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अमर उजाला लाइव: चार गुना मुआवजे पर किसान नहीं तैयार... मौजूदा कीमत की दरकार
अमर उजाला ब्यूरो गोरखपुर।
Published by: vivek shukla
Updated Sat, 25 Mar 2023 02:30 PM IST
सार
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दिनेश चौधरी ने कहा कि गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) असंवेदनशील हो गया है। एकतरफा बातें कर रहा है। विकास का तो हम भी स्वागत करते हैं, लेकिन हमारा क्या होगा? हम कहां जाएं?
भैंसहा में नया गोरखपुर को लेकर चर्चा करते ग्रामीण
- फोटो : अमर उजाला।
नया गोरखपुर शहर बसाने की राह में जमीन का रोड़ा अटक गया है। जीडीए ने नए शहर के लिए जिन गांवों को चुना है वहां के किसान अपनी जमीन देने के लिए तैयार नहीं हैं। अधिकतर किसानों का कहना है कि खेती ही हमारी आजीविका है। यदि यही नहीं रही तो हम करेंगे क्या? जीवन कैसे गुजारेंगे? कई किसानों का कहना है कि जीडीए जमीन का उचित मुआवजा नहीं दे रहा है। बाजार भाव पर ही जमीन दे पाएंगे। यदि जबरदस्ती हुई तो आंदोलन करेंगे। फिलहाल जीडीए की टीमें गांवों में जाकर किसानों को समझाने का काम कर रही हैं।
कुसम्ही क्षेत्र के भैंसहा गांव के चौराहे पर स्थित चाय की दुकान के बाहर दोपहर 3:25 बजे कुछ लोग नए शहर के लिए जमीन देने पर चर्चा कर रहे थे। गांव के दिनेश चौधरी ने कहा कि गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) असंवेदनशील हो गया है। एकतरफा बातें कर रहा है। विकास का तो हम भी स्वागत करते हैं, लेकिन हमारा क्या होगा? हम कहां जाएं? सिक्के के दूसरे पहलू को भी देखा जाना चाहिए। हमारी जमीन ले लेंगे तो परिवार कैसे पालेंगे? जीविकोपार्जन का एक मात्र सहारा खेती ही तो है।
इसी बीच तमतमाए हुए मुन्ना ने कहा कि जीडीए के अधिकारियों को गरीबों की चिंता कहां है। गरीब जीएं या मरें। सरकारी महकमा सिर्फ अपना राग अलाप रहा है। जिस जमीन की कीमत करोड़ों में है, उसे आधी रकम भी नहीं दी जा रही है। ऐसे में कोई अपनी जमीन कैसे दे सकता है। जबरदस्ती की गई तो आंदोलन किया जाएगा।
ऐसा दृश्य आजकल लगभग हर उस गांव में देखने को मिल रहा है, जिन गांवों का चयन जीडीए ने नए शहर के लिए किया है। रुद्रापुरम, बहरामपुर, अराजी, बसडीला, जगदीशपुर, सिसवा, बालापार सहित ऐसे 60 गांव हैं जहां पिछले एक सप्ताह से किसान एकत्रित होकर नया गोरखपुर के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए जीडीए की शुरू की गई गतिविधियों पर चर्चा कर रहे हैं। सभी को चिंता है कि जीडीए बाजार दर से कम पर उनकी जमीन अधिगृहीत कर सकता है।
उधर, नया गोरखपुर के लिए जमीन अधिगृहीत करने के लिए जीडीए की टीम 60 गांवों में एक-एक कर बैठकें कर रही है। हर गांव में दो बार जाकर बैठक करने का लक्ष्य तय किया गया है। बैठकों के दौरान प्राधिकरण के अधिकारी विकास के लिए नया गोरखपुर की जरूरत को बताने के साथ सर्किल रेट से चार गुना दाम पर जमीन देने के लिए किसानों को प्रेरित कर रहे हैं। लेकिन जवाब में उन्हें न ही सुनने को मिल रहा है। किसान जमीन देने के लिए राजी नहीं हैं। कोई तय मुआवजे को कम बता रहा है, तो किसी का कहना है कि उनके परिवार का जीविकोपार्जन खेती-किसानी से होता है। जमीन दे देंगे तो बेरोजगार हो जाएंगे। घर में चूल्हा तक नहीं जल पाएगा।
किसानों की दलील है कि 2016 के बाद से जिले में जमीनों का सर्किल रेट नहीं बढ़ा, जबकि वर्तमान में बाजार दर कई गुना बढ़ गई है। प्राधिकरण जो मुआवजा दे रहा है वह चार गुना दिए जाने के बाद भी वर्तमान बाजार दर से आधे से भी कम है।
बोले क्षेत्र के किसान
बहरामपुर निवासी लालजी यादव ने कहा कि हम लोग छोटे काश्तकार हैं। खेती से ही जीविका चलती है। जो उपज बेचते हैं, उसी से साल भर गुजारा होता है। जमीन दे देंगे तो काम क्या करेंगे। घर का चूल्हा कैसे जलेगा?
