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The Night Agent Review in Hindi by Pankaj Shukla Shawn Ryan Gabriel Basso Luciane Buchanan Hong Chau Netflix
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The Night Agent Review: व्हाइट हाउस के तलघर से निकली दिलचस्प जासूसी कहानी, बिंज वॉच के लिए परफेक्ट सीरीज
मेट्रो ट्रेन में सफर कर रहा एक एफबीआई एजेंट बेटी के साथ ट्रेन में चढ़ी एक महिला को सीट देने के लिए खड़ा होता है। बच्ची के साथ कुछ देर हंसी मजाक चल ही रहा होता है कि उसकी नजर एक ऐसे युवक पर पड़ती है जो एक काला बैग सीट के नीचे सरका कर ट्रेन चलने से ठीक पहले उतर जाता है। बम धमाका होता है। गनीमत ये है कि एफबीआई एजेंट उससे पहले ट्रेन को रोककर अधिकतर यात्रियों को नीचे उतार चुका होता है। नेटफ्लिक्स की नई वेब सीरीज ‘द नाइट एजेंट’ इस काल्पनिक हादसे के साल भर बाद से शुरू होती है जब ये एफबीआई एजेंट अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास ह्वाइट हाउस के तलघर (बेसमेंट) में बने एक छोटे से कमरे में खास ड्यूटी पर लगाया जाता है। काम है, उस कमरे में लगे फोन पर आने वाली कॉल्स को सुनना और इसके बारे में संबंधित अधिकारियों को तुरंत खबर करना। राष्ट्रपति के संरक्षण में चलने वाला ये बेहद गोपनीय मिशन है, ‘नाइट एजेंट’।
द नाइट एजेंट रिव्यू
- फोटो : अमर उजाला, मुंबई
लुगदी साहित्य पर बनी रोमांचक सीरीज
नाइट एजेंट के तौर पर काम करने वाले ये पूर्व या वर्तमान जासूस सुरेंद्र मोहन पाठक या वेद प्रकाश शर्मा के जासूसी उपन्यासों से निकले जासूसों जैसे हैं। भारत में भले लुगदी साहित्य पर सीरीज बनाने का दम ओटीटी ने अब तक कम ही दिखाया हो लेकिन अमेरिकी निर्माता इस तरह की कहानियों की लोकप्रियता की कद्र करना जानते हैं। मैथ्यू क्विर्क के लिखे इसी नाम के उपन्यास पर बनी वेब सीरीज ‘द नाइट एजेंट’ का पूरा खाका उन्हीं शॉन रयान ने तैयार किया है जो इसके पहले ‘स्वाट’ और ‘शील्ड’ जैसी वेब सीरीज बना चुके हैं। शॉन रयान सीरीज के क्रिएटर हैं तो उसमें जान होनी तो पक्की बात है। शॉन ने सीरीज के लिए लेखकों और निर्देशकों की बढ़िया टीम जुटाई है। एक युवा एफबीआई एजेंट से संयोगवश या कहें कि दुर्योगवश टकराई एक आईटी कंपनी की पूर्व सीईओ की ये कहानी है। दोनों उसी फोन पर आई कॉल के जरिये एक दूसरे से पहली बार बात करते हैं जो किसी नाइट एजेंट के खतरे में होने पर बजता है।
द नाइट एजेंट रिव्यू
- फोटो : अमर उजाला, मुंबई
चक्रव्यूह में फंसे अभिमन्यु की कहानी
कहानी धीरे धीरे खुलती है और हर विस्तार के साथ इसमें नए किरदार भी जुड़ते जाते हैं। राष्ट्रपति की चीफ ऑफ स्टाफ को अपने लगाए इस युवा नाइट एजेंट पर पूरा भरोसा है। भरोसे का आदान-प्रदान समान स्तर पर चल ही रहा होता है कि आईटी में दक्ष युवती को अपने रिश्तेदारों की छोड़ी हार्ड डिस्क को खोलने का तरीका मिल जाता है। पता चलता है कि मेट्रो में हुआ बम धमाका जो एफबीआई एजेंट के ट्रेन रोकने के चलते सुरंग के भीतर ही हो गया, वह दरअसल जहां