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UP 65 Review: हॉस्टल लाइफ पर बनी एक बेहूदा वेब सीरीज, बीएचयू आईआईटी के नाम पर लगाया धब्बा

अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई Published by: पलक शुक्ला Updated Thu, 08 Jun 2023 11:11 PM IST
UP 65 Review A ridiculous web series on hostel life smeared in the name of BHU IIT
यूपी 65 - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
Movie Review
यूपी 65
कलाकार
शाइन पांडेय , प्रगति मिश्रा , जय ठक्कर , प्रीतम जायसवाल , सुनील राजदान और अभिषेक रेड्डी व अन्य
लेखक
निखिल सचान
निर्देशक
गगनजीत सिंह
निर्माता
ज्योति देशपांडे , अरुणावा जॉय सेनगुप्ता और आकाश चावला
ओटीटी
जियो टीवी
रिलीज
8 जून 2023
रेटिंग
1.5/5
संगत से गुण होत है और संगत से गुण जाए। यानी कि हमारे जीवन में आस पास के माहौल का काफी प्रभाव पड़ता है। खास करके उन युवकों पर जब कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए किसी दूसरे शहर में जाते हैं। घर परिवार से दूर पहली बार उन्हें खुले आसमान में सास लेने का मौका मिलता है। तो, माता -पिता की छत्रछाया में दबी बहुत सारी  इच्छाएं बलवती होने लगती है। नवयुवकों के लिए यही एक उम्र का ऐसा पड़ाव होता है, जहां पर आगे के भविष्य की नींव रखी जा सकती है, अगर यहां नीव कमजोर हो गई तो पूरी जिंदगी सिवाय पश्याताप करने के जीवन में कुछ भी नहीं बचता है। सिर्फ पांच साल की मेहनत आगे आने वाले सभी संघर्ष को खत्म कर देती है,लेकिन अगर यह पांच साल आपने बर्बाद कर दिए तो आपके पूरे जीवन में संघर्ष कभी खत्म नहीं होगा। 

 

UP 65 Review A ridiculous web series on hostel life smeared in the name of BHU IIT
यूपी 65 - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
वेब सीरीज 'यूपी 65' की कहानी कुछ ऐसे ही आईआईटी की पढाई  कर  रहे छात्रों की है,जो हॉस्टल में रहते हैं। उनका मानना है कि यह चार साल जो मिले है, उसे पूरी मजाक मस्ती में गुजार देना चाहिए। क्योंकि बाकी जीवन भर मेहनत तो करनी ही है। ऐसे में एक आईआईटी का छात्र निशांत जब अपना ध्यान पढाई पर केंद्रित रखना चाहता है, तो कॉलेज में पढ़ाई कर रहे छात्र उसका मजाक उड़ाते हैं। लेकिन एक बड़ी पुरानी कहावत है कि 'चंदन विष  व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग' अर्थात जो मनुष्य स्वाभाव से अच्छे होते हैं, उन पर बुरी संगत का असर नहीं पड़ता है। जैसा कि इस सीरीज का शीर्षक 'यूपी 65' है, तो जाहिर सी बात है कि इस सीरीज की कहानी बनारस की ही है। परिवहन कार्यालय में मिलने वाले गाड़ियों के नंबर से जाहिर होता है कि गाड़ी के नंबर के हिसाब से कौन सा जिला पड़ता है।
 

