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बदल रहे गोरखपुर में फिर खून खराबा: बेलीपार फिर पुराने रंग में, छोटे सरकार की गैंगवार का खौफ

अमर उजाला ब्यूरो गोरखपुर। Published by: vivek shukla Updated Fri, 31 Mar 2023 03:16 PM IST
सार

पूर्व प्रधान शशि मौली शुक्ला को बुधवार को दिनदहाड़े भगत चौराहे के पास गोली मारी गई। जिस समय बेखौफ बाइक सवार बदमाशों ने वारदात को अंजाम दिया, उस वक्त मुख्यमंत्री शहर में थे। चारों तरफ पुलिस की सुरक्षा मौजूद थी।

Fear of chote sarkar gang war again in Belipar Gorakhpur
बेलीपार के कन्हैया गांव में आरोपी बनाए गए प्रधान के पिता और समर्थक उनके घर पर। - फोटो : अमर उजाला।

विस्तार

गोरखपुर शहर का भगत चौराहा। बृहस्पतिवार को यहां चहल-पहल थी। कुछ दूरी पर आते ही ओवरब्रिज का निर्माण, अच्छे रेस्त्रां, मार्ट यह सब कुछ गोरखपुर के बदलते तस्वीर को बयां कर रहा। लेकिन, 22 किलोमीटर दूर बेलीपार इलाके के कनईल गांव में ऐसा नहीं है। वहां पर सन्नाटा पसरा है। भगत चौराहे पर हिस्ट्रीशीटर पूर्व प्रधान शशि मौली शुक्ला को गोली मारे जाने का असर गांव में साफ दिखता है। एक बार फिर इलाके के लोगों के मन में पुराने गैंगवार वाले गोरखपुर की याद ताजा हो गई।



गांव में चर्चा है कि कहीं फिर से छोटे सरकार का गैंगवार न शुरू हो जाए। क्योंकि जिस अर्पित पर आरोप लगा है, उसके बाबा श्रीप्रकाश शुक्ला की 24 साल पहले इसी तरह गोलियों से भूनकर हत्या की गई थी। तब आज बिस्तर पर घायल पड़े शशि मौली शुक्ला आरोपों के घेरे में थे और उनके घर पर वैसा ही सन्नाटा था, जैसा कि अर्पित के घर पर है। गांव में शशि मौली शुक्ला छोटे सरकार के नाम से जाने जाते हैं।


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गांव वालों के मन में डर है कि लंबे समय बाद गांव में जो शांति का माहौल है, वह कहीं फिर से गैंगवार के रास्ते में ना चल पड़े। हालांकि, पुलिस अफसरों ने लंबे समय बाद इस तरह के हुए गैंगवार को गंभीरता से लिया है। वह नामजद आरोपियों के अलावा घटना में शामिल एक-एक बदमाश की तलाश में जुटी है। कोशिश है कि बदमाशों पर कड़ी कार्रवाई कर नए गोरखपुर का संदेश दिया जाए।
 

दरअसल, पूर्व प्रधान शशि मौली शुक्ला को बुधवार को दिनदहाड़े भगत चौराहे के पास गोली मारी गई। जिस समय बेखौफ बाइक सवार बदमाशों ने वारदात को अंजाम दिया, उस वक्त मुख्यमंत्री शहर में थे। चारों तरफ पुलिस की सुरक्षा मौजूद थी।

इन सब के बीच बदमाशों न सिर्फ फिल्मी अंदाज में गोलियों की तड़तड़ाहत से इलाके में सनसनी फैला दी, बल्कि पूर्व प्रधान को चार गोलियां मारकर खुद के मंसूबे को साफ कर दिया। दिखा कि उनके अंदर न तो कानून का डर है और न ही उन्हें कोई वारदात से रोक सकता। तभी तो फिल्मी अंदाज में 10 राउंड फायरिंग कर आराम से फरार हो गए और घटना के 24 घंटे बाद भी पुलिस खाली हाथ है।

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साहब, चाय-पानी पी लें, इस पर कुछ ना पूछें
गांव में इस घटना के खौफ को ऐसे ही समझ सकते हैं कि कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। घर जाने पर बोलते हैं, साहब चाय-पानी पीजिए, इस पर कुछ मत पूछिए। लेकिन, नाम ना छापने की शर्त पर वह बोल पड़ते हैं, गांव में जिस तरह का माहौल फिर से बन रहा है, उससे डर ही लगता है। एक बुजुर्ग ने बताया कि पहले गांव में रोजाना ही एक-दूसरे पर लोग हमला कर देते थे। पुलिस आती थी तो किसी को उठा कर ले जाती। संदेह के आधार पर बेगुनाह भी परेशान होते थे। एक बार फिर उसी तरह का माहौल बन रहा है।

