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Daman Review: मलेरिया से मुकाबले के बहाने जीवन का सार समझाती फिल्म, उड़िया सिनेमा की हिंदी में दमदार दस्तक

अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई Published by: पलक शुक्ला Updated Thu, 02 Feb 2023 10:04 AM IST
दमन
दमन - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
Movie Review
दमन
कलाकार
बाबूशान मोहंती , दीपानवित दशमहापात्र , मनस्वनी टेकरी , श्रीहर्ष पुरोहित , अशोक त्रिपाठी और करण कदम आदि
लेखक
देवी प्रसाद लेंका और विशाल मौर्य
निर्देशक
देवी प्रसाद लेंका और विशाल मौर्य
निर्माता
दीपेंद्र सामल , कुमार मंगत पाठक और अभिषेक पाठक
रिलीज
3 फरवरी 2023
रेटिंग
3/5

कहते हैं कि इंसान किसी काम को करने की अपनी जिम्मेदारी समझ ले तो दुनिया में शायद ही ऐसा कोई काम हो जिसे वह न कर सके। उड़िया में बनी फिल्म 'दमन' एक ऐसे डॉक्टर की कहानी है जो तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद दृढ़ता और समर्पण भाव से लोगों की मानसिकता को बदल देता है। 'दमन' की कहानी ओडिशा के मलकानगिरी जिले के एक गांव की है। गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर अंधविश्वास है। हिंदीभाषी दर्शकों में गैर हिंदी फिल्मों को लेकर बढ़ी रुचि को देखते हुए एक उड़िया फिल्म का हिंदी में डब होकर सिनेमाघरों में रिलीज होना सिनेमा की बड़ी घटना है। फिल्म ‘दृश्यम 2’ की सफलता के बीच निर्माता कुमार मंगत पाठक ने ये फिल्म हिंदी में रिलीज की है और इसके लिए वह साधुवाद के हकदार हैं। फिल्म की तरफ पहला ध्यान दर्शकों का तभी गया था जब अजय देवगन ने इसका हिंदी ट्रेलर बीते महीने रिलीज किया था।

दमन
दमन - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

सिनेमा में ये बार बार सुनने में आता है कि कहानी ही फिल्म की असली हीरो होती है। फिल्म ‘दमन’ इसे वाकई में साबित करने की कोशिश करती है। फॉर्मूला फिल्म ‘पठान’ की जबर्दस्त कामयाबी के बीच रिलीज हो रही फिल्म ‘दमन’ का पूरा दारोमदार इसकी कहानी पर टिका है और इस मामले में विशाल मौर्य ने फिल्म के निर्देशक देवी प्रसाद लेंका के साथ मिलकर अच्छा काम किया है। कहानी एक युवा डॉक्टर की है जिसे एमबीबीएस पूरा करने के बाद ओडिशा में मल्कानगिरी जिले के एक गांव में भेजा जाता है। डॉक्टर को गांव में जाकर वहां के लोगों की सेवा करनी है और ये काम वह इसलिए कर रहा है क्योंकि ये अनिवार्य है। मानसिकता अब यही है कि एक डॉक्टर बनने के बाद हर युवा शहर में अपना आलीशान क्लीनिक खोलना चाहता है। खूब पैसे कमाना चाहता है और जिस सेवाभाव को लेकर उसने कभी डॉक्टर बनने का सपना देखा था, वह जीवन के 8-10 साल ये डिग्री हासिल करने में खपाने के बाद कहीं हाशिये पर जा चुका है।

दमन
दमन - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

फिल्म ‘दमन’ एक तरह से बदलते भारत की सच्ची तस्वीर दिखाती है। फिल्म दिखाती है कि देश के गांव अब भी किन हालात में हैं। शुरुआत में ही फिल्म के निर्देशक प्रसाद लंका देवी कहानी का कलेवर स्पष्ट करने में सफल करने में सफल रहते हैं। गांव किसी भी पिछड़े इलाके के गांव जैसा है। नागरिक सुविधाओं का नामोनिशान तक नहीं है। यहां पहुंचा डॉक्टर एक दिन के भीतर ही इस्तीफा देकर वापस भुवनेश्वर जाना चाहता है लेकिन फिर उसका मन बदलता है और वह तय करता है कि उसे बदलाव का साधन बनना ही होगा। फिल्म की कहानी यहीं से अपनी पकड़ बनानी शुरू करती है। झाड़ फूंक में यकीन करने वाले गांव वालों के बीच काम करना और उनकी सोच बदलना ही अब उसका मकसद है। और, अपने सहयोगियों की मदद से जो कुछ वह करता है, वह किस क्रांति से कम नहीं है।
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दमन
दमन - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई

साल 2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विश्व मलेरिया रिपोर्ट में भारत के प्रयासों की खूब सराहना की थी। उसके तीन साल पहले ही पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारत ने देश से 2030 तक मलेरिया को खत्म करने का संकल्प लिया था। फिल्म 'दमन' देश के इसी संकल्प के प्रति समर्पित लोगों की कहानी है। फिल्म का नाम ‘दमन’ इसलिए है क्योंकि ये कहानी मलेरिया के दमन की है। फॉर्मूला फिल्मों से दूर दर्शकों के आसपास की दुनिया में झांकती ये फिल्म अपने सामाजिक सरोकारों को पूरा करने में सौ फीसदी सफल है। हिंदी सिनेमा की कालजयी फिल्मों में शुमार फिल्म ‘डॉ. कोटनीस की अमर कहानी’ के प्रस्थान बिंदु से प्रेरणा पाती फिल्म ‘दमन’ में हिंदी सिनेमा की मुख्यधारा के कलाकारों का न होना इसके हिंदीभाषी दर्शकों तक पहुंच बना पाने में बाधा तो है लेकिन चूंकि फिल्म मूल रूप से उड़िया में बनी है लिहाजा इसे एक क्षेत्रीय भाषा की फिल्म समझ कर देखना ही उचित होगा।
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दमन
दमन - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
फिल्म ‘दमन’ में अभिनेता बाबूशान मोहंती ने डॉ. सिद्धार्थ मोहंती का किरदार निभाया है। वह उड़िया फिल्मों के चर्चित कलाकार रहे हैं और फिल्म 'दमन' में भी उन्होंने बहुत ही सहज और सजग अभिनय किया है। फार्मासिस्ट की भूमिका में दीपानवित दशमोहापात्रा भी असर छोड़ने में सफल रहे हैं। इलाके के आदिवासियों को भी फिल्म में कलाकारों के तौर पर लिया गया है और उन्हें फिल्म में अभिनय के लिए तैयार करना जरूर निर्देशक के लिए बड़ी चुनौती रही होगी। तकनीकी रूप से फिल्म वैसी ही है जैसी इस तरह की फिल्में होती हैं। सिनेमा इन दिनों ऐसा ही है। बड़े सितारों वाली फिल्मों में खूब पैसा लगता है लेकिन अक्सर उनमें कहानी कमजोर होती है। ‘दमन’ की कहानी, निर्देशन, अभिनय और इसका सामाजिक  प्रसंग बहुत अच्छा है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी बहुत अच्छी है। फिल्म खास तौर पर इस बात पर जोर देती है कि अगर आपके अंदर कुछ करने का जज्बा हो तो बंदूक की गोली भी आपको अपने इरादे से डिगा नहीं सकती।
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