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आयुष्मान योजना: इलाज में खर्च बड़े तो अस्पतालों के हाथ खड़े

Gorakhpur Bureau गोरखपुर ब्यूरो
Updated Sun, 11 Jun 2023 12:37 AM IST
Ayushman Yojana: If the cost of treatment is high, then the hands of the hospitals

आयुष्मान योजना के लाभार्थियों को कार्ड होने के बावजूद लौटा दे रहे हैं बड़े अस्पताल
इलाज में रेट सबसे बड़ी बाधा बनी
अमर उजाला ब्यूरो
गोरखपुर। आयुष्मान योजना के तहत जिले के 166 सरकारी और निजी अस्पताल जुड़े हुए हैं। इनमें कई बड़े अस्पताल भी शामिल हैं, लेकिन उन बड़े अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड से इलाज को लेकर दूसरा खेल हो रहा है। कम रुपये मिलने के कारण अस्पताल वाले कोई न कोई ऐसा पेंच फंसा दे रहे हैं, जिसकी वजह से कई मरीज योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। मजबूरन मरीजों को खुद अपने खर्च पर इलाज कराना पड़ रहा है। सबसे अधिक दिक्कत बड़ी सर्जरी में हो रही है, क्योंकि कई बड़े अस्पताल इन मरीजों को लौटा दे रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, जिले में आयुष्मान योजना से जुड़े 250 से 260 मरीज हर दिन इलाज के लिए आते हैं। इनमें 50 से 60 फीसदी मरीजों को ऑपरेशन की जरूरत होती है। इनमें छोटी सर्जरी वाले मरीजों के इलाज तो हो जा रहे हैं, लेकिन कैंसर, गुर्दा, हृदय, घुटना, कूल्हा प्रत्यारोपण जैसी बड़ी सर्जरी के लिए अस्पताल हाथ खड़े कर दे रहे हैं।

बताया जा रहा है कि आयुष्मान योजना के लाभार्थियों को कैंसर सर्जरी में एक लाख रुपये दिए जाते हैं। जबकि, बड़े अस्पतालों में कैंसरी सर्जरी के रेट डेढ़ लाख रुपये से अधिक है। इसी तरह हृदय रोग के ऑपरेशन के लिए 65 से 70 हजार रुपये निर्धारित है। निजी अस्पतालों में यही रेट एक से डेढ़ लाख के बीच है। आयुष्मान योजना में बच्चेदानी के ऑपरेशन के लिए 22 हजार रुपये तय है। जबकि, बड़े अस्पतालों में इसका रेट 50 से 60 हजार के बीच है। गाल ब्लेडर के ऑपरेशन के लिए 25 हजार रुपये निर्धारित है। जबकि, निजी अस्पतालों में इसके इलाज के लिए 50 हजार से अधिक लिया जाता है। कूल्हा प्रत्यारोपण का खर्च निजी अस्पतालों में एक से डेढ़ लाख हजार रुपये है। जबकि, आयुष्मान योजना में एक लाख 20 हजार रुपये निर्धारित है। नाम न छपने की शर्त पर एक बडे़ अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि आयुष्मान कार्ड से इलाज को लेकर दिक्कतें तो हैं ही। अगर किसी तरह ऑपरेशन कर दिए जा रहे हैं तो उसका एक ही पैकेज में भुगतान किया जा रहा है। इसमें एनेस्थीसिया से लेकर दवाएं और जांच तक शामिल हैं। भुगतान करते समय टीडीएस भी काट लिया जा रहा है। जबकि, हम लोग एनेस्थीसिया सहित अन्य जांच का भुगतान अलग-अलग करते हैं, जो काफी नुकसानदायक है। यही कारण है कि बड़े अस्पताल मरीजों के इलाज से बच रहे हैं।
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कार्ड के बावजूद ऑपरेशन में हुआ मोटा खर्च
पिपराइच के रहने वाले रोहित निषाद ने बताया कि बहन सुभावती का आयुष्मान कार्ड बना है। बच्चेदानी के ऑपरेशन के लिए एक बड़े अस्पताल में गया। जांच के बाद 50 हजार रुपये से अधिक का खर्चा बताया गया। कार्ड से इलाज तो हो गया, लेकिन करीब 20 हजार रुपये देने पड़े।
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कूल्हे के ऑपरेशन के लिए खर्च करने पड़े 30 हजार रुपये
नौसढ़ के रहने वाले सरवन के पिता रामकुमार गिर गए थे। कूल्हा फ्रैक्चर हो गया था। इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज रोड स्थित एक बड़े अस्पताल ले गए, जहां पर इलाज का खर्च एक से डेढ़ लाख बीच बताया गया। इस बीच आयुष्मान कार्ड भी दिया, लेकिन इसके बाद भी करीब 30 हजार रुपये खर्च करने पड़े।
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इन बीमारियों को किया गया बाहर
आयुष्मान योजना के तहत कई बीमारियों को निजी अस्पताल के पैकेज से हटा दिया गया है। इनमें अपेंडिस्क, मलेरिया, हार्निया, पाइल्स, हाइड्रोसिल, पुरुष नसबंदी, डिसेंट्री, एचआइवी विथ कांप्लिकेशन, हाथ-पांव काटने की सर्जरी, मोतियाबिंद, गांठ संबंधित बीमारी, इनफेक्टेड बनियान फूट, रेनल कॉलिक, यूटीआइ, आंतों का बुखार, गैंगिलियन आदि शामिल हैं।
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आयुष्मान योजना के तहत लाभार्थियों का इलाज पूरी तरह से निशुल्क है। योजना के तहत सभी सर्जरी के रेट तय हैं। इसी रेट में अस्पतालों को मरीजों का इलाज करना है। अगर कोई भी अस्पताल मरीजों से रुपये मांग रहा है तो यह पूरी तरह से गलत है। अगर शिकायत मिलती है तो मामले की जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. आशुतोष कुमार दूबे, सीएमओ
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