बहरामपुर निवासी राजेंद्र यादव ने कहा कि हमारी पुश्तैनी जमीन है। हमारे क्षेत्र में जमीन कारोबारी प्लॉटिंग कर महंगे रेट पर जमीन बेच रहे हैं। सरकार भी वही रेट देगी तो जमीन बेचेंगे वर्ना नहीं। दबाव बनाया गया तो आंदोलन करेंगे।
बहरामपुर निवासी रणजीत निषाद ने कहा कि एक ही शर्त पर जमीन देंगे कि जीडीए हमारी जितनी जमीन लेगा, उसकी आधी जमीन विकसित करके हमें दें और साथ में सर्किल रेट का छह गुना दाम भी दे।
कुसम्ही बाजार के रुद्रापुर निवासी शेषमणि गुप्ता ने कहा कि हम छोटी जोत के किसान हैं। घनी आबादी है। ज्यादातर लोग बेरोजगार हैं। खेती ही रोजी-रोटी का जरिया है। जमीन ही नहीं रहेगी तो खेती कहां करेंगे। हमारा पुराना गोरखपुर ही ठीक है।
भैंसहा निवासी ओमप्रकाश चौधरी ने कहा कि वर्ष 2016 से सर्किल रेट नहीं बढ़ा है। जीडीए सर्किल रेट का ही चार गुना अधिक देने की बात कह रहा है जो वर्तमान बाजार दर से आधे से भी कम है। गरीब आदमी ही क्यों नुकसान झेले।
भैंसहा निवासी अच्छेलाल निषाद ने कहा कि वर्तमान बाजार दर के मुताबिक मुआवजा मिलेगा तो ही जमीन दूंगा। जीडीए 2016 के सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजा देने का दबाव बना रहा है, जो पूरी तरह से गलत है। हम आंदोलन करेंगे।
भैंसहा निवासी रमायन निषाद ने कहा कि हमेशा किसानों को ही दबाया जा रहा है। वर्ष 2016 के बाद जिले में सर्किल रेट नहीं बढ़ा है। जीडीए सात साल पुराने सर्किल रेट के मुताबिक ही मुआवजा दे रहा है जो बाजार दर से काफी कम है।
कुसम्ही बाजार तकिया निवासी रविंद्र यादव ने कहा कि प्राधिकरण अधिगृहीत की जाने वाली जमीन का 30 फीसदी हिस्सा विकसित करके देगा और मुआवजा बाजार दर के मुताबिक देगा तो ही जमीन देंगे। प्राधिकरण ने दबाव बनाया तो किसान धरने पर बैठ जाएंगे।
छह हजार एकड़ में बनेगा नया गोरखपुर
कुसम्ही, जगदीशपुर होते हुए पिपराइच, टिकरिया-महराजगंज मार्ग पर नया गोरखपुर बसाया जाएगा। दावा है कि यह सिटी विकास की राह पर सरपट दौड़ रही सीएम सिटी की नई पहचान होगी। करीब 6000 एकड़ में बसाए जा रहे शहर में सभी तरह की सुविधाएं दी जाएंगी। करीब डेढ़ लाख आबादी बस सकेगी। होटल, मॉल, मल्टीप्लेक्स, स्कूल, ग्रुप हाउसिंग, रिसॉर्ट, बैंक्वेट हाल, आवासीय कालोनी, बिजनेस हाल, पेट्रोल पंप, अस्पताल जैसी सुविधाएं मौजूद रहेंगी।
इसका महायोजना-2031 में भी प्रावधान किया गया है। इसी के मुताबिक भू-उपयोग तय किया गया है। शहर की बढ़ती आबादी और सिकुड़ते शहर को देखते हुए नया गोरखपुर की जरूरत है। इसके लिए गोरखपुर-टिकरिया-महराजगंज मार्ग पर करीब 25 गांवों को चिह्नित किया गया है। पिपराइच एवं कुसम्ही क्षेत्र के करीब 35 गांव भी इसमें शामिल होंगे। जमीन अधिगृहीत करने के लिए जीडीए की टीम गांवों में दो-दो बार बैठकें कर किसानों को प्रेरित कर रही है। जीडीए के जिम्मेदार फिलहाल इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।
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