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NER पर आई किताब: 'छोटी लाइन' में दिखेगा पूर्वोत्तर रेलवे का इतिहास और वर्तमान, इन बिंदुओं का रहेगा जिक्र
अमर उजाला ब्यूरो गोरखपुर।
Published by: गोरखपुर ब्यूरो
Updated Fri, 09 Jun 2023 03:05 PM IST
पूर्वोत्तर रेलवे सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर रेलवे के इतिहास और वर्तमान को ध्यान में रखते हुए किताब तैयार कराई गई है। 150 पेज के इस किताब का नाम छोटी लाइन दिया गया है। क्योंकि, पूर्वोत्तर रेलवे की शुरुआत छोटी लाइन से हुई थी। इस जोन के अंदर एक भी बड़ी लाइन उस वक्त नहीं थी।
Gorakhpur Railway station
- फोटो : अमर उजाला।
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पूर्वोत्तर रेलवे का इतिहास बेहद शानदार और गौरवशाली रहा है। स्वर्णिम इतिहास को आधार मानकर वर्तमान भी उसे तरह गढ़ा जा रहा है। इन्हीं को आधार मानकर पूर्वोत्तर रेलवे ने कॉफी टेबल बुक छपवाया है, जिसे 'छोटी लाइन' नाम दिया गया है। इस किताब में पूर्वोत्तर रेलवे का इतिहास और वर्तमान दोनों की झलक दिखेगी। किताब का लोकार्पण इस माह के अंत तक होने की उम्मीद है।
जानकारी के मुताबिक, पूर्वोत्तर रेलवे में पहले छह जोन थे। इनमें अवध-तिरहुत, असम, बंगाल एंड नार्थ वेस्टर्टन, ईस्ट बंगाल स्टेट, बंगाल-असम और ईस्ट इंडिया शामिल था। आजादी के बाद 1958 में इसे पूर्वोत्तर रेलवे नाम दिया गया।
इससे पूर्व इसे अवध-तिरहुत के नाम से जाना जाता था। इन सभी जोनों में छोटी लाइन ही यात्रियों के लिए सहारा थी। इसकी वजह से पूर्वाेत्तर रेलवे को छोटी लाइन भी कहा जाता है। यही कारण है कि पूर्वाेत्तर रेलवे के किताब का नाम भी छोटी लाइन ही रखा गया है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक किताब में इन सभी पुराने तथ्यों का जिक्र भी है।
इस बात को भी दर्शाया गया है कि जोन में 3450 रूट किलोमीटर और 486 स्टेशन हैं। इसके तहत तीन मंडल आते हैं। इनमें वारणसी, लखनऊ और इज्जतनगर शामिल हैं। इसके अलावा पुरानी तकनीकी पर चलाई जा रही ट्रेन की टोकन यंत्र ऑपरेट करते हुए स्टेशन मास्टर की सतर्कता, वर्ष 1900 का मनकापुर रेलवे स्टेशन रेलवे के 123 साल पुराने इतिहास की कहानी भी है।
वहीं, वर्ष 1959 में काठगोदाम स्टेशन पर हुए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का स्वागत का चित्र, वर्ष 1885 में राप्ती नदी रेल ब्रिज ब्रिटिश हुकूमत के समय बनाए गए पुलों की मजबूती भी दिखाई गई है। 1885 में बने डोमिनगढ़ के ऐतिहासिक पुल की कहानी भी किताब में बताई गई है।
मैलानी-नानपारा रेल लाइन का भी जिक्र
पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल में मैलानी-नानपारा रेलखंड की 170 किलोमीटर लंबी लाइन मीटर गेज की है। यह लाइन दुधवा नेशनल पार्क होकर जाती है, जो कि विश्वस्तरीय पार्क है। यह पर्यटकों के लिए बेहद मुफीद है। इस पर बड़ी लाइन का काम भी नहीं होना है। इस रेल लाइन का संरक्षित भी कर दिया है। किताब में इस बात भी जिक्र किया गया है।
किताब की होगी ब्रांडिंग, ऑनलाइन बेचने की तैयारी में पूर्वोत्तर रेलवे
पूर्वोत्तर रेलवे की 150 पेज की छोटी लाइन नाम की इस किताब की पूर्वोत्तर रेलवे ब्रांडिंग भी करेगा। इसे ऑनलाइन बेचा जाएगा, जिससे की लोगों को पूर्वोत्तर रेलवे के इतिहास और 2024 तक होने वाले विजन की पूरी जानकारी हो सके। हालांकि अभी किताब के रेट तय नहीं किए गए हैं। लोकार्पण के समय रेट तय होने की उम्मीद है। इस किताब को पूर्वोत्तर रेलवे के हर रेलवे स्टेशन के बुक स्टाॅल पर रखा जाएगा। साथ ही म्यूजियम की भी यह किताब शोभा बढ़ाएगी।
पूर्वोत्तर रेलवे सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने कहा कि पूर्वोत्तर रेलवे के इतिहास और वर्तमान को ध्यान में रखते हुए किताब तैयार कराई गई है। 150 पेज के इस किताब का नाम छोटी लाइन दिया गया है। क्योंकि, पूर्वोत्तर रेलवे की शुरुआत छोटी लाइन से हुई थी। इस जोन के अंदर एक भी बड़ी लाइन उस वक्त नहीं थी। जबकि, उस वक्त मेन रूट पर दिल्ली-हावड़ा, दिल्ली-मुंबई पर बड़ी लाइन थी। किताब पूरी तरह से बनकर तैयार हो गई है, जिसका जल्द ही लोकार्पण होगा।
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