होना था, वहां एक ऐसा शख्स मौजूद था जिसकी हत्या के लिए हमलावरों ने पूरा का पूरा इलाका तबाह कर देने की तैयारी कर रखी थी। और, अगला हमला फिर होना है और जिसके दिन गिनती के बचे हैं। हमलावरों के तार जोड़ने की कड़ियों में बंटी और बबली टाइप की एक जोड़ी भी सामने आती है। दोनों खूंखार कातिल हैं और इन्हीं दोनों ने आईटी कंपनी की पूर्व सीईओ के दोनों रिश्तेदारों को मारा था। मामला वहां आकर फंसता है जब समझ ही नहीं आता कौन सही है और कौन गलत और अपनों से ही भागा फिर रहा नाइट एजेंट एक चक्रव्यूह में फंस जाता है। कहानी दूसरे सीजन के विस्तार का इशारा करके अपना पहला सीजन खत्म करती है।
द नाइट एजेंट रिव्यू
- फोटो : अमर उजाला, मुंबई
जोड़ियों की जानदार कोशिशों पर टिकी सीरीज
वेब सीरीज ‘द नाइट एजेंट’ का असल आकर्षण हैं इसकी जोड़ियां। एक जोड़ी ग्रेबिएल और लुसिएन की है। चुस्त दुरुस्त एफबीआई एजेंट बने ग्रैबिएल बासो और कुछ कुछ मृणाल ठाकुर सी दिखती लुसिएन बुकानन की केमिस्ट्री बहुत सहज तरीके से विकसित होती है। खुद को अपने रिश्तेदारों को हत्यारों से बचाने की कोशिश करती आईटी पेशेवर के रूप में लुसिएन ने सीरीज में ग्रैबिएल का हर सीन में कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया है। दोनों में प्रेम भी होता है। दोनों एक दूसरे को चाहने भी लगते हैं। लेकिन, ये दोनों किरदार दूसरे सीजन में कब, कहां, किस मोड़ पर मिलेंगे और मिलेंगे भी कि नहीं, ये रहस्य अभी बना रहेगा। दूसरी जोड़ी सीरीज में दो हत्यारों की है। ईव और फीनिक्स ने इस जोड़ी के रूप में सीरीज का वीभत्स रस बनाए रखना का खूब अच्छा काम किया है। खून देखकर आनंदित होने वाली हत्यारन एलेन के रोल में जब ईव हॉरलो एक बच्ची की अपनी प्रेमी से मांग करती है और प्रेमी बार बार अपने पेशे की दुहाई देता रहता है, तो वह सीन अपराध की दुनिया में गले तक डूबे लोगों की मानवीय संवेदनाओं की मृगतृष्णा का बेहद भावुक दृश्य बन जाता है।
द नाइट एजेंट रिव्यू
- फोटो : अमर उजाला, मुंबई
बिंज वॉच के लिए परफेक्ट सीरीज
सीरीज के सभी 10 एपिसोड कुल पांच निर्देशकों ने निर्देशित किए हैं और शायद इसीलिए सीरीज में कहीं कहीं बेतरतीबी भी दिखती है। उपराष्ट्रपति की बेटी और उसकी सुरक्षाकर्मियों के बीच पनपने वाले भावुक रिश्ते वाली क्षेपक कथा तर्कसंगत नहीं दिखती। पेटिंग सीख रही ये बेटी जब अपने सुरक्षाचक्र को सिर्फ शारीरिक सुख के लिए खुद ही तोड़ देती है तो वहां भी कहानी कमजोर पड़ती है। हालांकि सीरीज के आखिरी दो एपिसोड में कहानी फिर रफ्तार पकड़ती है और अपनी योजना में करीब करीब सफल होती हत्यारों की योजना पर ऐन मौके पर पानी फेरने की सीरीज के नायक और नायिका की कोशिशों से मामला फिर जम जाता है। सीरीज के एक्शन दृश्य बेहद रोमांचक हैं। सीरीज की कहानी इतने अच्छे से बुनी गई है कि इसमें सेक्स दृश्यों की कहीं जरूरत ही इसे बनाने वालों ने महसूस नहीं की है। भारतीय भाषाओं के मामले में इसकी सिर्फ हिंदी में डबिंग उपलब्ध है।
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