UP 65 Review A ridiculous web series on hostel life smeared in the name of BHU IIT
यूपी 65 - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की एक अलग ही छवि रही है। लेकिन इस सीरीज में जिस तरह की गली गलौज, अश्लील भाषा और सेक्स एजुकेशन पर बात की गई है। उससे इस संस्थान की छवि तार तार होती ही है, साथ ही एक माता पिता का विश्वास भी डगमगाने  लगता है। एक माता पिता बड़े विश्वाश और उम्मीद के साथ अपने बच्चों को पढाई के लिए बीएचयू जैसे संस्थान में भेजते हैं, जिसका अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है। ऐसे शैशणिक संस्थान को ध्यान में रखकर जब भी कोई सीरीज या फिल्म बनाई जाए तो उसकी गरिमा का ध्यान रखना चाहिए,लेकिन सीरीज के लेखक निखिल सचान ने जिस तरह से अपशब्द, गंदी -गंदी गली गलौज का इस सीरीज में इस्तेमाल किया है,वह बहुत ही बेहूदा लगता है। यह वेब सीरीज निखिल सचान के लिखे नॉवेल 'यूपी 65' पर आधरित है। इस सीरीज की पटकथा और संवाद उन्होने खुद ही लिखे हैं। उन्हें इस सीरीज की पटकथा लिखते वक्त इस बात एक विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए था कि एक नॉवेल और फिल्म या सीरीज की पटकथा लिखने में बहुत अंतर होता है। 
 

UP 65 Review A ridiculous web series on hostel life smeared in the name of BHU IIT
यूपी 65 - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
कॉलेज और हॉस्टल की पृष्ठभूमि पर 'कोटा फैक्ट्री', 'गर्ल्स हॉस्टल,' 'हॉस्टल डेज', 'इंजीनियरिंग गर्ल्स' जैसी कई सीरीज बन चुकी हैं। जिसमे हॉस्टल लाइफ से जुड़ी समस्याएं, रैगिंग,आपसी झगड़े और पारिवारिक दबाव दिखाए गए हैं। सीरीज के निर्देशक गगनजीत सिंह को लगा होगा कि अब इससे अलग क्या दिखाया जाए ? शायद इसी सोच के चलते उन्होंने एक ऐसी सीरीज बना डाली जो इस बात के तरफ इशारा करती है कि चार साल आईआईटी की पढाई करना बेकार है। कॉलेज में किताबी ज्ञान से ज्यादा जरूरी प्रैक्टिकल ज्ञान होना जरूरी है। इस विषय पर राजकुमार हिरानी ने 'थ्री इडियट' जैसी फिल्म बनाई जिसे काफी सराहा गया। लेकिन जरा सोचिए,  अगर उस फिल्म में भी गली गलौज या अपशब्द वाले संवाद होते, तो क्या दर्शकों को वह फिल्म कनेक्ट कर पाती, बिल्कुल नहीं।     

UP 65 Review A ridiculous web series on hostel life smeared in the name of BHU IIT
यूपी 65 - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
वेब सीरीज यूपी 65  की ज्यादातर शूटिंग बनारस के घाट,वहां की तंग गलियों में की गई है। सीरीज देखने के बाद पता चलता है कि हिडेन कैमरा से शूटिंग की गई होगी। लेकिन हिडेन कैमरे से भी शूटिंग करते वक्त फ्रेमिंग का ध्यान सिनेमेटोग्राफर धनंजय नवग्रह को रखना चाहिए था। इस सीरीज में भोजपुरी अभिनेता और गायक पवन सिंह का हिट गीत 'लॉली पॉप लागेलू' को रिक्रिएट किया गया है। यह गाना ऐसा बना है जिसे सुनकर पवन सिंह खुद अपना माथा पीट लेंगे। फिल्म का संपादन सामान्य हैं, वहीं सीरीज के कलाकारों के परफॉर्मेंस की बात करें तो किसी का परफॉर्मेंस कुछ खास नहीं लगेगा। हां, बनारस की बोलचाल भाषा का इस सीरीज में सही इस्तेमाल किया गया है। लेकिन आशीर्वाद के रूप में गाली देना बहुत अखरता है। 28 मिनट के अवधि में यह सीरीज 26 एपिसोड की है, जिसमे से आज दो एपिसोड जियो टीवी पर रिलीज किए गए हैं,बाकी हर रोज एक -एक एपिसोड रिलीज किए जाएंगे।       
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