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करिश्माई मुआवजा: गोरखपुर के गांवों में दरवाजों पर नहीं दिखती गाय-भैंस, दिखती हैं बस लग्जरी गाड़ियां

संवाद न्यूज एजेंसी गोरखपुर। Published by: vivek shukla Updated Mon, 05 Jun 2023 04:04 PM IST
सार

भरवल गांव के अंगद शाही की ऑटो पार्ट्स की दुकान है। फोरलेन में दुकान के साथ परिवार की करीब 24 डिसमिल जमीन भी चली गई। करीब डेढ़ करोड़ रुपये मुआवजे में मिले। कुछ पैसे जमीन के कारोबार में लगा दी। शानदार मकान बनाया और स्कॉर्पियो खरीद ली।

Compensation amount changed picture of life in Gorakhpur Village
गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन पर विकसित हुई कालोनियां। - फोटो : अमर उजाला।

विस्तार
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गोरखपुर जिले में बड़हलगंज के विजेंद्र की जमीन गोरखपुर-बनारस फोरलेन में चली गई। मुआवजे के तौर पर भारी भरकम रकम मिली। विजेंद्र ने एक फॉच्यूर्नर गाड़ी खरीद ली और जो पैसे बचे उससे नंदानगर में एक मकान ले लिया। बेलीपार के पास हरदिया गांव है, यहां के 25 लोगों की जमीन अधिगृहित की गईं। एक यादव परिवार को एक करोड़ रुपये मिले। पहले इनके घर पर दो भैंस थीं, घर में बाइक भी नहीं थी। अब कार और पल्सर बाइक खड़ी है। मानीराम के धीरेंद्र ने तो मुआवजे की रकम मिलते ही एक लग्जरी गाड़ी लेने के साथ लखनऊ में मकान बनवा लिया।



ये कुछ ऐसे उदाहरण हैं, जिनसे समझा जा सकता है कि कैसे जमीन अधिग्रहण के रूप में मिली भारी-भरकम राशि किसानों की जीवनशैली में बदलाव लाने में कारगर रही। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की आर्थिक एवं सामाजिक स्तर में तेजी से बदलाव आया। कुछ किसानों ने अपनी पुश्तैनी मिल्कियत को बढ़ाने में योजनाबद्ध तरीके से निवेश किया।


खेती जाने पर जो मुआवजा मिला, उससे शहर में जमीन खरीद ली। दरअसल, एनसीआर की तर्ज पर गोरक्षनगरी का दायरा बढ़ा तो यहां के लोग रातोंरात लाखों-करोड़ों के मालिक बन गए। तेजी से आर्थिक और सामाजिक बदलाव भी हुआ। लेकिन, पूर्वांचल में भौकाल के साथ जीने की सोच नहीं बदली। अधिकतर किसान परिवारों ने मुआवजा की राशि को अनावश्यक व दिखावे में खर्च दिए।


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अंगद ने जमीन का कारोबार शुरू किया, खरीद ली स्कार्पियो

भरवल गांव के अंगद शाही की ऑटो पार्ट्स की दुकान है। फोरलेन में दुकान के साथ परिवार की करीब 24 डिसमिल जमीन भी चली गई। करीब डेढ़ करोड़ रुपये मुआवजे में मिले। कुछ पैसे जमीन के कारोबार में लगा दी। शानदार मकान बनाया और स्कॉर्पियो खरीद ली।

शानो-शौकत से रामदरश ने की बेटी की शादी
कौड़ीराम चौराहे से चार किलोमीटर आगे चवरिया खुर्द गांव हैं। गांव के रामदरश यादव के परिवार की नौ डिस्मिल जमीन फोरलेन निर्माण में अधिगृहित कर ली गई। बताया कि परिवार में तीन भाई हैं। करीब 50 से 55 लाख रुपये मुआवजे में मिला। रामदरश ने बेटी की शादी खूब शानो-शौकत से बढ़चढ़ कर की। गांव के लोग बताते हैं कि शादी पर करीब 25 लाख रुपये खर्च कर दिए।

