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Aanandi Movie Review in Hindi by Pankaj Shukla Nikkita Ghag Partha Sarathi Manna Disney Plus Hotstar
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Aanandi Review: ‘आनंदी’ बनकर पर्दे पर उतरीं निकिता घाग, डेब्यू फिल्म में ही जमाया अभिनय का चमकता सिक्का
निकिता घाग
,
ब्रजेश सिंह यादव
,
सत्याहारी मंडल
और
चित्राली दास
लेखक
अनवार उल्ला खान
और
पार्थसारथी मन्ना
निर्देशक
पार्थसारथी मन्ना
निर्माता
निकिता घाग
रिलीज
24 मार्च 2023
ओटीटी
डिज्नी प्लस हॉटस्टार
रेटिंग
3.5/5
फिल्म ‘आनंदी’ के आखिर में एक रोचक जानकारी है। और, वह ये कि गुवाहाटी से कोई 40 किमी दूर स्थित बस्ती मयोंग को काले जादू की धरती के रूप में जाना जाता है। किवदंतियों में कहा जाता है कि यहां आने वाले तमाम लोग गायब हो जाते हैं। वहशी दरिंदों को यहां के जादू से काबू में लाया जाने की बातें लोककथाओं में हैं। और, कहा ये भी जाता है कि यहां कुछ लोग ऐसा काला जादू भी जानते हैं जो इंसानों को जानवरों में तब्दील कर देते हैं। डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हुई शॉर्ट फिल्म ‘आनंदी’ का सार भी यही है। सोशल मीडिया स्टार और अंतर्राष्ट्रीय मॉडल निकिता घाग ने इस फिल्म के जरिये अपना ओटीटी डेब्यू किया है और इस फिल्म में उनके अभिनय को अगर उनके हुनर की बानगी समझें, तो उनके अंदर एक काबिल अदाकारा और बड़े परदे की स्टार बनने की हर काबिलियत मौजूद है।
आनंदी
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
कलाकार और निर्देशक की कमाल जुगलबंदी
निकिता घाग इस फिल्म की निर्माता भी हैं तो जाहिर है कि उन्हें लोककथाओं पर आधारित ये फिल्म अपने विचार रूप में ही काफी पसंद आई होगी। लेखक अनवार उल्ला खान के साथ मिलकर फिल्म के निर्देशक पार्थसारथी मन्ना ने इसे पहले कागज पर उतारा और फिर परदे पर। पार्थसारथी का नाम शॉर्ट फिल्मों और विज्ञापन फिल्मों की दुनिया का चर्चित नाम रहा है। मामी फिल्म फेस्टिवल में भी उनके नाम की कुछ साल पहले खूब धूम रही थी। एक काबिल अदाकारा और एक करामाती निर्देशक मिलकर कैसे एक छोटी सी कहानी पर भी रोचक फिल्म बना सकते हैं, फिल्म ‘आनंदी’ उसका खूबसूरत उदाहरण है। निकिता घाग कहती भी रही हैं कि बजाय विदेशी फिल्मों या सीरीज के हिंदी अनुकूलन बनाने के मुंबई के फिल्मकारों को भारतीय कथाओं और लोककथाओं पर ध्यान देना चाहिए। अपने कहे को निकिता ने अपने बलबूते करके भी दिखाया है।
आनंदी
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
अंधेरी रातों की दिलचस्प कहानी
फिल्म ‘आनंदी’ की कहानी इतनी सी है कि अंधेरी रातों में, सुनसान राहों पर एक खूबसूरत युवती निकलती है। न तो उसके पैर मुड़े हुए हैं और न ही वह देखने में डरावनी लगती है। इसके उलट वह इतनी खूबसूरत दिखती है कि राह चलता कोई भी साधारण मनुष्य उस पर मोहित हो जाए। चाहती भी वह यही है। खुद पर रीझने वाले इंसान को अपने साथ वह एक पुरानी हवेली ले जाती है। इसके बाद वह दरवाजा खोलकर लापता हो जाती है। और, शरीर पर सजे फूल, वस्त्र और आभूषण आदि वह एक एक कर रास्ते में छोड़ती जाती है। साथ आए युवक की जो कामवासना उसे अंधेरी रात में अकेले देखकर जागी थी, उसकी परिणीति वहां होती है जहां ये युवती वुडु जैसी कोई तंत्र पूजा कर चुकी है। टोकरी में रखी पशुकृत्ति हटते ही इस युवक को अतीत में किया अपना पाप नजर आता है और...!
