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Gorakhpur News: बिजली बिलों को कम करके निगम को लगाया जा रहा चूना, जांच की मांग
संवाद न्यूज एजेंसी, गोरखपुर।
Published by: vivek shukla
Updated Fri, 27 Jan 2023 07:06 AM IST
सार
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मुख्य अभियंता ने चेयरमैन दफ्तर से आए निर्देश पर मामले की जांच के लिए दो सदस्यों की टीम गठित की है। इसमें अधिशासी अभियंता इंद्रराज यादव और लेखाकार उत्कृष्ठ सिंह शामिल हैं। जांच अधिकारियों ने बताया कि जांच के लिए 11 बिंदुओं पर वितरण खंड से सवालों के लिखित जवाब मांगे गए हैं।
बिजली निगम के कुछ कर्मचारी बिजली बिल को कम करके सरकारी राजस्व को हानि पहुंचा रहे हैं। आरोप है कि एक उपभोक्ता ने बक्शीपुर खंड के कुछ कर्मचारियों से साठगांठ करके 70 हजार रुपये के बिल को 3,212 रुपये कराकर भुगतान कर दिया है। आरोप है कि इसी तरह और भी बिलों में हेराफेरी करके सरकार को चूना लगाया जा रहा है। मुख्य अभियंता ने मामले की जांच के लिए अधिशासी अभियंता और लेखाकार को नामित किया है।
जानकारी के अनुसार, नथमलपुर के राधेश्याम शर्मा ने शिकायत की है कि बक्शीपुर खंड में एक कनेक्शन साल 1971 में लिया गया। 30 अगस्त 2005 को उपभोक्ता के बिल पर 31,751 रुपये का बिल बकाया हो गया था। इस कनेक्शन पर 2008 तक लगभग 70 हजार रुपये बिल बकाया हो गया।
हाल ही में अप्रैल 2005 के 5,195 रुपये के बकाये बिल में जमानत राशि 2,400 रुपये काट कर शेष धनराशि 2,975 रुपये पर 471 रुपये का ब्याज जोड़कर 3,212 रुपये जमा करा लिए गए हैं। इस तरह कागजों में हेराफेरी करके एक ही मामले में 67 हजार रुपये का चूना निगम को लगा दिया गया। आरोप है कि उपभोक्ता के वर्तमान बिल के बकाये से संबंधित फाइलों को दफ्तर से गायब करा दिया है।
मुख्यमंत्री और निगम के चेयरमैन को लिखे शिकायती पत्र में उपभोक्ता ने 2005 से 2015 तक के बीच के कनेक्शनों और बिलों की जांच की मांग की है। शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री योगी और चेयरमैन एम देवराज से मामले की एक बार फिर शिकायत की है। मुख्य अभियंता आशु कालिया ने बताया कि मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की गई है। रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
प्रार्थनापत्र दबाने का आरोप
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि जब पहली बार 2008 में शिकायत की थी, तो विभाग के अधिकारियों ने प्रार्थनापत्र को दबा लिया था। बड़ी मुश्किल से प्रार्थनापत्र वापस मिले हैं।
इन्हें बनाया गया जांच अधिकारी
मुख्य अभियंता ने चेयरमैन दफ्तर से आए निर्देश पर मामले की जांच के लिए दो सदस्यों की टीम गठित की है। इसमें अधिशासी अभियंता इंद्रराज यादव और लेखाकार उत्कृष्ठ सिंह शामिल हैं। जांच अधिकारियों ने बताया कि जांच के लिए 11 बिंदुओं पर वितरण खंड से सवालों के लिखित जवाब मांगे गए हैं। कुछ प्रपत्रों को मांगा गया है, लेकिन एक माह से अधिक का समय बीत गया है जवाब नहीं मिला है।
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