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Nida Fazli: जिनके दिल में एक साथ धड़कते थे मीर और मीरा, कुछ ऐसे शायरी और गजलों से रूह छू लेते थे निदा फाजली
एंटरटेनमेंट डेस्क, अमर उजाला
Published by: निधि पाल
Updated Wed, 08 Feb 2023 10:05 AM IST
सार
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विभाजन के वक्त निदा फाजली के पिता पाकिस्तान चले गए, लेकिन निदा ने भारत में ही रहने का फैसला किया। निदा को शेरो-शायरियां विरासत में मिली थी।
निदा फाजली उर्दू के जाने-माने शायर हैं। उन्होंने एक से बढ़कर एक बेहतरीन शेर लिखे हैं, जिनकी दुनिया दीवानी है। देश-दुनिया में निदा फाजली ने अपनी उर्दू की कलम से पहचान बनाए रखी और कई फिल्मी गानों को भी अमर कर दिया। निदा फाजली के पिता भी शेरो-शायरी में दिलचस्पी रखते थे, सिर्फ इतना ही नहीं उनका अपना काव्य संग्रह भी था। आज निदा फाजली की पुण्यतिथि है। तो चलिए आज आपको उनसे जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं।
निदा फाजली का जन्म दिल्ली के कश्मीरी परिवार में 12 अक्टूबर 1938 को हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हासिल की। उनके पिता भी उर्दू के नामचीन शायर थे। विभाजन के वक्त निदा फाजली के पिता पाकिस्तान चले गए, लेकिन निदा ने भारत में ही रहने का फैसला किया। निदा को शेरो-शायरियां विरासत में मिली थी। उनके घर में उर्दू और फारसी के दीवान संग्रह भरे पड़े थे। निदा उनको पढ़ते थे।
एक आम लड़के से देश -दुनिया का मशहूर शायर बनने के पीछे निदा की एक बेहद मजेदार कहानी है। कहा जाता है कि जब निदा साहब जब युवा थे तब एक दिन एक मंदिर के सामने से गुजरते हुए उन्होंने पुजारी का भजन सुना। यह भजन सूरदास का था जिसमें राधा, कृष्ण से बिछड़ने के बाद अपना दुख अपनी सखियों से बांट रही थीं। उसी पद की खूबसूरती से प्रेरित होने के बाद ही निदा साहब ने शायरी शुरू की थी। इसके बाद उन्होंने गालिब और मीर जैसे मशहूर शायरों से प्रेरणा लेते हुए उर्दू शायरी को आगे बढ़ाया।
मीरा और कबीर से भी प्रभावित निदा फाजली ने टीएस एलियॉट, एंटॉन चेखोव और तकासाकी को पढ़कर शायरी और काव्य के ज्ञान को बढ़ाया। इसके बाद वो 1964 में मुंबई आए और फिर यहां से बॉलीवुड का सफर शुरू हुआ। यहां उनको उन्हें सरदार जाफरी और कैफी आजमी जैसी नामचीन शख्सियतों संग काम करने का मौका मिला। 8 फरवरी साल 2016 को मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से निदा साहब का निधन हो गया था।
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