आनंदी
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
मयोंग का काला जादू
फिल्म के क्लाइमेक्स में आनंदी दर्जनों जानवरों से घिरी दिखती है। उससे पहले उसके साथ हवेली आए युवक के लापता होने का पोस्टर दिखता है। फिर दीवार पर लापता युवकों के पोस्टरों की संख्या बढ़ती जाती है। और, साथ ही बढ़ती जाती है आनंदी के बाड़े में मौजूद जानवरों की संख्या। आनंदी फिर इंतजार में है हर उस पाशविक प्रवृत्ति के इंसान की अगली गलती करने के जिसमें वह किसी अबला पर हमला करेगा, और वह उसे अपने रूपजाल में बांधकर अपने हवेली लाएगी और बना देगी अपने बाड़े का एक और ‘मेहमान’। ये कहानी जिस मयोंग की है, इसके बारे में भी फिल्म के अंत में पूरी जानकारी दी गई है।
आनंदी
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
निकिता घाग का शानदार ओटीटी डेब्यू
आनंदी के किरदार में अंतर्राष्ट्रीय मॉडल रहीं निकिता घाग ने बहुत ही शानदार अभिनय किया है। सोशल मीडिया पर अपनी बिंदास अदाएं दिखाने वाली निकिता ने यहां पूरी फिल्म में बंगाल सुंदरी का बहुत ही सुंदर रूप धरा है। साड़ी पहने, हाथ में कभी शंख, कभी दीया तो कभी धूपदान लिए आनंदी जब भी परदे पर दिखती हैं, अपनी तरफ आकर्षित करती हैं। उनकी संवाद अदायगी भी काफी सरल और सहज है। पहली ही फिल्म में जिस तरह के आत्मविश्वास का परिचय निकिता ने इस फिल्म में दिया, वह निश्चित ही उनके उज्जवल भविष्य का संकेत है। अच्छी कहानियां और अच्छे निर्देशक उन्हें मिले, तो वह हिंदी सिनेमा में स्मिता पाटिल, बिपाशा बसु और प्रियंका चोपड़ा जैसी उन सुंदर अभिनेत्रियों के स्थान की रिक्तपूर्ति कर सकती हैं जिनके लिए सुंदरता के मायने गोरा होना या जीरो फीगर नहीं बल्कि सौम्य, सरल और सहज होना है।
आनंदी
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
कला निर्देशन में भी अव्वल नंबर
तकनीकी रूप से भी फिल्म ‘आनंदी’ प्रभावित करती है। खासतौर से इसका कला निर्देशन और रूप सज्जा। तपन और उनकी टीम ने फिल्म का पूरा वातावरण ऐसा सजाया है कि दर्शकों को पहले फ्रेम से ही वह अपने साथ बांधकर चलने लगता है। किसी भी कहानी के किरदारों का असली तिलिस्म उनके आसपास के वातावरण से ही बंधता है और इस मामले में फिल्म तारीफ की हकदार है। निर्माता के रूप में निकिता ने यहां भी किसी तरह का समझौता बजट आदि से नहीं किया है। प्रमित दास ने फिल्म की सिनेमैटोग्राफी के दौरान प्रकाश और छाया का अद्भुत संयोजन शुरू से अंत तक बनाए रखा है। फिल्म की अवधि भी अधिक नहीं है सो किसी भी छोटे से ब्रेक में देखे जा सकने लायक ये ‘मस्ट वॉच’ फिल्म कही जा सकती है। फिल्म की कुछ कमजोर कड़ियां भी हैं जैसे कि इसका पार्श्वसंगीत और इसकी पटकथा के कुछ पेंच, हालांकि इसके बाद भी फिल्म का असर कम नहीं होता।
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