प्रधान को पुलिस ने उठाया, अर्पित के घर ताला

नामजद आरोपी प्रधान को पुलिस ने उठा लिया है। मामले की जांच की जा रही है। उधर, अर्पित के घर पर ताला लटका है। वह अपने भाई, मां और दादी के साथ फरार है। उसके पिता सत्यशील मुंबई में रहते हैं। अर्पित अपने छोटे भाई कलश, मां और दादी के साथ रहता है। घटना के बाद सभी घर छोड़कर फरार हैं।

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गोरखपुर में 2014 में हुई थी गैंगवार में आखिरी हत्या
गोरखपुर में 9 साल बाद गैंगवार वाली वारदात हुई है। इससे पहले माफिया लाल बहादुर यादव की चार मई 2014 को गोरखपुर विश्वविद्यालय के सामने कार्बाइन से गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। इसके पहले 2007 में पीडब्ल्यूडी कांड हुआ था। इसमें रामायण उपाध्याय और लाल बहादुर यादव गिरोह के लोग ठेके को लेकर आमने-सामने हो गए थे। दोनों तरफ से हुई फायरिंग में दो लोगों की हत्या हुई थी। लेकिन, इसके बाद से शांत गोरखपुर में 2014 में गैंगवार में लाल बहादुर की हत्या हुई। फिर गोरखपुर अपराध में शांत हुआ। सरकार बदली तो गोरखपुर विकास की ओर दौड़ पड़ा, लेकिन एक बार फिर विकास के पहिए को मोड़ने की कोशिश की जा रही।

पति को चुनावी रंजिश में फंसाया गया
प्रधान की पत्नी गुंजन शुक्ला ने कहा कि मेरे पति सुबोध को चुनावी रंजिश में फंसाया गया है। लंबे समय बाद शशि मौली के घर से प्रधानी गई है, इस वजह से वह चाहते है कि फंसा दे। जिस अर्पित को आरोपी बनाया गया है, वह चुनाव में पति के साथ भी नहीं था। दूसरे प्रत्याशी का प्रचार किया था। शशि मौली चाहते हैं कि सबको फंसा दें, ताकि वह अकेले चुनाव लड़कर जीत जाए। निष्पक्ष जांच हो तो सब खुलकर सामने आ जाएगा।
 

एक बार फिर गांव की शांति में पड़ा खलल

ग्रामीण फड़िद्र दुबे ने कहा कि गांव में पहले तो बहुत शांति थी, लेकिन इस समय सब कोई अपना काम कर रहा। पूर्व प्रधान शशि मौली तो लंबे समय से शहर में ही हैं। लेकिन, उन पर हमला हुआ है तो इससे गांव का माहौल बिगड़ सकता है। गांव की शांति में खलल पड़ सकता।

बदले की भावन से गांव में हुई है अशांति
ग्रामीण रविंद्र दुबे ने कहा कि बदले की भावना से गांव में कई हत्याएं हो चुकी हैं। पूर्व प्रधान शशि मौली ने भी पिता की हत्या का बदला ही लिया था और जिस अर्पित को आरोपी बनाया गया है, अगर उसने ही घटना की है तो उसके बाबा श्रीप्रकाश की भी हत्या शशि मौली ने ही किया था। फिर तो ऐसा ही लगता है कि बदले में गैंगवार शुरू ही हो गया।



गांव में अच्छा काम हो रहा, लेकिन...
ग्रामीण अंगद साहनी ने कहा कि गांव में इस समय अच्छा काम हो रहा है। सब शांति से है, लेकिन एक बार फिर से प्रधान फंस गए। गांव का भी एक युवक फंसा है। पता नहीं क्या सही है, लेकिन इससे गांव का माहौल तो खराब हुआ ही है। प्रधान फंस गए तो कई विकास काम रुक जाएंगे।

लगता है नहीं सुधर पाएगा गांव
ग्रामीण सुरेंद्र दुबे ने कहा कि गांव में जो हो रहा है, उससे लगता नहीं है कि गांव में सुधार हो पाएगा। सब एक दूसरे को सिर्फ मारने की ही सोच रहे हैं। कैसे किसको फंसा दिया जाए। अगर यह सब बंद नहीं हुआ तो गांव का विकास नहीं हो पाएगा।
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