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खूब मिला मुआवजा, गांवों में भी बढ़ा लक्जरी गाड़ियों का क्रेज
वर्ष 2016 में गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन के लिए जमीनें अधिगृहित की जाने लगीं। एनएचएआई ने जिले में 91 गांवों के किसानों की जमीनें अधिगृहित करके मुआवजे की रकम दी। किसानों को सबसे कम 10 लाख और अधिकतम चार करोड़ रुपये तक मुआवजा दिया गया। इसी प्रकार गोरखपुर सोनौली फोरलेन के लिए 66 गांवों में 200 एकड़ जमीन अधिगृहित की गई।

यहां भी किसानों को खूब मुआवजा मिला। जब रकम हाथ में आई तो ग्रामीणों में भी लग्जरी गाड़ियों का क्रेज बढ़ गया। अब गांव में भी घरों के बाहर थार, फॉच्यूर्नर, स्कॉर्पियो जैसी गाड़ियां देखने को मिल जाएंगी। जिले में इस समय प्रति वर्ष करीब 2.90 लाख चार पहिया गाड़ियां खरीदीं जा रहीं हैं, जिनमें 40 फीसदी खरीदार गांव के लोग हैं। वर्ष 2016 के पहले यह आंकड़ा डेढ़ लाख के आसपास था।

30 से 35 गाड़ियां ग्रामीण इलाकों में बिकती हैं

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शहर के एक इलाके का घर। इन्होंने पिछले वर्ष ही अपने घर के बगल वाला दूसरा मकान भी खरीद लिया। - फोटो : अमर उजाला।
जीएम महेंद्रा रवि शर्मा ने कहा कि शहर के बराबर ही अब गांवों में भी गाड़ियां जा रही हैं। हमारे यहां हर महीने करीब 50 से 60 गाड़ियां बिकती हैं, इसमें 30 से 35 गाड़ियां तो शहर से सटे इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में ही जाती हैं। यह देखकर लगता है कि अब गांवों के लोगों में भी लग्जरी गाड़ियों का शौक बढ़ा है।

बोले ग्रामीण
जमीन में ही निवेश किया
मलांव सेवक पांडेय शिवम नारायण ने कहा कि फोरलेन में जमीन चली गई। सरकार से मुआवजा मिला तो दूसरी जगह पर उससे अधिक जमीन खरीद ली है। जमीन रहेगी तो उसकी कीमत बढ़ती ही जाएगी। यही सोचकर निवेश कर दिया।  

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मुआवजे की राशि को व्यापार में लगाया
कलानी बुजुर्ग पंकज ने कहा कि जब फोरलेन के लिए जमीन अधिग्रहण हो रहा था तो उसमें पुश्तैनी जमीन चली गई। जो राशि मिली उससे खुद का व्यापार शुरू कर दिया है।

जमीन के बदले शहर में ली जमीन
कलानी बुजुर्ग प्रिंस त्रिपाठी ने कहा कि जमीन अधिग्रहण के दौरान जो मुआवजा मिला उस पैसे को जमीन में ही लगा दिया। घर के सभी लोगों का मत था कि भौकाल में पैसे नहीं उड़ाने हैं। लिहाजा शहर में दो जगह जमीन खरीद ली।

गोरखपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह तंवर ने कहा कि जमीन में पैसा लगाने वाले लोग पहले पूरी जांच पड़ताल कर लिया करें, ताकि उनका पैसा किसी विवाद में न फंसे। ये उनकी भी जिम्मेदारी होती है। जीडीए की आवासीय, कॉमर्शियल और अन्य निवेश के लिए लगातार योजनाएं आती हैं। यहां पैसे का निवेश सुरक्षित और उसका भविष्य उनके लिए ही हितकर होगा।

 
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