट की बिक्री नहीं के बराबर हो रही है। इससे पोल्ट्री फार्म में मुर्गे मानक से अधिक मात्रा में हो गए हैं।



हिंदू धर्म के अनुसार, सात्विक पूजा को सर्वोत्तम माना जाता है। अगर किसी को पूजन को श्रेष्ठ फल प्राप्त करना हो तो सात्विक पूजा की जाती है। इसके लिए सात्विक आहार की आवश्यकता है। मांस सात्विक भोजन की श्रेणी में नहीं आता है। ऐसे में लोग पूजन से श्रेष्ठ फल की प्राप्ति के लिए नवरात्र में मांस से दूरी बना लेते हैं। जिसका सीधा असर मांस के बाजार पर पड़ता है।


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मंगलवार को शहर के मांस की दुकानों के साथ ही मांसाहारी रेस्टोरेंटों में भी सन्नाटा पसरा रहा। घोषकंपनी, छोटे काजीपुर, मियां बाजार, शाहमारूफ, घंटाघर, धरमपुर स्थित मांस की अधिकतर दुकानें बिक्री नहीं होने के वजह से बंद रहीं। वहीं गोलघर की अधिकतर दुकानों पर एक-दो ग्राहक ही नजर आए।

सामान्य दिनों में 60 से 70 क्विंटल मुर्गे और 20 से 25 क्विंटल बकरे के मीट की बिक्री शहर में हो जाती थी, तो वहीं नवरात्र के दौरान मुर्गे का मीट 10 से 15 क्विंटल ही बिक रहा है। रमजान के कारण मुर्गे के मीट की थोड़ी बिक्री हो भी जा रही है, लेकिन बकरे के मीट की बिक्री नहीं के बराबर है। इससे दुकानदार परेशान हैं। वहीं पोल्ट्री फार्म में भी मुर्गे क्षमता से अधिक हो गए है। इससे फार्म संचालक परेशान हैं।
 

दुकानदारों ने क्या कहा

बासगांव पोल्ट्री फार्म संचालक मनोज सिंह ने कहा कि नवरात्र के कारण पोल्ट्री फार्म में मुर्गों की संख्या मानक से अधिक हो गई है। इससे दाम में भी गिरावट आ गई है। नवरात्र से पहले जो मुर्गा थोक में 100 रुपये किलो बिकता था, वह अब 90 रुपये किलो बिक रहा है।

गोलघर में रेस्टोरेंट संचालक राजू सिंह ने कहा कि नवरात्र के कारण रेस्टोरेंट में सन्नाटा है। ग्राहक नहीं आ रहे हैं। पहले जहां एक क्विंटल मुर्गे की बिरयानी बिक जाती थी, वहीं अब 10 किलो मुर्गे की बिरयानी भी नहीं बिक पा रही है। इससे बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है।



छोटे काजीपुर में मीट दुकानदार कलाम ने कहा कि नवरात्र से पहले जहां एक दिन में औसतन एक से डेढ़ क्विंटल मुर्गे का मीट बेचता था, वहीं अब 20 से 22 किलो ही मुर्गे का मीट बेच पा रहा हूं। बकरा तो काट ही नहीं रहा, क्योंकि बकरे के मीट के ग्राहक हैं ही नहीं।

घंटाघर में मीट दुकानदार शमशेर ने कहा कि नवरात्र में मुर्गे और बकरे के मीट की बिक्री न के बराबर रह जाती है। आम दिनों में 50 से 60 किलो मुर्गा प्रतिदिन बेचता था, लेकिन अब 10 से 12 किलो ही बिक रहा है। उम्मीद है कि नवरात्र बाद स्थिति सुधरेगी।




 
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