फिल्म समीक्षा:
अगर फन्ने खान डच फिल्म एवरीबडी इज फेमस से पहले बनी होती तो क्या इसे ऑस्कर मिलता? बिल्कुल नहीं। फन्ने खान में मूल फिल्म को ऑस्कर जिताने वाला संदेश ही नहीं है कि इस दौर में तमाम लोग कैसे प्रसिद्धि की आकांक्षा से पागल, कुछ भी करने को तैयार हैं। पैसे और शोहरत के पीछे दौड़ता समाज क्या हो चुका है। एवरीबडी इज फेमस को निर्देशक अतुल मांजरेकर ने घिसी-पिटी बातों वाली फिल्म में बदल दिया। जिंदगी संघर्ष का नाम है। जीतना है तो मन को मत टूटने दो। वगैरह-वगैरह।
मांजरेकर ने मूल फिल्म का शरीर लिया, आत्मा छोड़ दी। फन्ने खान (अनिल कपूर) कभी बड़ा गायक बनना चाहता था पर नहीं बन सका। उसकी बेटी लता (पीहू संद) में टेलेंट है परंतु वह मोटी और बेडौल है। लोग आवाज से ज्यादा उसके जिस्म पर टिप्पणी करते हैं। फन्ने के पास पैसा भी नहीं कि बेटी का एलबम निकलवा दे। अब क्या हो? इसी बीच फन्ने अपने साथी के साथ युवाओं की आदर्श, सिंगिंग सेंसेशन बेबी सिंह (ऐश्वर्या राय बच्चन) का अपहरण कर लेता है।
कहानी मोड़ लेती है और अंत में बहुत सारा भाषण। फन्ने खान कृत्रिम भावुकता और अनाकर्षक संगीत वाली फिल्म है। अनिल-पीहू पिता-पुत्री की भूमिका में कुछ दृश्यों में छूते हैं परंतु ऐश्वर्या और राजकुमार राव याद रखने जैसे नहीं हैं। उनकी जोड़ी बेमेल है। फिल्म टाइम पास भी नहीं है।
फिल्म समीक्षा:
अगर फन्ने खान डच फिल्म एवरीबडी इज फेमस से पहले बनी होती तो क्या इसे ऑस्कर मिलता? बिल्कुल नहीं। फन्ने खान में मूल फिल्म को ऑस्कर जिताने वाला संदेश ही नहीं है कि इस दौर में तमाम लोग कैसे प्रसिद्धि की आकांक्षा से पागल, कुछ भी करने को तैयार हैं। पैसे और शोहरत के पीछे दौड़ता समाज क्या हो चुका है। एवरीबडी इज फेमस को निर्देशक अतुल मांजरेकर ने घिसी-पिटी बातों वाली फिल्म में बदल दिया। जिंदगी संघर्ष का नाम है। जीतना है तो मन को मत टूटने दो। वगैरह-वगैरह।
मांजरेकर ने मूल फिल्म का शरीर लिया, आत्मा छोड़ दी। फन्ने खान (अनिल कपूर) कभी बड़ा गायक बनना चाहता था पर नहीं बन सका। उसकी बेटी लता (पीहू संद) में टेलेंट है परंतु वह मोटी और बेडौल है। लोग आवाज से ज्यादा उसके जिस्म पर टिप्पणी करते हैं। फन्ने के पास पैसा भी नहीं कि बेटी का एलबम निकलवा दे। अब क्या हो? इसी बीच फन्ने अपने साथी के साथ युवाओं की आदर्श, सिंगिंग सेंसेशन बेबी सिंह (ऐश्वर्या राय बच्चन) का अपहरण कर लेता है।
कहानी मोड़ लेती है और अंत में बहुत सारा भाषण। फन्ने खान कृत्रिम भावुकता और अनाकर्षक संगीत वाली फिल्म है। अनिल-पीहू पिता-पुत्री की भूमिका में कुछ दृश्यों में छूते हैं परंतु ऐश्वर्या और राजकुमार राव याद रखने जैसे नहीं हैं। उनकी जोड़ी बेमेल है। फिल्म टाइम पास भी नहीं है।